Revealing the Truth! | Avyakt Murli Churnings 24-11-2019

Revealing the Truth! | Avyakt Murli Churnings 24-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. सत् बाप-टीचर-गुरू बाबा ने… हमें सत्य-अविनाशी ज्ञान-प्राप्ति-स्नेह-परिवार से अपना शक्ति-स्वरुप बच्चा बनाया है… ऐसे सबको बनाना है

2. स्नेह-सम्पर्क वा शान्ति-राजयोग का आकर्षण तो अच्छा है, अब कहे यह एक ही सत्य बाप का सत्य रास्ता है (तब विश्व-शान्ति वा प्रत्यक्षता होंगी)… जबकि अपना ही श्रेष्ठ-पवित्र स्टेज-वातावरण है, तो बाबा के सत्य ज्ञान का स्पष्ट परिचय देना है (कैसे यह नया-विशेष ज्ञान, श्रेष्ठ कर्तव्य है, नया युग लाने वाला… भगवान् ही यह कर सकता… निर्माणता-रहम से)… अपने अनुभव-प्राप्तियों के आधार से समझाना है:

  • सर्वव्यापी के बदले… कैसे एक रूप से याद करने से सर्व प्राप्ति होती
  • कैसे परमधाम में बाबा को याद करने से बुद्धि सहज एकाग्र होती
  • बाबा से सम्बन्ध द्वारा प्राप्तियां… कैसे भगवान् ही सत्य बाप-गुरू हो सकता
  • ड्रामा की नई पॉइंट्स… कैसे सतयुग आना है

अन्त में चार्टर आदि देने के साथ, बातों में इस ज्ञान की नवीनता भी स्पष्ट करनी है, आध्यात्मिक ज्ञान-शक्ति क्या चीज़ है, यह डायरेेक्ट भगवन् का कार्य चल रहा… नम्रता से, ताकि दर्द भी न हो, खुशी से नाचने लगे… हल चल गया, है, अब बीज डालना है

पार्टियो से

1. हम ब्रह्मा-बाप के आह्वान-स्नेह-सहयोग से जन्में अच्छे-तन्दुरस्त बच्चें है… इसलिए हमारा ब्रह्मा-बाबा से विशेष स्नेह है, चित्र में चैतन्यता, आकार में साकार अनुभव होता… उन जैसी सेवा की लगन है

2. जुबली भी गोल्डन, और स्वयं भी गोल्डन (अर्थात्‌ स्व-सेवा की उन्नति का बैलेन्स), तब ही ब्लैसिंग ले-दे सकते… प्लान रूपी बीज में स्व-स्थिति की शक्ति भरने से ही श्रेष्ठ फल निकलेगा

3. हम कहाँ भी रहते, हर संकल्प-सेकण्ड सेवा ही है…. हमको देखने से ही बाबा याद आते, ऐसे सफलता-मूर्त हो जाना है… सेवा का चक्कर लगाना अर्थात्‌ सब की उन्नती कराना, बाबा से प्राप्त स्नेह-सहयोग की शक्ति सबको बांट, उमंग-उत्साह में उड़ाना… साथ में नवीनता-रमणीकता-टोटके भी हो

सार (चिन्तन)

जबकि बाबा की प्रत्यक्षता तो निश्चित भावी है… सदा अपने सत्य स्वरुप में स्थित हो, सत्य बाप से सर्व प्राप्तियां अनुभव करते… स्व-सेवा के बैलेन्स द्वारा सब को स्नेह-सहयोग की शक्ति बांटते, अपने अनुभव-प्राप्तियों द्वारा बाबा के सत्य ज्ञान को प्रत्यक्ष करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Achieving the highest position! | Sakar Murli Churnings 23-11-2019

Achieving the highest position! | Sakar Murli Churnings 23-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम लकी सितारे जितना आत्मा समझ सर्वशक्तिमान बाबा को याद करते (बाकी सब भूल)… उतना पवित्र बन, मुक्ति-जीवनमुक्ति में पहुँच जाते (नई-सतोप्रधन दुनिया स्वर्ग-शिवालय के मालिक, 21 पीढ़ी सुख-धन सम्पन्न)…

2.

  • जितना पुरूषार्थ, उतना पद… (हमें तो पास विद् आनर लक्ष्मी-नारायण बनना है)
  • इसलिए चार्ट रखना है… (हमारा बाप-टीचर-सतगुरु बैठा है; हमें पावन बनने का रास्ता दे, फिर साथ ले जाने)
  • फॉलो फादर करना है

3. हम सारे चक्र को जानते (तो अच्छे से खूब सेवा करनी है… इसके लिए होशियार बनना है, चित्र तो हमारे पास है, गाँव-गाँव में सेवा करनी है)

चिन्तन

जबकि हमें विश्व का सर्वश्रेष्ठ पद लक्ष्मी-नारायण बनने का चान्स मिला है… तो सदा श्रेष्ठ संकल्पों में रमण करते, दिन में बार-बार बुद्धि की तार बाबा से जोड़ते… सदा अपने अन्दर शान्ति-प्रम-आनंद की ऊर्जा बढ़ाते, सहज परिवर्तन अनुभव करते, सदा खुश रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The single wonder of the world! | Sakar Murli Churnings 22-11-2019

The single wonder of the world! | Sakar Murli Churnings 22-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम पर, हम श्रीमत पर अपने को आत्मा समझ निराकार पतित-पावन शिवबाबा की सहज याद-योग में ज्ञान-सहित बैठते… अर्थात्‌ हम जानते इससे पाप-कट पावन-सतोप्रधान (श्रृंगारे हुए कंचन-सच्चा सोना) बन… नई-पावन दुनिया स्वर्ग के मालिक बनते, लम्बी आयु-नेेचुरल ब्यूटी वाले-धनवान पद्मापद्म भाग्यशाली श्रेष्ठाचारी देवता-रूप में … हम सारे चक्रड्रामा को जानते

2. तो बाबा का हाथ पक्का-एकरस पकड़ कर रखना है… याद में रहने से ही माया से बच सकते… सबकी सेवा करते रहना है

3. माया मेहनत कराती, बाबा की छत्रछाया मौज में रखती (विजयी होने का सम्पूर्ण निश्चय)… ऐसे मौज में रहना-करना ही सच्ची सेवा है

चिन्तन

जबकि हम सच्चे-सच्चे वन्दर ऑफ वर्ल्ड सतयुग में जा रहे (जहां सम्पूर्ण सुख है)… तो सदा अपने को दिव्य आत्मा समझ, ज्ञान-योग-ईश्वरीय मर्यादा-सम्पन्न दिनचर्या बनाकर… सदा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति बनाकर हर कार्य करते, सब के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण बन आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming Mayajeet through honesty & Baba’s protection! | Sakar Murli Churnings 21-11-2019

Becoming Mayajeet through honesty & Baba’s protection! | Sakar Murli Churnings 21-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हम रूहानी बच्चें उसी रूहानी-Incorporeal बाप-ईश्वर के सामने बैठे हैं… जिससे 5000 वर्ष पहले जुड़ा हुए थे… वह अभी आए हैं पुराने-तन में, फिर से दुनिया को नई बनाने

2. तो उनकी श्रीमत पर चल कल्याण-ऊँच पद जरूर पाना है… मुख्य बात, अच्छे से पढ़कर-पढ़ाना, याद द्वारा पुण्य आत्मा-मुलायम बनना, अपना सच्चा-सच्चा चार्ट रखना… तब ही सच्ची खुशी वा बाबा की रक्षा का अनुभव होगा, बाबा का शो करेंगे… बाकी ड्रामा में सबका पार्ट accurate है, माया भी बड़ी दुस्तर-आकर्षक है

3. “आप और बाप” को कोई जुड़ा नहीं कर सकता… हम कभी अकेले नहीं, बाबा को बुलाते ही सेकण्ड में उसका साथ-सहयोग मेहसूस होता… इसी रूहानी नशे में रहना है

चिन्तन

जबकि सर्वशक्तिमान-बाबा सदा हमारे साथ है, हमें मायाजीत बनाने… तो सदा ज्ञान-योग द्वारा उसकी सूक्ष्म उपस्थिति को मेहसूस कर, बार-बार उससे बातें करते, सच्चे-साफ-ईमानदार रह… हर पल बाबा की रक्षा-छत्रछाया-मर्यादाओं के अन्दर रहते, बहुत तेज़ प्रगति-उन्नती का अनुभव करते… सदा शान्ति-प्रम-आनंद से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The fire of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 20-11-2019

The fire of spiritual knowledge! | Sakar Murli Churnings 20-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम पर सिर्फ… अपने को आत्मा समझ विचित्र बाप-टीचर-जगतगुरू शिवबाबा की याद-योगबल से… पवित्र-सतोप्रधान बन स्वर्ग-हेवन के वर्से के मौलिक बनते

2. तो ऐसे प्यार-ज्ञान रत्नों से मालामाल करने वाले बाप का कितना regard होना चाहिए, सदा श्रीमत पर चलना है… माया तो आएंगी, हमें याद द्वारा खुशबूदार दिव्यगुण-सम्पन्न पवित्र-फुल जरूर बनना है… बाबा को वारिस बनाए, 21 जन्म वर्से के अधिकारी बनना है… बाकी समय थोड़ा है, हमें सारे चक्र का ज्ञान है

चिन्तन

जबकि रोज़ हम हर ज्ञान-रत्नों की वर्षा होती… तो रोज़ सुनने के साथ-साथ, उसको बार-बार पढ़ते-चिन्तन कर उसका योगयुक्त-स्वरुप बन जाएं… तब ही ज्ञान का अग्नि-रूप अनुभव करेंगे, अर्थात्‌ सभी कमज़ोरी स्वाहा हो, सदा दिव्यता-शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रहते-करते… सतयुग बनाते रहेंगे… ओम् शान्ति!


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Gathering happiness! | Sakar Murli Churnings 19-11-2019

Gathering happiness! | Sakar Murli Churnings 19-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. ओम् शान्ति अर्थात्‌ आत्मा स्वयं का परिचय देती, मैं आत्मा उस परमात्मा की सन्तान हूँ, हम स्प्रीचुअल बाप-बघ्चें है… हमें सारे चक्र का ज्ञान है (पहले है दिन-सुख, ज्ञान की प्रालब्ध, सतयुग-त्रेता… फिर है रात-भक्ति-दुःख… फिर पुरानी दुनिया से वैराग्य, बाबा ले जाते घर-विज्ञान में)

2. जो बाबा-टीचर से सुना, वह सब को सुनाना है (समझने वाले समझ जाएंगे!)… मुख्य बात, हम सब आत्माएं भाई-भाई है, पतित-पावन बाबा को याद करना है… जिससे पावन-सतोप्रधान-मायाजीत दिव्यगुण-सम्पन्न खुश बनते, नई दुनिया वैकुण्ठ-स्वर्ग के मालिक

3. एकरस खुश मूड के लिए मन से सबको सुख शान्ति प्रेम की अंचली देने वाला देवता-दाता रहना है

चिन्तन

जबकि हम आधा-कल्प का सुख जमा कर रहे, तो सदा खुश रह सबको खुशियां लुटाते रहे… इसलिए सदा पुराने संस्कारों से बचने-समाप्त करने, ज्ञान-योग-सेवा सम्पन्न दिनचर्या में बिजी़ रह… सदा अपने योग के चार्ट को बढ़ाते, अपनी सतोप्रधान शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति तक पहुंचते-पहुंचाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The divine love-marriage! | Sakar Murli Churnings 18-11-2019

The divine love-marriage! | Sakar Murli Churnings 18-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

इस संगम-यूनिवर्सिटी-ब्रह्मा तन द्वारा स्वयं बाप-टीचर-सतगुरु-मार्शल शिवबाबा हमें rejuvenate-श्रृंगार करते… आत्मा समझ बाबा को प्यार से याद कर सतोप्रधान बनने के साथ, बहुत दिव्यगुण-सम्पन्न खुशी-नशा-उमंग-रोयल्टी रहें, कि… हम श्रीमत पर परिस्तान-स्वर्ग-सुखधाम के मालिक बन रहें (जहां लम्बी आयु, गोल्डन स्पुन इन माउथ होगा)… तो कीचड़पट्टी-ख्याल-कमी-लूनपानी-शो-अभिमान से परे, अन्तर्मुखी-साफ-स्वच्छ रहेंगे

चिन्तन

जबकि हमारी बाबा के साथ लव-मैरेज हुई है, तो सदा समर्पित-बुद्धि बन… व्यर्थ-हद की बातों से परे रह, बाबा के श्रेष्ठ ज्ञान-योग के ख्यालो में अपनी आंतरिक कमाई-शक्ति को बढ़ाते… गहरी-अलौकिक शान्ति-प्रेम-आनंद की दिव्य अनुभूति से सम्पन्न रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Revealing the golden future! | Avyakt Murli Churnings 17-11-2019

Revealing the golden future! | Avyakt Murli Churnings 17-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. सभी स्नेह के रीटर्न में सम्पन्न-सम्पूर्ण (वा बाबा के नूर-रत्न, दिल-तख्तनशीन) बनने के श्रेष्ठ संकल्प-पुरूषार्थ में उमंग-हिम्मत से आगे बढ़ रहे… बाबा भी देखते एक बाबा-श्रीमत-लक्ष्य-घर-राज्य की लगन में उड़ रहे हैं… याद-सेवा ही हमारा जीयदान है, जो मायाजीत रखता

2. इस गोल्डन जुबली में सबको गोल्डन एज के सुनहरे युग-समय का सुनहरा सन्देश देना है… जिससे सब अंधकार से रोशनी, ना-उम्मीद से उम्मीद के सितारे-सूर्य, दिलशिकस्त-भय-मूंज से सतयुग-स्थापना की खुशखबरी में आएं (जैसे हम सुखधाम की तैयारी में दुःखधाम से परे रहते)…

3. शान्ति-स्नेह रूप के साथ अब सत्य-परमात्म-शक्तिशाली ज्ञान भी प्रत्यक्ष होंगा (सब वर्से के अधिकारी बनेंगे)… उमंग से वातावरण बनता, जो सब को आकर्षित करता… सब “अच्छा है” से अब “यही है” पर आएंगे

पार्टियों से

1. बाबा हमें चला रहे, यह बहुत न्यारा-प्यारा अनुभव है… हिसाब चुक्तू में साक्षी हो, बाबा के साथी-पन की मौज में रहना है (तो कुछ नहीं लगेगा)… हम स्वयं की श्रेष्ठ-स्टेज के साथ सेवा-स्टेज पर सदा है… कर्मभोग नहीं कर्मयोग की शक्ति है, भोगना नहीं सेवा की योजना है… सदा “वाह रे मैं

2. हम बाबा के चरित्रों का दर्शन कराने वाले दर्पण है, बाबा के सिरताज की मणियां

3. बाबा से जो ज्ञान की दिव्य-दृष्टि का शक्तिशाली-वरदान मिला, उसे यूज करते हैं… सभी साधन (लिटरेचर-चित्र-भाषण-सम्मेलन) एक-साथ संस्था को प्रत्यक्ष कर, सबको समीप लाते (साकार को भी लिटरेचर में बहुत रूचि थी)… सफलता तो हुई पड़ी है, फिर भी जितना प्लानिंग करते, उतना बल मिलता

4. डबल-लाइट रहने में ही मौज है, तब ही संगम का समय सफल होता (कमाई में)… इसलिए सदा ज्ञान-योग-सेवा में मस्त रहना है, राजयुक्त-योगयुक्त… बड़ों की विशेषताएं-धारनाएं कैच कर, फॉलो कर, समीप माला में आना है

सार

सदा अपनी सम्पन्न-सम्पूर्ण स्थिति का अनुभव कर, बाबा के साथी दिल-तख्तनशीन, राजयुक्त-योगयुक्त बन… सदा एक श्रीमत के लगन में, याद-सेवा में मस्त, डबल-लाइट मायाजीत रह… सब को सुनहरे युग का सुनहरा सन्देश दे प्रत्यक्षता लाते, वारिस बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The power of remembrance! | Sakar Murli Churnings 16-11-2019

The power of remembrance! | Sakar Murli Churnings 16-11-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार (चिन्तन)

सदा देही-अभिमानी बन सर्वशक्तिमान पतित-पावन बाबा की याद द्वारा पावन-सतोप्रधान-हर्षित-खुशनुमा-शक्तिशाली बन, सदा servant बन सबका कल्याण करते… इसी को अपना जीवन बनाते निर्बन्धन रहते, माया-चूही के अंश-मात्र से भी सावधान रह, उसे डोंट केयर कर सदा इस दी बेस्ट पढ़ाई में लगे रह… सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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Being a carefree emperor through fast efforts! | तीव्र पुरूषार्थ द्वारा बेफिक्र बादशाह | Baba Milan Murli Churnings 15-11-2019

Being a carefree emperor through fast efforts! | तीव्र पुरूषार्थ द्वारा बेफिक्र बादशाह | Baba Milan Murli Churnings 15-11-2019

1. उठते-कर्म करते भी बाबा ने हमारी फिक्र लेकर फखुर (ईश्वरीय नशा) दे, बेफ़िक्र बादशाह बना दिया है… यही जीवन प्यारी-प्रिय है, जिसकी निशानी मस्तक में लाइट-आत्मा दिखती… अगर फिक्र-बोझ आ भी जाए, तो:

  • बाबा को देकर, फिर से बेफ़िक्र हो जाना
  • हद के मेरे को तेरे में परिवर्तन करना… हम तो कहते ही हैं मेरा बाबा (सबकुछ तेरा)
  • स्मृति में लाना… हम तो है ही प्रकृति-जीत विकार-जीत, तो फिक्र किस बात की?
  • याद करना… भक्ति में भी हमारे चित्रों में दो ताज दिखाते (बेफ़िक्र-लाइट का ताज, विकारों पर विजयी का ताज)

2. बादशाह होने के साथ तख्त भी चाहिए… हमें तीन तख्त मिले है (भ्रकुटी, बाबा का दिलतख्त, भविष्य-राज्य तख्त)… सर्वश्रेष्ठ दिलतख्त में सदा बैठने लिए:

  • बाबा को अपने दिलतख्त पर बिठाना
  • अपनी सर्वश्रेष्ठ मास्टर सर्वशक्तिमान की स्थिति में स्थित रहना
  • देह-भान की मिट्टी से परे रहना

3. यह समय बहुत क़ीमती है (अचानक कुछ भी होना है, और अभी ही जन्म-जन्म की प्रालब्ध बना सकते)… इसलिए अपने समय-संकल्प पर अटेन्शन दे, व्यर्थ का त्याग करना है (तीव्र पुरूषार्थ अर्थात्‌ ही सेकण्ड में बिन्दी)… क्योंकि हमें तो सबको सुख-शान्ति दे, वर्से के अधिकारी बनाना है… हिम्मत द्वारा मदद अवश्य मिलती

4. जबकि बाबा और हमारा वायदा है साथ चलने का, तो इसकी तैयारी भी हो (बाबा हमें अकेला नहीं छोड़ना चाहते)… सेकण्ड में बिन्दी लगाए सम्पन्न-सम्पूर्ण बन सके… सेवा भी कर ली हो (सब को सन्देश दिया हुआ हो, कि बाप आए है वर्सा देने, फिर कोई उल्हाना न दे)

5. बाबा की आश है, हम समान और सम्पूर्ण बने (हम ही बाबा की आशाओं के सितारे हैं)… प्यार में तो सभी फुल-पास है

पार्टियों से

1. मधुबन सेवा का बल-फल मिला (जबकि हमने निर्विघ्न सेवा से सबको सन्तुष्ट किया है)… ईश्वरीय परिवार से मिलने-सेवा करने का भाग्य मिला, खुश रहें और सबको खुशी देकर ली

2. पुरुषार्थ-सेवा में उमंग का संस्कार अच्छा है… अब बाबा की आशाओं को पूर्ण कर, तीव्र पुरूषार्थी बनना-बनाना है

3. लास्ट आते भी लास्ट सो फास्ट जाने लिए… बाबा ने हमारे तीव्र पुरूषार्थ के लिए दृढ़ता की चाबी की सौगात दी है 

सार (चिन्तन)

सदा दृढ़ता की चाबी द्वारा मेरे को तेरे में परिवर्तन कर बेफ़िक्र बादशाह बन, बाबा को अपने दिलतख्त पर बिठाकर मास्टर सर्वशक्तिमान समान-सम्पूर्ण स्थिति का अनुभव करते … सदा तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सेकण्ड में बिन्दी लगाए, व्यर्थ से परे रह… सबको ईश्वरीय सन्देश दे सुख-शान्ति से सम्पन्न करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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