02-02-72: प्रीत बुद्धि की निशानियाँ | 2nd February 1972: Signs of a God-loving Intellect | do i love god quiz
(From the official ‘Madhuban Murli’)
Meditation
मैं प्रीत-बुद्धि आत्मा, लक्की सितारा ⭐, अलौकिक फ़रिश्ता हूँ… सदा अव्यक्त स्थिति में स्थित, हर संकल्प-कर्म अलौकिक न्यारे-प्यारे हैं
मैं सदा ज्ञान-सूर्य ? के सम्मुख रह, सर्व गुणों ? की किरणें स्वयं में अनुभव-धारण करता… मेरे नैन-सूरत में अन्तर्मुखी की झलक, वा सर्व स्वमानों की हर्षितमुख फलक दिखती ?
मेरी बुद्धि की प्रीत-लगन सदा एक प्रीतम से एकरस लगी है… मन में सदा “तुम्ही से बैठूँ-बोलूँ-सुनूँ वा सर्व सम्बन्ध निभाऊं-प्राप्ति करूं” के गीत ? बजते… स्मृतियों से सदा बाबा के चरित्र-कर्तव्य की प्रैक्टिकल अनुभूति करता
Q&As / Essence
- ___ स्थिति में हर संकल्प-कार्य अलौकिक न्यारा-प्यारा होता, (ऊंची स्टेज से चेक) कितना समय प्रीत बुद्धि विजयी बनते (श्रीमत विपरित संकल्प नहीं), बुद्धि की लगन-प्रीत प्रीतम साथ एकरस….
° अव्यक्त
2.. सदा ज्ञान-सूर्य ___ सर्व गुणों की किरणें अनुभव-धारण करना (तुमसे बैठूँ-बोलूँ-सुनूँ वा सम्बन्ध निभाऊं-प्राप्ति करूं), नैन-मुख न बोलते हुए बोलते, सूरत पर अन्तर्मुखी झलक वा स्वमान फलक (हर्षित)।
° सम्मुख
- इस अन्तिम घड़ी चलते-फिरते बाप के चरित्र-कर्त्तव्य की ___ से प्रैक्टिकल मिलने का अनुभव कर, जन्मों की प्यास बुझाए सौ गुणा लाभ पाते (नहीं तो सजा, सावधान!), ऐसे लक्की सितारों को नमस्ते।
° स्मृति
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