Holiest, Highest, Richest (Avyakt Murli Churnings 30-11-2018)
आज बाबा हमारे मस्तक पर 3 परमातप्रा प्तियां देख रहे हैं:
- Holiest
- Highest
- Richest
Holiest
बाबा हमे स्वमान दे रहे हैं ‘में Holiest हूं‘… और इस स्वमान को शक्तिशाली बनाने के लिए 2 स्मृति देते हैं:
- हम अनादि स्वरूप मे, परमधाम मे भी Holiest है
- हमारा आदि स्वरूप, देव स्वरूप भी Holiest है
इस स्वमान के फलस्वरूप, हमारे जीवन के सभी पहलु पवित्र बन जाते हैं:
- स्वप्न
- मन… (अपवित्र, नकारात्मक, व्यर्थ संकल्पों से मुक्त)
- वाणी… (मधुर, ज्ञानयुक्त, युक्तियुक्त बोल)
- कर्म… (सुखदाई, प्रेरणादायी कर्म)
- संबंध… (आत्मिक स्नेह से भरपूर)
- सम्पर्क… (संतुष्ट रहना और संतुष्ट करना)
- प्रवृति
- स्थूल पवित्रता ब्रह्मचर्य
और सतयुग में… हम आत्मा और हमारा शरीर दोनों पवित्र बन जाते हैं !
Highest
- ऊंचे ते ऊंचे बाप के बच्चे
- ऊंचे ब्राह्मण
- परमधाम में भी Highest… अर्थात बाप के समीप
- देवताओं की सबसे विधि पूर्वक पूजा होती है
Richest in the kalpa!
- अविनाशी (अर्थात साथ चलने वाले) अनगिनत खज़ानो के मालिक… ज्ञान, गुण, शक्तियां, समय, संकल्प
- खुशी जैसा खज़ाना नहीं… खुशी जैसी खुराक नहीं… खुशी बांटने से बढ़ती है
- एक एक सेकंड बहुत मूल्यवान… श्रेष्ठ कर्मों के बीज बोने का समय
बाबा ने कमाई जमा करने के बहुत तरीके बताए:
- याद से कमाई जमा होती है… संबंध के स्नेह और प्राप्तियों के आधार पर सहज याद हो जाती है… याद भूलना मुश्किल हो जाता है
- मैं कहो, तो याद रहे ‘मैं श्रेष्ठ आत्मा हूं‘
- मेरा कहो, तो ‘मेरा बाबा‘ याद आए
- बिंदी लगाते जाए… में आत्मा बिंदी, मेरा बाप परमात्मा बिंदी, और ड्रामा में जो हुआ वह full stop!
- स्वमान में स्थिति रहना
Om Shanti!
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