The beauty of contentment! | Avyakt Murli Churnings 08-12-2019
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हम स्नेही दिल-तख्तनशीन बच्चों में इतनी ताकत है… जो निर्बन्धन-बाप को भी स्नेह-बन्धन में बाँध लिया… निर्वाण रहने वालें दिलवर को, दिल की रूह-रूहान करने खींच लिया
2. हम सदा सन्तुष्ट रहने वाल (स्वयं-संस्कार-परिवार-वायुमण्डल सबसे), सन्तुष्ट-मणियां हैं… कभी भी सन्तुष्टता की गुण-विशेषता-खज़ाना-श्रृंगार नहीं छोड़ सकते… इस खुशी से ही सब आकर्षित होते, सबके स्नेही-सहयोगी-समीप-दिल के प्यारे बनते (सर्व खज़ानों की चाबी बाबा मिला, तो सभी सेवा के चांस भी स्वतः मिलते)
3. सदा श्रीमत-मर्यादाओं की लकीर अन्दर रहने वाली आज्ञाकारी-सन्तुष्ट आत्माएं, माया को दूर से पहचान लेती (इसलिए घबरा नहीं सकते)… माया आती ही है कमजोरी द्वारा, इसलिए सदा बाबा के साथ (जैसा संग वैसा रंग) रहने से, माया का बीज ही जल जाएंगा… फिर सदा योगी-प्राप्ति स्वरूप-मौज में रहेंगे
4. जैसे उमंग-लगन में आगे है, वैसे सदा साथ रहने में भी आगे रहना है… जैसे पहचानने में नम्बर-वन है, वैसे मायाजीत बनने में भी हो… सिर्फ हमें स्वराज्य-अधिकारी राजा (ताज-तख्त-तिलकधारी) बनना है, बाकी और स्नेही-सहयोगी स्वतः तैयार हो जाएंगे
5. हम सब नये जन्म-धारी ब्राह्मण है (एक ही बाप-रास्ता-रीति-स्वभाव वालें), भल कहीं भी रहें
सार (चिन्तन)
सदा स्वयं को बाबा के दिल-तख्तनशीन, वा सिरताज की सन्तुष्ट-मणियां समझ… सदा बाबा के साथ (वा ईश्वरीय-मर्यादाओं की लकीर अन्दर) रह, मायाजीत बन… सदा सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न सन्तुष्ट स्वराज्य-अधिकारी स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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