1. आज चारों ओर के सर्व खज़ाने जमा करने वाले सम्पन्न बच्चों को देख रहे। खज़ाने तो बापदादा द्वारा बहुत अविनाशी प्राप्त हुए हैं:
- सबसे पहले बड़े ते बड़ा खज़ाना है ज्ञान धन, जिससे पुरानी देह-दुनिया से मुक्त-जीवनमुक्त स्थिति और मुक्तिधाम में जाने की प्राप्त है।
- साथ में योग का खज़ाना है जिससे सर्व शक्तियों की प्राप्ति होती।
- साथ-साथ धारणा करने का खज़ाना जिससे सर्व गुणों की प्राप्ति होती।
- साथ साथ सेवा का खज़ाना जिससे दुआओं-खुशी का खज़ाना प्राप्त होता।
साथ-साथ सबसे बड़े ते बड़ा अमूल्य खज़ाना वर्तमान संगमयुग के समय का है। इसका एक-एक संकल्प वा एक-एक घड़ी बहुत अमूल्य है, क्योंकि संगम समय पर बापदादा द्वारा सर्व खज़ाने प्राप्त होते। खज़ाना जमा होने का समय संगमयुग ही है, जितना जमा करने चाहो उतना अनेक जन्मों लिए कर सकते।
2. बाप देने वाला भी एक, एक जैसा सबको देता, एक ही समय पर देता लेकिन धारण करने में हर एक का अपना अपना पुरूषार्थ रहता। खज़ाने को धारण करने लिए:
- एक तो अपने पुरूषार्थ से प्रालब्ध बना सकते।
- दूसरा सदा स्वयं सन्तुष्ट रहना और सर्व को सन्तुष्ट करना
- तीसरा सेवा से क्योंकि सेवा से सर्व आत्माओं को खुशी की प्राप्ति होती।
- और सम्बन्ध-सम्पर्क में निमित्त-निर्माण-नि:स्वार्थ भाव, हर आत्मा प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखने की आवश्यकता है।
खज़ाने बढ़ाने का साधन है, जो खज़ाने मिले वह समय पर परिस्थिति अनुसार कार्य में लगाना। जो कार्य में लगाते, स्थिति द्वारा परिस्थिति को बदल सकते, उसका जमा होता, अनुभव की अथॉरिटी एड होती जाती। समाया हुआ फुल होगा, जितना खज़ाना भरपूर होगा उतना ही अचल अडोल होंगे, उसकी चलन-चेहरा ऐसे लगेगा जैसे खिला हुआ गुलाब का पुष्प, हर्षित खुशमिजाज़! नयनों से रूहानियत, चेहरे से मुस्कराहट और कर्म से हर एक गुण सभी को अनुभव होता है।
3. बापदादा की यही शुभ भावना है हर एक बच्चा अनेक आत्माओं को खज़ानों से सम्पन्न बनावे। आज विश्व को खुशी, आध्यात्मिक शक्ति, आत्मिक स्नेह की आवश्यकता है। आपके शक्ति द्वारा थोड़ा सा दिल का आनंद सुख की प्राप्ति हो, आप विश्व लिए आशाओं के सितारे हो। तो मन्सा से शक्तियां दो, वाचा से ज्ञान, कर्मणा से गुणदान। मन्सा द्वारा निराकारी, वाचा द्वारा निरहंकारी, कर्मणा द्वारा निर्विकारी। आप सबका वायदा है हम विश्व परिवर्तक बन विश्व का परिवर्तन करेंगे, तो चलते-फिरते भी सेवाधारी सेवा में तत्पर रहते।
4. होलीएस्ट हाइएस्ट और रिचेस्ट आप आत्मायें ही हैं:
- होलीएस्ट भी सब आत्माओं से ज्यादा आप हो।
- (हाइएस्ट) आप आत्माओं की पूजा जैसे विधिपूर्वक होती है वैसे और किसकी भी नहीं होती।
- और आप जैसा खज़ाना रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड, आप ब्राह्मण आत्माओं का एक जन्म का खज़ाना गैरन्टी 21 जन्म चलना ही है, क्योंकि अविनाशीी बाप द्वारा अविनाशी खज़ाने का वर्सा मिला है।
5. स्नेह में मेहनत भी मुहब्बत के रूप में बदल जाती, तो बाप के सदा स्नेही बनना अर्थात् सहज पुरूषार्थ करना, जो अपने को सदा स्नेह के सागर में समाये हुए समझते। बापदादा का बच्चो से अति स्नेह है क्योंकि जानते कि यह एक-एक आत्मा अनेक बार स्नेही बनी है, अभी भी बनी है, हर कल्प यही आत्मायें स्नेही बनेंगी। नशा है खुशी है? बापदादा ऐसे अधिकारी आत्माओं को देख दिल की दुआयें दे रहे हैं। सदा अथक बन उड़ते चलो। स्व-स्थिति के आगे परिस्थिति कुछ नहीं कर सकती। स्नेही स्नेही को कभी भूल नहीं सकता।
6. फरिश्ता रूप अपना इमर्ज करो, चलते फिरते फरिश्ता डे्रस वाले अनुभव कराओ। (ड्रिल) जैसे शरीर की डे्रस बदली करते ऐसे ही आत्मा का स्वरूप फरिश्ता बार-बार अनुभव करो। जैसे ब्रह्मा बाप अव्यक्त फरिश्ता रूप में वतन में बैठे हैं, क्योंकि फरिश्ता रूप होगा तभी देवता बनेंगे। अपने भी तीन रूप याद करो – ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता। कभी ब्राह्मण की डे्रस पहनो, कभी फरिश्ते की, कभी देवता। इस तीनों रूप में स्वत: ही त्रिकालदर्शा के सीट में बैठ साक्षी होके हर कार्य करते रहेंगे। तो सभी से बापदादा यही चाहते सदा बाप के साथ रहो, अकेले नहीं। साथ रहेंगे तब साथ चलेंगे।