The power of good wishes! | Avyakt Murli Revision 27-11-89

The power of good wishes! | Avyakt Murli Revision 27-11-89

1. हम ज्ञानी तू विश्व-कल्याणकारी आत्माओं की चलते-फिरते-कार्य करते शुभ-शक्तिशाली भावना है, कि सर्व विश्व की परेशान आत्माओं का सदाकाल-कल्याण हो (सुख-सर्व प्राप्तियों से अनेक जन्म सम्पन्न बन जाए).. इसका आधार है शुभ-कामना (रहम भाव-तरस… सब हमारे ही ईश्वरीय-परिवार के, वर्से के अधिकारी है)

2. इसका प्रत्यक्षफल (स्नेह-शान्ति) सम्पर्क वालों को मिल रही, विश्व की आत्माओं-प्रकृति का परिवर्तन कर रही… (साइंस का उदाहरण) हम दूर बैठी आत्माओं का भी, बाबा में भावना बिठाकर उन्हें फल दिला सकते… सिर्फ साइलेन्स की शक्ति जमा चाहिए (आगे इस सेवा के अलौकिक-अनुभव देखेंगे)

3. शुभ-भावना अर्थात शक्तिशाली-शुभ-शुद्ध संकल्प (संकल्प सबसे तीव्र-साधन है, कम समय-शक्ति-सम्पत्ति में कार्य करने लिए)… तो उन्हें भी महसूस होगा हमे कोई सहयोग से स्नेह-शक्ति मिल रही (जैसे हमे बाबा की मदद मेहसूस होती)… इसलिए सिर्फ मन-बुद्धि फ्री चाहिए, छोटी-छोटी बातों से ऊपर, सूक्ष्म सेवा लिए लाइन-क्लीयरएकान्तप्रिय आत्माएं बीच-बीच में भी एकान्त का अनुभव कर शक्तिशाली बनते… फिर मन-बुद्धि को जहा-जिस समय चाहे, एकाग्र कर सकते, भल बाहर हलचल हो (सागर का उदाहरण)

4. (टीचर) सेवा तो हम करते, अब सिर्फ वाणी के साथ शुभ-भावना द्वारा डबल जमा करना है… यह अभ्यास बहुतकाल अर्थात् अभी से करना है (आगे परिस्थितियां याद-सेवा के बैलेंस में रहने नहीं देगी) … योग्य-टीचर अर्थात् निरन्तर मन्सा-वाचा-कर्मणा बिजी रहना (तो और बातों से बचे रहेंगे)

5. (कुमारी) नौकरी-टोकरी से सिर्फ स्वयं की पालना के बदले, भगवान के घर-सेवा स्थानों द्वारा सारे विश्व की पालना कर दुआएं कमाना (यही साथ जाएंगा)… इसलिए सिर्फ हिम्मत चाहिए (यह संगमयुग का गोल्डन-चांस है, बाप स्वयं ऑफर कर रहे)… योग्य-टीचर अर्थात मेरा तो एक बाबा

6. (कुमार) सेवा में अच्छा दौडते, अब निर्विघ्न-कुमार की महानता-सैम्पल दिखाना (न समस्या बनना, न हार खाना, बल्कि समस्या मिटाना)… हम तो सिर्फ बाबा को companion बनाकर, उनकी कम्पनी में रहने वाले हैं (सारा परिवार भी कम्पनी है), ऐसे सदा सुखी रहते (विश्व भी गुणगान कर झुकेगी)

7. (पत्रों) स्नेह-सहयोग की छत्रछाया से बाबा मुबारक दे, स्व-विश्व-सेवा में सफलता-भव का वरदान देते… ऐसे सदा स्वयंं-संगठन के संस्कारों से राजी-राज़युक्त (राज़ जानने वाले)… पत्र लिखना अर्थात्‌ पिछला समाप्त कर, स्नेह से समीपता का अनुभव करना… पत्र होने चाहिए शॉर्ट-स्वीट (जिसको पढ़ खुश हो जाए), सबसे सहज पढ़ना-लिखना है ओ. के. (अगर हो तो!)

सार

सदा मन-बुद्धि को फ्री रख, साइलेन्स की शक्ति से सम्पन्न बन… सदा सर्व के लिए शुभ-शुद्घ-शक्तिशाली संकल्प-भावना-कामना द्वारा सबको बाबा से जुड़ाने वाले एकान्तप्रिय-एकाग्र बन… सदा याद-सेवा में बिजी, परिस्थियों से परे रहते, बाबा को कम्पनी अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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