Being a victorious jewel of conviction! | निश्चयबुद्धि विजयी रत्न | Avyakt Murli Churnings 16-02-2020

Being a victorious jewel of conviction! | निश्चयबुद्धि विजयी रत्न | Avyakt Murli Churnings 16-02-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम निश्चयबुद्धि-विजयी रत्न है (तब ही ब्रह्माकुमार, एक बाप के बने हैं)… अब श्रेष्ठ-नंबर लेने लिए सदा हर परिस्थिति में स्व-स्थिति की शक्ति से विजय अनुभव करना (बाबा के गले का हार, माया से हार नहीं सकते)… भल नम्र-निर्माण-हाँ जी कारण बाहर से हार भी लगे, लेकिन है विजय, ऐसे स्वयं पर निश्चय रखने से और भी वाह-वाह के पुष्प चढ़ायेंगे… निश्चयबुद्धि-विजयी की निशानीयां:

  • कभी संकल्प-कर्म में दुविधा नहीं… संकल्प-शक्ति की स्वच्छता कारण सहज-सत्य-स्पष्ट निर्णय से सदा मौज में रहेंगे (मूँज नहीं)
  • अग्नि-परिक्षा में भी विजय की खुशी
  • कभी अकेला नहीं अनुभव करेंगा (चाहे अक्षोणी-सेना दूसरी ओर हो), बाबा-सहारा दाता सदा साथ है
  • सदा खुशी में नाचता (कभी उदासी, वा व्यक्ति-समस्या से किनारा नहीं), सदा बेहद का वैराग्य (हार में भी जीत)
  • उल्हान-वर्णन के बदले, औरों को भी हिम्मत-सहारा देते
  • संकल्प-बोल-कर्म व्यर्थ से सदा मुक्त

2. मधुबन-घर के बालक सो मालिक अपने घर में आए है (बाकी वह तो सेवा-स्थान है)… घर से कोई निकाल नहीं सकते, यहां मेरापन-आराम है… दाता का दर है (जहां भगवान् हम भाग्यवान-चैतन्य ठाकुरों की सेवा करते)

पार्टियों से

1. एक कि लगन में मगन श्रेष्ठ-आत्माओं के कर्म भी स्वतः श्रेष्ठ रहते (जन्म-जीवन नया तो नाम-रूप-देश-कर्म सब बदले, ऐसे सदा उमंग में रहने से राज्य भी सदा का मिलेंगा)… निमित्त बनने से जो प्रत्यक्षफल मिलता, उससे सदा शक्तिशाली रहते (ऐसी श्रेष्ठ स्मृतियों से समर्थ, व्यर्थ समाप्त)

2. हम रोज़ अमरकथा सुनने बाली, अमर-भव की वरदानी, अमर बाप की अमर बच्चें है (शरीर छूट जाए तो भी भाग्य से भरपुर होकर जाते, इसलिए सिर्फ चोला बदलना कहेंगे)… सदा खुशी में रहना, हम अनेक जन्मों के मालामाल बन गये

3. यह रूहानी याद की महान यात्रा सुखदाई है (सब यात्राएं इसमे समाई है)… यात्री समझने से सदा न्यारे-उपराम-निर्मोही रहेंगे

4. सहयोगी-बच्चों को बाबा दिल-तख्तनशीन समझते… निश्चयबुद्धि-विजयी है गले का हार

सार (चिन्तन)

सदा स्वयं को निश्चयबुद्धि-विजयी समझ, संकल्पों की स्वच्छता वा बाबा के साथ-याद द्वारा हर परिस्थिति में विजयी-खुशी-व्यर्थ मुक्त रह… औरों को भी हिम्मत सहारा देते, निमित्त बन अनेक जन्म शक्तिशाली मालामाल रहकरते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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