Achieving True Independence! | Sakar Murli Churnings 15-08-2019
सार
1. हमने अज्ञान में रावण-वश (देह-अभिमान, विकार, पाप, आदि) बहुत दुःख उठाया है… अब संगम पर सर्व का सद्गति दाता बेहद का बाप हमें डायरेक्ट समझाते, की अब निर्विकारी बन अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करो, इसी पवित्रता द्बारा पवित्र दुनिया का वर्सा मिल जाएंगा (बुद्धि में धारणा भी होगी, बहुत-बहुत खुशी में रहेंगे)… भल माया के तूफान आए, हम कल्प-कल्प के विजयी रत्न है
2. सबकी सेवा करनी है… सच्ची स्वतंत्रता तब मिलती जब देह-भान (रावण) से मुक्त होते, यह तो केवल बाप ही करा सकते… फिर सतयुग में सम्पूर्ण स्वतंत्र-सुखी-धनवान होंगे
चिन्तन
तो चलिए आज सारा दिन… देह भान (दुःख) से सम्पूर्ण स्वतंत्र बनने के लिए, सदा आत्मिक स्थिति का अभ्यास करते, बाबा का सर्वश्रेष्ठ साथ-रक्षा का अनुभव करते, बहुत ऊँची-श्रेष्ठ-दिव्य शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति का अनुभव करते रहे… सभी मिलने आने वाले हमारे रूहानी भाई-बहनो को खुशियां-रूहानी प्यार बांटते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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