A subtle intellect! | (35th) Avyakt Murli Revision 13-11-69

A subtle intellect! | (35th) Avyakt Murli Revision 13-11-69

1. जैसे बाबा अशरीरी होकर शरीर में आते (अव्यक्त से व्यक्त), वैसे ही हमें भी आना है… हम सारे विश्व की श्रेष्ठ आत्माएं है, जिन्हें भगवान् मिलने आते, इसी नशे में रहना है

2. बाबा हमारे भ्रकुटी पर तीन प्रकार के सितारे देखते:

  • लक्की सितारे
  • नयनों के सितारे
  • उम्मीदों के सितारे (बाबा की उम्मीद है, हम अनेकों को योग्य-क्वालिटी बनाए, quantity अपने आप हो जाएंगी… क्वालिटी बनाने के लिए स्वयं में divine क्वालिटी चाहिए)

3. मेहनत से बचने के लिए महीनता में जाना है, चाहे श्रीमत-पालना के पुरूषार्थ में वा सेवा में (महीनता से समझाना है)… जैसे दही से महीन है माखन, भोजन से महीन है खून, जो शक्ति देता

4. गहराई में जाने से रत्न निकलते, जितना ज्ञान-सेवा की वैल्यू रखते, उतना वैल्यूबल बनते… ऎसे वैल्यूबल रत्न को बाबा माया से छिपाकर अपने सर्वश्रेष्ठ दिल-तख्त (सो विश्व-तख्त) पर बिठा देते, जहां सदा माया के बन्धनों से मुक्त रहते

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने श्रेष्ठ नशे में स्थित, अपने को लक्की सितारा समझ… बहुत सुन्दर अशरीरी-अव्यक्त स्थिति का अनुभव कर बाबा के दिलतख्त-नशीन, वैल्यूबल हीरा बन… सबको आप समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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