Becoming Master Murlidhar! | Sakar Murli Churnings 07-12-2019

Becoming Master Murlidhar! | Sakar Murli Churnings 07-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम पर जैसे ज्ञान-सागर बाप हमें समझाते-जागृत करते, वैसे हमें भी टीचर-मुरलीधर जरूर बनना है… शिव-जयन्ती आ रही तो समझाना, शिव-निराकार की जयन्ती कैसे हो सकती? (जरूर रथ-मुख का आधार लेंगे)… बेहद-बाप जरूर बेहद-वर्सा देंगे (नई-सतयुगी-पावन-सुख-शान्ति की दुनिया, स्वर्ग का)

2. यह सारे बेहद चक्र-ड्रामा का ज्ञान हमारी बुद्धि में है, जिससे ही हम नर से नारायण (पावन-सतोप्रधान-पूज्य) बनते… बच्चें भी अपने को बिन्दी-आत्मा समझ निराकार-परमात्मा को याद कर सकते… रोज़ पढ़ने से ही पूरी तरह समझ सकते

चिन्तन

जबकि बाबा ने हमें अविनाशी-ज्ञान-रत्नों से सम्पन्न मास्टर-मुरलीधर बना दिया है… तो सदा मुरली की पॉइंट्स बुद्धि में गूंजती रहे (बार-बार पढ़कर-चिन्तन द्वारा), और उन अमूल्य-दिव्य संकल्पों द्वारा योग की सर्वश्रेष्ठ स्थितियों का अनुभव करते… सदा पवित्रता-शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते रहें… ओम् शान्ति!


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