योग का फाउन्डेशन – अशरीरी स्थिति | Ashariri
योग का लक्ष्य है हमारे आंतरिक अनादि गुणों (ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति) को अनुभव कर, उन्हें अपने जीवन के हर कर्म में प्रवाहित कर emerge रखना
परन्तु जब भी हम योग में हिलते है, तो देह-भान फिर जागृत होता, योग टूट जाता.. इसलिए यदि योग का प्रथम अभ्यास कोई है, वह है अशरीरी स्थिति!
बहुत सहज विधि है, अशरीरी अर्थात् जरा भी हिलना नहीं.. जैसे हम बचपन में खेलते थे, कोई कहे Statue तो स्थिर हो जाना, आँखों सहीत.. यही है अशरीरी स्थिति, जिसका थोड़ा भी अभ्यास करने से हमारी चेतना स्वतः जैसे एक zone में समा जाती; जहां बहुत स्थिर, शक्तिशाली, शान्ति का निरन्तर अनुभव रहता! ?
इस अवस्था में फिर बहुत सहज कोई भी visualization वा अनुभूति (आत्मिक स्थिति, बाबा की याद, फरिश्ता स्थिति, आदि) में लम्बा समय naturally स्थित रह सकते.. फिर जब कर्म में आते, वही सतोगुणी ऊर्जा कर्म में भी प्रवाहित होती रहती, जिससे हमारे संस्कारों में भी बहुत सहज स्वतः परिवर्तन दिखता! ?
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