Murli Yog 28.12.2024

A

एक-दो के विचारों 💭 का… सम्मान रखने वाले… हम माननीय आत्मा ⭐ हैं!

अनादि स्वरूप में स्थित रहते… इसलिए हम ब्राह्मणों का विशेष लक्षण है; सदा स्वयं से सन्तुष्ट ☺️ रहना, सबको सन्तुष्ट करना… तब ही आगे बढ़ते!

इस कल्याणकारी 💫 युग में… हम कल्याणकारी स्वयं-सर्व का कल्याण करते (प्रकृति को भी सुखदाई बनाते!)… तो अकल्याण की हलचल का प्रभाव पड़ नहीं सकता; हम प्रकृतिजीत, मायाजीत है!

ओम् शान्ति 😌 अर्थात्; मैं (अनादि से) शान्त स्वरूप आत्मा हूँ… अभी भ्रकुटी में बैठ; कानों द्वारा यह रूहानी पढ़ाई सुन रही… याद द्वारा श्रेष्ठ, पावन; फिर से सतोप्रधान सुखी देवता बन रही!

तो निराकार परमपिता अपनी ईश्वरीय मत द्वारा… हमें सर्व खज़ानों 🪙 से मालामाल कर… स्वर्ग के मालिक 👑, सदा सुखी 😀 बनाते!

कैसे इन मीठी-मीठी लवली 💞, रमणीक, दिल ❤️ को छूने वाली बातों द्वारा… मन्मनाभव के महा वशीकरण मंत्र में हमें स्थित 🎯 करते… फिर हम भी भूँ-भूँ 🐝 कर आप समान 🧖 बनाते (और राजतिलक पाते 🎉!)


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Murli Yog 5.10.24

Murli Yog 5.10.24

सुख, शान्ति, डबल लाइट के गोल्डन वर्से से सम्पन्न 🪙; दिव्य ✨, खुशबूदार फूल 🌸 बन; सर्वशक्तिवान ⚡ के साथ से विजयी 🇲🇰 रह; सबके समीप, सम्मान देते संस्कार मिलन करने वाली ईश्वरीय नेचर बनाना… Murli Yog 5.10.24… आज माँ सन्तोषी समान सदा सन्तुष्ट रहे!

वह सदैव पवित्र, निराकार, रूहानी बाप… शान्ति के सागर 🌊, शान्ति देवा है जो हमें वापस अपने शान्तिधाम, मुक्ति, घर ले जाते (शान्ति का वर्सा!)… वह सुख के सागर भी है; जो हमें फिर सुखधाम, जीवनमुक्ति में भेजते!

तो याद, योगबल से सहज वापस जाते… और सच्चा सोना बनने कारण; फिर उस पवित्र, गोल्डन ऐज में पहुंचते… जो है दिव्यगुणों 🪂 वाले फूलों का बगीचा, गृहस्थ आश्रम; कितना धन 💰, हीरे-जवाहर होते; श्रीकृष्ण की डिनायस्टी, रामराज्य!

हमें आत्मा की पहचान मिली है; तो आत्मा समझ देही-अभिमानी रहना… आत्मा इस भ्रकुटी के चैतन्य अकालतख्त पर चमकती; एक तख्त 🪑 छोड़ दूसरा लेती, जो छोटे से बड़ा होता… अभी पुरूषोत्तम संगमयुगी ब्राह्मण तख्त है; फिर बड़ा फर्स्टक्लास, देवताई, गोल्डन ऐजेड़, सतोप्रधान तख्त मिलता… हम ऐसे वैल्यूबल; अनादि, अविनाशी पार्टधारी है!

यह सत्य बातें स्वयं सत्, चैतन्य, बीजरूप, ज्ञान सागर 🌊 हमें सुनाते… वह भारत में आकर सबकी सद्गति करते; तो यह ऊंच ते ऊंच देश, बड़ा तीर्थ ठहरा… तो जब इतनी प्राप्तियां हुई है, अब कुछ याद नहीं आता (स्वतः वैराग्य!)

हम डबल लाइट 🧖 है (क्योंकि सर्व जिम्मेवारी का बोझ बाप हवाले कर दिया है!)… सबके समीप आते सम्मान देते रहने से सहज संस्कार मिलन होता; ‘मेरे संस्कार’ यह शब्द ✍🏻 ही मिटकर ईश्वरीय नेचर बन गयी है!

सर्वशक्तिवान के साथ पर निश्चय को प्रैक्टिकल में यूज करने से… सहजयोगी, निरन्तर योगी रहते… (कभी हिलते नहीं; बातों को दूर से ही परख समाप्त करते!)… (AV 4.12.95; फिर से!)


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शुभ भावना 💭 का दान ✋🏻 (32 पॉइंट्स! 📝) | Giving Good Wishes | Creative 🌈 Meditation Yog 🧘‍♀️

शुभ भावना 💭 का दान ✋🏻 (32 पॉइंट्स! 📝) | Giving Good Wishes | Creative 🌈 Meditation Yog 🧘‍♀️

सबका भला हो, कल्याण 💫 हो… सब सुखी 😀, सन्तुष्ट ☺️ रहे…. उनकी उन्नति 📈 हो, सफलता 🚀 मिले

सभी का अच्छा 🙌🏻 हो, सब सही रहे… वह खुश 😃, प्रसन्न 😊 हो… उन्हें हर पल प्रगति 🎉 प्राप्त हो, वह आगे बढ़े 🚶

उनका लाभ 🌈 हो, फायदा 🪙 हो… उन्हें प्राप्ति 🌧️ हो, मन 💬 की शान्ति 😌 मिले… वह ठीक 👍🏻, स्वस्थ 🩺, शक्तिशाली 💪🏻 रहे

वह आनंदित 😇, हर्षित 🙂 रहे… उनका भाग्य 🎨 श्रेष्ठ ⤴️, भविष्य उज्ज्वल 💡 हो… उनका जीवन खुशहाल 💐 रहे

उनको प्यार ❤️ मिले (☝🏻 परमात्म!)… सबका परमात्म मिलन 💞 हो. वह भी परमात्म वर्से 👑 के अधिकारी ✊🏻 बने… उनकी बुद्धि 🧠 में सत्य ज्ञान 📃 टच 🙏🏻 हो… अपना जीवन पावन 💎, योगी 🧘‍♂️, दिव्यगुणी 🎶 बनाए, ईश्वरीय श्रीमत 📝 पर निश्चिंत 💯


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Murli Yog 4.10.24

Murli Yog 4.10.24

सुप्रीम, गोल्डन शान्ति की अनुभूति द्वारा मीठे, प्यारे, दिव्य साथ से बल अर्थात् आशीर्वाद प्राप्त करने के तकदीर-वान बन; सहज कल्याण करने में राइट हैण्ड बनना… Murli Yog 4.10.24… आज शिव शक्ति बन शिव से शक्ति लेते रहे!

ओम् शान्ति अर्थात् हम रूहानी बच्चों को अपने विचित्र, विदेही, निराकारी आत्म-स्वधर्म में टिकना है… जिससे स्वतः उस ऊंच ते ऊंच सुप्रीम, पतित-पावन सत्-बाप के बेहद सम्बन्ध की प्यार-भरी याद आती… जिससे प्योर, सतोप्रधान, गोल्डन एजेड़ बनते!

वह पुरूषोत्तम संगम पर ही आकर; मुक्तिधाम ले जाते… फिर उस नये, पवित्र अमरलोक में बेहद सुख के वर्से की बादशाही के मालिक बनाते (जहां 5 तत्व भी पावन!)… ऐसी बलवान राजाई मिलना ही जैसे सर्वशक्तिवान की आशीर्वाद है…

… यही ऊंच पद 🏆 भी है; इस ज्ञान-अमृत के सागर 🌊 की ऊंच, रूहानी, नई पढ़ाई में पास होना… अथवा सचखण्ड स्थापन करने वाले सतगुरू की लीगल मत पर कैरेक्टर्स सुधरकर; अच्छे, मीठे सर्विसएबुल फूल 🌸 बनना (जैसे दिव्यगुण-सम्पन्न श्री लक्ष्मी-नारायण!)

… ऐसे राजा बनने; आप समान 🧖 बनाने के मददगार भी बनना है; ट्रान्सफर करना… हम तकदीर-वान को ही ऐसे निश्चय बैठता; तो अब अपने पर रहम कर; स्कूल के अच्छे, होशियार 🧠 राइट हैण्ड स्टूडेन्ट बनना है!

हम त्रिकालदर्शी हर बात में कल्याण समझते… (क्योंकि सिर्फ एक काल से नहीं देखते!)

अपने पवित्रता ✨ के स्वधर्म पर निश्चय हो गया… बाबा को यथार्थ पहचान उस सर्वशक्तिवान को साथ रखते… ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान लिए सब सहज है (संकल्प 💭 में भी कोई हिला नहीं सकता!) (AV 4.12.95)

मरजीवा अर्थात् पुराने संस्कार भी किसी और के लगे; तो छूना नहीं!(AV 18.6.69)


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‘..फुल’ 💯’ से समाप्त होते 15 शब्द ✍🏻 | Words ending with ‘ful’ | Creative 🌈 Meditation Yog

‘..फुल’ 💯’ से समाप्त होते 15 शब्द ✍🏻 | Words ending with ‘ful’ | Creative 🌈 Meditation Yog

बाबा ❤️ ने मुझे ज्ञानवान 🧑‍🎓, नॉलेजफुल 📃 बनाये…अटेन्शन 💡 रखने में केयरफुल 👍🏻… दिव्यगुणों 🪂 में इसेन्सफुल 🧪 बना दिया है

मेरे मन 💭 की गति पीसफुल 😌… दिल 🤍 सबके लिए लवफुल 💜 हैं… बोल 🗣️ और कर्म मर्सीफुल ✋🏻

मेरा व्यवहार चियरफुल 😊… स्वभाव ब्लिसफुल 😇… चेहरा दिव्य 👑 हर्ष से जॉयफुल 😃 (खुश, प्रसन्न) है

मेरे संकल्प पावरफुल ✊🏻… जीवन सक्सेसफुल है… मैं सदा सोलफुल अर्थात् सोल-कॉन्शस ⭐ हूँ

मैं बाबा का सम्पूर्ण फेथफुल 🙌🏻… इसलिए मेरा भाग्य 💫 वन्डरफुल 👌🏻 है… बाबा से फुल 📈 वर्सा 🪙 प्राप्त करता; अपनी आत्म-बैटरी 🔋 फुल चार्ज ⚡कर! 🙂🙂👍🏻👍🏻


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Murli Yog 3.10.24

Murli Yog 3.10.24

वन्डरफुल ब्राइडग्रुम के साथ द्वारा चमकते ✨, दिव्य तकदीर-वान बनकर; निःस्वार्थ, उदारचित्त, परोपकारी बन सबका स्नेह ❤️, सहयोग से कल्याण कर; सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करना… Murli Yog 3.10.24… आज माँ ‘दुर्गा’ बन स्वयं के ‘दुर्गुणों’ का नाश करें!

वह ऊंच ते ऊंच रूहानी, निराकार पतित-पावन, परमात्मा शिवबाबा (ब्राइडग्रुम!); हम मीठे आत्म-सालिग्राम-सितारों (ब्राइड्स) को… नये हेवन, घोर रौशनी ☀️, सुखधाम के मालिक देवी-देवता बनाते (पवित्र राजाई डिनायसटी का वर्सा!)

तो पढ़कर होशियार 🧠 बन; श्रीमत पर दिव्यगुण अवश्य धारण करने है (सच्चाई, पवित्रता, शुद्ध खान-पान, तंग-दुःखी नहीं करना, आदि)… मुख्य बात धारण करनी है; याद की रेस, दौड़ी!

हम निश्चयबुद्धि बी.के अपने आत्म-ब्रदर्स का कल्याण करते रहते (बाबा का परिचय देते)… तो ब्राह्मण कुल की वृद्धि होती रहती… हम सब शिवबाबा के बच्चे है!

हम तकदीर-वान आत्माएं 🕯️… सच्ची सेवा द्वारा… सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करते रहते!

बाप समान निःस्वार्थ, रहमदिल 💜; उदारचित्त, कल्याणकारी 💫, परोपकारी बन… हम स्नेह, सहयोग द्वारा एकमत हो; संस्कार मिलन के रास की महानता द्वारा… सम्पूर्णता वा समय को समीप लाते!

सोने के समय बुद्धि को क्लीयर, खाली रखने… अच्छा-बुरा सब बाबा के हवाले कर, उन्हें देकर, साथ में सो जाते (निर्संकल्प हो!)… तो और स्वप्नों से भी मुक्त रहते (यह है बाबा के फरमान की ताकत 💪🏻!)

कैसे इस अन्त में पुरूषोत्तम संगम पर, बेहद ज्ञान सागर 🌊 बीज सारे विश्व 🌍 की सद्गति कर विश्व-गुरू बनते… अभी सूक्ष्मवतन में कर्मातीत शरीर द्वारा हमसे मिलते, बोलते… इस बड़े वन्डरफुल 👌🏻 नाटक, अनादि ड्रामा 🎭 के भिन्न-भिन्न एक्ट, फीचर्स हुबहु रिपीट होते हुए भी नये-नये लगते!


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Murli Yog 2.10.24

Murli Yog 2.10.24

वन्डरफुल, कम्प्लीट, अथाह सुख, शान्ति, सन्तोष, दिव्यता के ताकतवर 💪🏻 मालिक बनना; शौक से जादूई कल्याण करने की कमाई करना; ऐसी ईश्वरीय नेचर बनाना… Murli Yog 2.10.24!

हम मीठे-मीठे रूहानी बच्चों को… ‘आत्मा समझने’ लिए इसलिए कहा जाता… जो याद रहे हम आत्माओं 🪔 को वह रूहानी, पतित-पावन, वन्डरफुल बाप राजयोग पढ़ाते…

… इस चलते, फिरते 🚶. घूमते याद, सिमरण से अथाह सुख, सेकण्ड में जीवनमुक्ति पाते; सर्व मनोकामनाएं पूरी होती… क्योंकि कम्प्लीट पावन, गोरा, सतोप्रधान, सोने के, गोल्डन बनते…

तो शान्तिधाम भी जाते… फिर पीस, प्रोसपर्टी पाते; ज्ञानी, निरोगी, धनवान देवता बनते; राजा… नये गोल्डन सृष्टि के वर्से, प्रोपर्टी में; सद्गति दाता ✋🏻 द्वारा!

आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरे में प्रवेश कर… भिन्न सम्बन्ध, फीचर्स से पार्ट बजाती रहती… यह एक्युरेट 👍🏻, बना-बनाया ड्रामा 🎭 रिपीट होता रहता; फिकरात की कोई बात नहीं!

आत्मा ही ऑर्गन्स द्वारा स्वाद लेती; तो याद की ताकत द्वारा ऊंच ब्रह्मा भोजन बनाने से… स्वीकार करने वाले का कल्याण हो, ह्रदय शुद्ध होता, साक्षात्कार भी हो सकते… इतनी ब्रह्मा भोजन की महिमा है; देवताओं को भी पसन्द है; तो क्यों नहीं थाली धोकर पियें… जितना उन्नति को पायेंगे, ऐसा भोजन मिलता रहेगा!

तो मधुबन 🏫 में है जादूगर 🧙‍♂️ की मुरली 📃 (जो मनुष्य से देवता बनाती!)… और यहां है सबका कल्याण करने की कमाई करना (गृहस्थ में रहते भी सेवा उठाना; शौक से, चित्रों द्वारा जीवन कहानियां स्पष्ट!)

ब्राह्मण कुल की रीति 👌🏻 है हर चलन सुखदाई… ऐसे परिवर्तन द्वारा ईश्वरीय नेचर बनाने से अनेकों को सन्तुष्ट करते… हमारा ऑक्युपेशन ही है शान्तिदूत बन सबको शान्ति देना!

निःस्वार्थ भाव से विचार 💭 दे… सेवा की ऑफर करना… (इससे इच्छा, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या, घृणा, क्रोध आदि सबसे मुक्त रहते!)


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Murli Yog 1.10.24

Murli Yog 1.10.24

सर्व प्राप्तियां 🌈, खज़ाने, गुण, शक्तियों ⚡ के भाग्य की कमाई जमा करने का एकमात्र उपाय – दिव्य आत्म-अभिमानी स्थिति द्वारा प्यार से बाबा की याद… Murli Yog 1.10.24… एक तारीख को; दिल ❤️ वा मन 💭 में भी एकानामी रहना, तो बोल में भी सिर्फ एक बाबा हो!

हम रूहानी बच्चों अर्थात् आत्माओं 🪔 को बाबा समझाते… तो यह ‘आत्मा हूँ’ की मूल, मुख्य पाठ वा प्रेक्टिस को… एकान्त, साइलेन्स में; फुर्सत निकाल पक्का करना है…

… इससे ही उस आत्माओं के, रूहानी, अनादि परमपिता की याद भी पक्की ✊🏻 रहती… क्योंकि वह भी निराकार आत्मा है; सिर्फ सुप्रीम, ऊंच ते ऊंच… तो उन्हें प्यार ❤️ से याद करते!

इससे ही पावन, सतोप्रधान, पुण्य आत्मा बनने का वर्सा पाते… जिसकी प्रालब्ध वहां शिवालय, दिन में सुख पाते; अमर, आयुश्वान भव वाली फुल 💯 आयु… तो पवित्र बन, दिव्यगुण भी धारण करते (वाणी से परे, मूलवतन घर भी जायेंगे; हम सितारे!)

तो कितनी अच्छी नॉलेज, शिक्षा इस गॉडली यूनिवर्सिटी 🏫 में स्वयं भगवान् 🛐 हमें पढ़ाते (आदि देव, भाग्यशाली रथ द्वारा; एडाप्टेड़ ब्राह्मण बनाये!)… तो यह पैगाम दे, कल्याण करने वाले फूल 🌸 ही बाबा के दिल पर चढ़ते (ज्ञान डांस भी अच्छा होता; सामने बैठने चाहिए!)

हम शमा 🔥 पर स्वयं को इतना मिटाते; जो पुराने, ‘मेरे’ संस्कार, नेचर समाप्त हो; बाप समान अव्यक्ति फीचर्स बनते… हमारी मुख्य फाउण्डेशन पवित्रता को धरत परिये धर्म नहीं छोड़ते… यह पवित्रता ✨ ही परमात्म ज्ञान की नवीनता है; इससे ही ज्ञानी, योगी आत्मा बन सकते; तो सम्पूर्ण लगाव-मुक्त हो प्रकृति को भी पावन करने की सेवा करते!


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Murli Yog 30.9.24

Murli Yog 30.9.24

ऊंची, परम गोद की पावन पालना के नशे, मस्ती में बैटरी चार्ज की उन्नति कर लक्की, चैतन्य, दिव्य ✨, प्यारा ❤️, पूज्य फरिश्ता 🧖 बनना; सबको भगवान् 🛐 से मिलाने की गुण 🌈, विशेषता धारण कर; सेवा में हड्डियां स्वाहा करके… Murli Yog 30.9.24!

वह ऊंच ते ऊंच रूहानी बाप, निराकार पतित-पावन, परमपिता परमात्मा परमधाम-निवासी शिवबाबा… ज्ञान सागर 🌊 होने कारण हमें राजयोग का ज्ञान, मन्त्र भी देते; सुधार, पालना के लिए पढ़ाई, शिक्षा भी देते… स्व-चिन्तन में मस्त रह उन्नति में टाइम सफल करो; अपनी घोट तो नशा चढ़े!

तो जबकि हम बाबा की गोद में है; अभी याद की हाइएस्ट युक्ति, मूल बात, नम्बरवन सब्जेक्ट द्वारा… सतोप्रधान बन, बैटरी चार्ज कर पूज्य ✋🏻, चैतन्य देवता बनना है… ऊंच, नम्बरवन, प्यारा श्रीकृष्ण सो लक्ष्मी-नारायण 🫅🏻👸🏻 बनना… नई दुनिया 🌏, स्वर्ग के वर्से में!

तो बाबा इस पुरूषोत्तम संगम पर भाग्यशाली रथ द्वारा श्रीमत देते… हम कोटों में कोई विरल आत्माओं; अच्छा पढ़ने वाले लक्की, मीठे बच्चों को!

आत्मा का ही कनेक्शन शिवबाबा के साथ है (हम उनके बच्चे है!)… हम आत्मा ही उस मूलवतन, निराकारी सृष्टि के स्टॉक से यहां आये, शरीर धारण कर जीव-आत्मा बन पार्ट बजाती… अब वहां वापस जाना हैं (शरीर तो जल जायेगा!)

पहले सूक्ष्मवतन-वासी फरिश्ता बनेंगे… (हड्डी-मास बिना; क्योंकि हड्डियां 🦴 तो दधीची ऋषि मिसल यज्ञ-सेवा में स्वाहा कर दी!)… फरिश्ता जीवन कर्मातीत होने कारण शुद्ध वा पीछले कर्मों के बन्धन से भी न्यारे है; इसीलिए हमारी विशेषता में ‘इच्छा मात्रम अविद्या’ का गायन है!

हम रूहानी सोशल वर्कर सबको भगवान् 🛐 से मिलने का ठिकाना दिलाते… सब अच्छे गुण 🌈, विशेषता, सेवा दाता की देन है; इस स्मृति 💭 से लगाव-मुक्त, आकर्षण-मुक्त 🧲, प्रभाव-मुक्त रहते!


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