कविता – शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत
शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत, ज्ञान सूरज सी है सूरत
निगाहों में समाये जब से, चमक उठी हमारी भी सूरत
श्वेत हंस सी पावन-ता, निर्मल गंगा सी शीतलता
अलौकिक फरिश्ते सी चाल, बनाती हमे सदा खुशहाल
नैनों में मधुर सौम्यता, मस्तक में तेज ललाट
देखते ही मुझमे, भर दी दिव्यगुणों की जड़त
(शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत)
दिव्यता की आभा, प्यार दे अपना बनाने की प्रतिभा
तेरी दिव्य मुस्कान, करती सारे विश्व का आह्वान
लुटाकर अखुट वरदान, पूरी की सबकी मन्नत
(शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत)
तेरी दिव्य शिक्षाए, स्नेह प्यार की दुआएं
तेरे मीठे बोल, ने बनाया हमे अनमोल
सिखाकर श्रेष्ठ धर्म-कर्म, जीवन हमारी बनाई जन्नत
(शीतल चंद्रमा सी तेरी मुरत)
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Om Shanti mera Shiv baba dusra na koi