Our wonderful world! | Avyakt Murli Churnings 09-02-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
इस छोटे-अलौकिक-सुन्दर न्यारे-प्यारे ब्राह्मण संसार में:
- हर आत्मा श्रेष्ठ-विशेष-स्वराज्य अधिकारी, स्मृति के तिलकधारी, बाबा के दिल-तख्तनशीन है
- एक बाप-परिवार-भाषा-ज्ञान… लक्ष्य-वृत्ति-दृष्टि-धर्म-कर्म
- दिनचर्या-नियम-रिति भी न्यारी है
तो सदा इसे देख हर्षित रहना (कभी पुराने संसार में आकर्षित हो गिरना नहीं, उसमें तन-मन-धन-सम्बन्ध सब गंवाया ही है), सदा नये संकल्प-भाषा-कर्म… यह स्वर्ग से भी ऊंचा-श्रेष्ठ संसार है (क्योंकि हम नॉलेजफुल है), स्वयं परियाँ बन ज्ञान-योग के पंख द्वारा तीनों लोकों में उड़ते… सदा ज्ञान-शान्ति-खुशी-अतीन्द्रिय सुख के झूलों में झूलते, परमात्म-गोदी के लवलीन-समाकर जन्मों के दु:ख से परे… श्रेष्ठ संसार-विशेषताओंं के स्मृति-स्वरूप नष्टोमोहा (पुराना-पन स्वीकार कर दु:खी नहीं होना)
पार्टियों से
- टीचर्स अर्थात् त्याग-तपस्या द्वारा आगे बढ़ती (भल फल मिले)… विशेष बन विशेष-सेवा का लक्ष्य रखना… निर्विघ्न बन स्टूडेंट्स को भी निर्विघ्न बनाना (शक्तिशाली-वायुमण्डल द्वारा)
- सन्तुष्टता-पूर्वक सेवा करने से दुआओं साथ सफलता पाना… हर सम्पर्क में दुआएं कमाना (कोई भी सेवा हो), फिर चित्रों द्वारा भी आधाकल्प दुआएं मिलेंगी… इसके लिए हाँ-जी का पाठ पक्का (wrong हो तो भी पहले रिगार्ड-हिम्मत-दिलासा देना, ऐसे उदारता-सहयोगी-साथ चल महान सेवा करना)
- कर्मयोगी बन सेवा करने से अथक-खुश रहेंगे, वर्तमान-भविष्य सदा श्रेष्ठ-भरपूर… संगमयुग अर्थात् सदा शक्ति-सम्पन्न बैटरी-चार्ज (बाकी मिलना-सुनना-आदि सब स्वहेज है)
- कोई भी सेवा है, हिम्मत-उमंग से सफलता पाना… फिर हमारी रूहानी-खुशी के चेहरे-झलक से भी सेवा होंगी… बस-पदयात्रा की डबल सेवा के साथ, रूहानियत की झलक वाले डबल-यात्री लगे (ऐसी नवीनता)
- (नेताओं से)… देशवासी की प्रगति करने की शुभ भावना-कामना अच्छी है, सिर्फ प्रेम-सेवा भाव हो (स्वार्थ-ईर्ष्या नहीं)… इसके लिए चाहिए स्प्रीचुअल-पावर (स्पिरिट समझ स्प्रीचुअल-बाप से शक्ति सम्पन्न बनना), तो औरों के भी भाव बदल जाएंगे… ऐसे साथ चलने सफलता पाना (सेल्फ-रूल के बाद राजनेता के रूल-अधिकारी)
चिन्तन
सदा अपने श्रेष्ठ-विशेष स्वमानों की स्मृति में रह, परमात्म-गोदी में समाकर अतीन्द्रिय-सुख में झूलते, परियों समान उड़ते रह… सम्पर्क में हाँ-जी के साथ द्वारा दुआएं कमाते, कर्मयोगी बन अथक-खुश-निर्विघ्न battery चार्ज रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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