28-4-77: सदा सुहागिन की निशानियाँ | 28th April 1977: Signs of a soul constantly wed | what does it mean to love god

28-4-77: सदा सुहागिन की निशानियाँ | 28th April 1977: Signs of a soul constantly wed | what does it mean to love god image

28-4-77: सदा सुहागिन की निशानियाँ | 28th April 1977: Signs of a soul constantly wed | what does it mean to love god

PDF

(From the official ‘Madhuban Murli’)

Meditation

मैं बाबा की सदा सुहागिन आत्मा हूँ… मेरे मन ?में सदा “साथ रहेंगे, साथ जियेंगे”… नयन, सूरत में बाबा की ही सूरत और सीरत है

कानों ??में बाबा का अनहद स्वर ? “मनमनाभव” गूंजता रहता… जैसेकि बाबा सम्मुख बोल रहे

लगन में सदा रहता – तुम्हीं से बोलूँ, तुम्हीं से सुनूँ, तुमसे ही सुना हुआ बोलूँ… एक बाबा दूसरा ना कोई, बाबा ही संसार है

सम्पूर्ण पवित्रता, खुशी, मधुरता व सर्व ज्ञान-गुण-शक्तियों के ईश्वरीय भाग्य से सदा सम्पन्न… मैं लाइट-ताजधारी सदा लाइट आत्मिक रूप में स्थित, कर्म में भी हल्का रहता… निरन्तर कर्मयोगी हूँ

मुझ पूज्य रत्न से चमकती सर्व शक्तियां ?सबको निर्विघ्न बनाती… सब खेल लगता

Q&As / Essence

  1. सदा सुहाग=अविनाशी स्मृति-तिलक (1 श्वांस साथ न छुते);मन में साथ रहेंगे-जीयेंगे, नैन-मुख में उनकी ___, कान ?? में मन्मनाभव स्वर ?(सम्मुख), तुमसे बोलूं-सुनूं-तुम्हारा बोलूं (एक दूसरा न कोई)
    ° सूरत और सीरत

2. सदा ईश्वरीय भाग्य = सम्पूर्ण पवित्रता & बाप से सर्व ज्ञान, गुण, शक्तियों की प्राप्तियां व खुशी = ___ क्राउन (राजाई); स्वयं सदा लाइट-आत्मिक रूप अनुभव करता (कर्म में भी लाइट)।
° लाइट का

3. ऐसे निरन्तर रहते रत्नों की पूजा होती; उनसे ज्ञान वर्षा व सायलेन्स द्वारा प्राप्त, सर्व ___ के रंग दिखते, जिससे सभी भी निर्विघ्न बनते; बाबा सेवाधारी को सदा सम्मुख देखते।
° शक्तियों

4. अलौकिक जन्म भूमि आये तो जैसी धरनी वैसे कर्म-संस्कार, निरन्तर कर्मयोगी; स्थिति में ___ (बाप ही संसार, बाप की सम्पत्ति अपनी), सम्पर्क मधुर; स्मृति से समर्थी से सब खेल लगता।
° बेहद की वैराग्य वृत्ति


Thanks for reading this article on ’28-4-77: सदा सुहागिन की निशानियाँ | 28th April 1977: Signs of a soul constantly wed | what does it mean to love god’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *