Soul-realization, to become full of divine manners! | Sakar Murli Churnings 06-02-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
जबकि स्वयं वृक्षपति पतित-पावन सुख-कर्ता बाबा, हमे सम्पूर्ण पवित्र-सतोप्रधान-सुख का सतयुगी-वर्सा देने आए है… तो soul-realization (कैसे भृकुटी-बीच मैं छोटी सी बिन्दी-सितारा आत्मा हूँ) वा चलते-फिरते अव्यभिचारी-याद द्वारा पावन-खुश बन, सर्वगण-सम्पन्न दैवी-मैनर्स का अनुभव करते… सबको समझाकर-रास्ता दिखाते-कल्याण करने वाले ज्ञानी तू आत्मा बने
चिन्तन
जबकि बाबा ने हमें सारे आध्यात्मिकता का सार सुना दिया है, कि आत्म-अभिमानी स्थिति ही सर्व-दिव्यगुण धारण करने का सहज आधार है… तो सदा योग-बीच बीच में बहुत अच्छे से स्वयं को आत्मा realize कर, कार्य करते भी अपनी हल्कि शान्ति-प्रेम-आनंद सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते… सबके लिए श्रेष्ठ-उदाहरण बनते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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