Eating in God’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 09-12-2019

Eating in God’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 09-12-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ड्रामा-अनुसार इस संगम पर, हम फिर से दुर्भाग्यशाली से सौभाग्यशाली (सूर्यवंशी 16 कला सम्पूर्ण देवता, स्वर्ग-हेवन-सतयुग के मालिक, 21 जन्म सदा-सुखी) बनते… फिर जितना पुरूषार्थ करे

2. इसलिए ब्रह्मा-बाप-समान देही-अभिमानी बन, हमारे गॉड-फादर मीठे-सलोने शिव-साजन को याद करते रहना है (उन्हें खिलाकर फ़िर खाना, नहीं तो माया खाकर बलवान बन जाएंगी… इस याद के लिए पहले बैठकर अमृतवेला अच्छा अभ्यास करना)… तो सदा तन्दुरूस्त-अथक-हल्के-निश्चयबुद्धि विजयी रहेंगे… कछुए-समान कार्य करना है (फिर याद में बैठ जाना), भ्रमरी-समान भूं-भूं (सेवा) करते रहना

चिन्तन

जबकि हम सभी बाबा को याद करने की युक्तियां ढूंढते रहते… तो अपने भोजन के समय को तो पूरा ही याद का समय बनाकर… मौंन में रहकर, बाबा से मीठी-मीठी बातें करते भोजन को स्वीकर करे… तो धीरे-धीरे आसपास सभी भी स्वीकर-फॉलो करेंगे, हम अपने स्थान को ही योग-शान्ति कुण्ड बनाते, सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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