The most illustrious meeting of fortune | भाग्यविधाता बाप और बच्चों का मंगल मिलन मेला | Avyakt Murli Churnings 24-02-2019
1. यह विचित्र मिलन मेला है, जहां सर्व खझानों प्राप्तियों के भण्डार खुले है (lottery), जितना चाहे उतना अधिकार (राज्य पद भी!) दृढ़ संकल्प से ले सकते हो… सबसे बड़ा ईश्वरीय चांस मिला है “दिल से मेरा बाबा कहो और बाबा के दिल-तख्त-नशीन बनो”… और ईश्वरीय गिफ्ट मिली है “छोटा सा सुखी-सम्पन्न एक बाप में ही संसार“, जिसमे सभी प्राप्ति और खुशियों का झूला बाबा की प्रीत, साथ वा श्रीमत में, और ज्ञान रत्नों से खेलने में, देह भान रूपी मिट्टी से परे फरिश्ता रहने में हैै… तो सम्पन्न सर्व प्राप्ति स्वरूप बनकर ही जाना है
2. सदा यही गीत गाते रहो वाह बाबा वाह, वाह मेरा भाग्य वाह, पाना था सो पा लिया (भगवान और भाग्य)… यही याद की खुशी दुआ-दवा दोनों है, जो बड़े ते बड़ा कर्म-भोग भी न्यारा-प्यारा बन चुक्तू कराता… सूली से कांटा बन जाता, क्योंकि हमारे पास समझ भी है (की यह हमारा ही हिसाब-किताब है) और योग द्वारा शक्ति भी है!
3. सदा याद और सेवा के बैलेंस द्वारा बाप की blessings वा वरदान मिलता, जिससे मैहनत समाप्त हो सहज सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन जाते… याद के लिए सिर्फ़ एक बाप एकरस स्थिति वा एकमत हो रहना है, तो सफल रहेंगे… सेवा में डबल लाइट हल्का रहना है बाबा की याद से, तब ही उड़ेंगे और उड़ाएंगे, सेवा का प्रत्यक्ष फल मिलेंगा
4. यह बाप का सो अपना घर भी है, तो विश्व-विद्यालय भी है… Wonderful विद्यालय है, जहां बूढ़े-जवान अनपढ़-पढ़े भाई-माताएं सभी पढ़ते, और सबको एक का ही पाठ पढ़ाया जाता!… जिससे चरित्रवान बनते, जन्म-जन्मांतर के इनकम की guarantee मिलती, जितना करेंगे एक का पदमगुणा हमको ही फायदा है!
5. राजस्थान में ही मुख्य स्थान मधुबन है… तो बाबा सबको कह रहे हैं, हीरे-तुल्य बनना और बनाना है… सब बातों में number वन (क्वालिटी, संख्या और सेवा की विशेषता में) बनना है… निश्चय बुद्धि विजयन्ती!
6. संगमयुग सर्व प्राप्ति करने और सर्वश्रेष्ठ बनने का युग है, तो इस युग के वासी हम सभी भी सर्वश्रेष्ठ हैं… इसलिए सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनना और सबको बनाना है, जितना देंगे उतना बढ़ता जाएंगा… हमें बाबा ने अलौकिक, न्यारा, ज्ञानी वा दुःखों से मुक्त बना दिया है, इसी श्रेष्ठ खुशी में रहना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… बाबा के साथ मधुर मिलन मनाते रहे, एसी श्रेष्ठ खुशी में रहे कि शरीर का कर्मभोग भी हमारी खुशी हिला न सके… ऎसा सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन अपना भाग्य बढ़ाते, औरों को भाग्यवान बनाएं, कि सारे विश्व का भाग्य पलटाकर हम कलियुगी से सतयुगी बना दे… ओम् शान्ति!