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एक-दो के विचारों 💭 का… सम्मान रखने वाले… हम माननीय आत्मा ⭐ हैं!
अनादि स्वरूप में स्थित रहते… इसलिए हम ब्राह्मणों का विशेष लक्षण है; सदा स्वयं से सन्तुष्ट ☺️ रहना, सबको सन्तुष्ट करना… तब ही आगे बढ़ते!
इस कल्याणकारी 💫 युग में… हम कल्याणकारी स्वयं-सर्व का कल्याण करते (प्रकृति को भी सुखदाई बनाते!)… तो अकल्याण की हलचल का प्रभाव पड़ नहीं सकता; हम प्रकृतिजीत, मायाजीत है!
ओम् शान्ति 😌 अर्थात्; मैं (अनादि से) शान्त स्वरूप आत्मा हूँ… अभी भ्रकुटी में बैठ; कानों द्वारा यह रूहानी पढ़ाई सुन रही… याद द्वारा श्रेष्ठ, पावन; फिर से सतोप्रधान सुखी देवता बन रही!
तो निराकार परमपिता अपनी ईश्वरीय मत द्वारा… हमें सर्व खज़ानों 🪙 से मालामाल कर… स्वर्ग के मालिक 👑, सदा सुखी 😀 बनाते!
कैसे इन मीठी-मीठी लवली 💞, रमणीक, दिल ❤️ को छूने वाली बातों द्वारा… मन्मनाभव के महा वशीकरण मंत्र में हमें स्थित 🎯 करते… फिर हम भी भूँ-भूँ 🐝 कर आप समान 🧖 बनाते (और राजतिलक पाते 🎉!)
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