कविता – पहनाए हमे दिव्यगुणों के गहने

कविता – पहनाए हमे दिव्यगुणों के गहने

ऐसे पहनाए हमे दिव्यगुणों के गहने
विश्व में सब लगते, अपने ही भाई और बहने

देकर पावन लाइट का ताज, बनाया हमे अपने सिर का ताज
लगाकर विजय तिलक, भरी दी गुण-शक्तियां अनगिनत
दिया हमे अपने दिल में रहने, अपनी किस्मत के क्या कहने
(ऐसे पहनाए दिव्यगुणों के गहने)

पहनाकर मर्यादाऔं का कंगन, जीवन हमारा बनाया मंगल
देकर खुशियो का हार, रोज़ प्यार से किया हमे श्रृंगार 
सबकी विशेषताएं देखने के चश्मे हमने है पहने 
(ऐसे पहनाए दिव्य गुणों के गहने)

लगाकर फरिश्ते-पन का रूहानी मेक-अप, बनाया हमे दिव्य परियों सा खूबसूरत
लगाकर सर्व शक्तियों की क्रीम, जीवन हमारी बनायी हसीन
समाप्त हुए वियोग के वर्श और महीने, पूरे किए सब उल्हने
(ऐसे पहनाए दिव्यगुणों के गहने)


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