23-03-88: दिलाराम बाप के दिलतख्त-जीत दिलरूबा बच्चों की निशानियाँ | 23rd March 1988: Signs of Beloved soul seated on heart-throne of Comfortor of Hearts | and let the peace of god rule in your heart
(From the official ‘Madhuban Murli’)
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Meditation
मैं दिलाराम की दिलतख्त-नशीन दिलरुबा हूँ… मेरे दिल से सदा स्नेह-भरी यादों व ‘मैं बाबा का, बाबा मेरा’ यह साज़-गीत बजता रहता… मैं बाबा की दिल-जीत आत्मा; स्वयं बाबा मेरे गुण गाते – वाह मेरे मायाजीत, जगतजीत बच्चे!
मेरे सम्पर्क में बाबा दिखते… दृष्टि की रूहानियत बाबा की अनुभूति कराती… दिल का आवाज़, व शक्तिशाली स्नेह-भरे बोल बाबा से सम्बन्ध जोड़ते… हर कदम फरिश्ता-चाल व परमात्म-मत दिखती
मैं ‘सन शोज़ फादर’ करने वाली समीप, समान, नम्बरवन आत्मा… सदा प्यार के सागर की शुभ भावनाओं से उड़ती रहती… दाता का बच्चा; दाता, राजा, रहमदिल बन सबको देते रहता
बाबा के याद की शक्ति से सदा शक्तिशाली, आगे बढ़ता, सफलता पाता हूँ
Q&As / Essence
- दिलरुबा=दिल में सदा दिलाराम की याद-स्नेह के मधुर साज से दिलाराम के दिल-जीत (बाप उनके गुण गाते, माया-जगतजीत), हर ___ सिवाए बाप-सेवा कोई गीत नहीं (मेरा बाबा, मैं बाप का)
° सेकेण्ड
2. सम्पर्क में बाप दिखे; शक्तिशाली स्नेह-बोल ___ याद दिलाये, प्रत्यक्ष करें, सम्बन्ध जोड़े; दृष्टि-रूहानियत बाप अनुभव कराये; कदम परमात्म-मत, फरिश्ते; सन शोज फादर वाला समीप समान
° बाप की महिमा
3. देवता, राजा, रहमदिल – सब रीति ‘दाता’ के बच्चे दाता बन दो (दाता की याद दिलाते); सब नम्बरवन हैं, स्वयं में निश्चय रख ___, इस दो बोल में भी प्यार-सागर व श्रेष्ठ-शुभ कामनायें समाए है।
° उड़ते चलो
4. याद के शक्ति की सर्वश्रेष्ठ अनुभूति-सहयोग सदा लिए शक्तिशाली बनाए, आगे बढ़ाए, सफलता अनुभव कराती – यह ___ में रख जितना आगे बढ़ना चाहो बढ़ सकते।
° स्मृति
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