Being virtuous! | Sakar Murli Churnings 05-10-2019

Being virtuous! | Sakar Murli Churnings 05-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम पर स्वयं बाप-टीचर-सतगुरु बाबा हमें पढ़ाकर मुख्य श्रीमत देते, कि अपने को आत्मा समझ पतित-पावन बाबा को याद करो, माया से बचे रह… जिससे पावन-निर्विकारी, गुल-गुल गुणवान सुखदाई-मीठे सिविल-आई सहनशील बनते… हम पुरुषार्थ कर ऊँच पद पाते, लक्ष्मी-नारायण बनते, नई दुनिया-स्वर्ग में

2. औरों के भी दुःख दूर कर, उनका कल्याण करना है (हम है always on godly service, सिर्फ त्रिमूर्ति-गोला-झाड़-सीढ़ी गीता-भगवान के चित्र से भी सेवा कर सकते)… हमें सारा ज्ञान समझ आ गया है, हम पद्मापद्म भाग्यशाली है, तो विकारी मर्यादाओं से परे रहना है

चिन्तन

जबकि बाबा हमें सर्वगुण-सम्पन्न देवता बनाने आए हैं… तो याद रखे, जब हमारी स्थिति श्रेष्ठ है, तो स्वतः हम गुण-सम्पन्न रहते… तो स्थिति श्रेष्ठ रखने, सदा मन को ज्ञान-चिन्तन में बिजी व्यर्थ-मुक्त रख, विशेष समय निकाल शक्तिशाली याद में बैठते, सदा श्रेष्ठ सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a Genie! | Sakar Murli Churnings 04-10-2019

Becoming a Genie! | Sakar Murli Churnings 04-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. बाबा मोस्ट-ओबीडियन्ट-सर्वेन्ट बन इस संगम-स्कुल में हमें राजयोग पढ़ाने आते, यह सबसे बड़ी आशीर्वाद है… हमें श्रीमत मिली हैं, सिर्फ चलते-फिरते सबकुछ करते (और बुद्धि से भूल), अपने को आत्मा समझ मोस्ट-बिलवेड पतित-पावन बाबा को याद करने से ही पाप-कट सतोप्रधान बनते, कमाई होती, श्वास सफल होते, अन्त मती सो गति (भल माया आए, हमें जिन्न-समान एक बाप को याद करना है, याद की रेस करनी है)… हमें सारे चक्र-ड्रामा का ज्ञान है, हम सम्पूर्ण निश्चय-बुद्धि है

2. मम्मा-बाबा समान धारणा-मूर्त बनना है… जो कर्म हम करेंगे, हमे देख सब करेंगे… सब की सेवा करनी है, टाइम वेस्ट नहीं करना, अपना कल्याण करना ही बाबा के लिए सबसे बड़ी मदद है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… जिन्न का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण ले, सदा अमृतवेला-नुमाशाम के अलावा भी, बीच-बीच में ज्ञान-योग के लिए समय चुराते… सदा श्रेष्ठ योगयुक्त शान्ति-प्रेम-आनंद, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न स्थिति का अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Being light! | Sakar Murli Churnings 03-10-2019

Being light! | Sakar Murli Churnings 03-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. हमें ऊँच-ते-ऊँच विदेही मात-पिता रूद्र-शिवबाबा पढ़ाकर 21 जन्म सुख का वर्सा देते, सतोप्रधान-ब्यूटीफुल-देवता रूप में (तन-मन-प्रकृति सहित)… मुख्य है पवित्र चलन, यही सुख-शान्ति (हल्के-पान) की जननी है, जिसके लिए चाहिए योगबल… हमें सारे चक्र का ज्ञान है

2. हम औरों को भी आप-समान बनाते, पद्मापद्म भाग्यशाली है… सिर्फ माया से बचे रहना है

चिन्तन

जबकि बाबा हमें सर्व दुःखों से हल्का करने आए हैं… तो सदा मन को व्यर्थ-मुक्त ज्ञान-चिन्तन में लगाकर, सदा बाबा से combined रह (बातेँ करते), अतीन्द्रिय सुख-आनंद में जुलतेशक्तिशाली बन, परिस्थितियों से परे रहते-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The single opinion! | एकमत | Sakar Murli Churnings 02-10-2019

The Importance of One | एक का महत्व | 25-11-2018 Avyakt Murli Churnings image

The single opinion! | एकमत | Sakar Murli Churnings 02-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

इस संगम पर हम सब ब्रह्मा-तन में आए हुए ज्ञान-सागर स्प्रीचुअल बाप-टीचर-सतगुरू रूद्र-शिवबाबा की एक मत पर चलते… की अपने को आत्मा-रॉकेट समझ पतित-पावन बाबा को याद करने से सब माया-पाप-भूत भाग जाते, हम गुणवान पुण्य-आत्मा बनते, नई-सतोप्रधान दुनिया अमरलोक-शिवालय में (वाया मुक्ति-निर्वाण-स्वीट silence)… हमें सारे चक्र का सम्पूर्ण ज्ञान है

चिन्तन 

जबकि हमको एक सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय मत मिली है, तो उसे सम्पूर्ण रीति धारण कर… अर्थात सब कार्य करते, सदा ज्ञान-चिन्तन वा बाबा से प्यार भरे योग-अभ्यास से सम्पन्न ईश्वरीय दिनचर्या को धारण कर… सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Becoming a Maharathi! | Sakar Murli Churnings 01-10-2019

Becoming a Maharathi! | Sakar Murli Churnings 01-10-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस संगम पर भाग्यशाली-रथ (लोंग-बुत) द्बारा स्वयं बेहद-सुप्रीम-स्प्रीचुअल पतित-पावन बाप-टीचर-सतगुरु हमें अलौकिक-राजयोग की पढ़ाई पढ़ाते, हम उन्हें याद करते (अपने को आत्मा समझ… आत्मा ही पढ़ती, संस्कार बनाती) … जिससे 21 जन्मों के लिए सुख-जीवनमुक्ति का वर्सा मिल जाता (वाया स्वीट-silence होम), हमें सम्पूर्ण निश्चय है… बीज़-रूप ज्ञान-सागर बाबा नें हमें सबकुछ समझा दिया है

2. जो बाबा के ज्ञान को सम्पूर्ण रीति धारण करते, उन्हें ही महारथी कहते… फिर अनेकों को अच्छे से सुनाकर, विश्व-कल्याणकारी भी बनना है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… सच्चा महारथी बनने, ज्ञान को चिन्तन द्बारा सम्पूर्ण रीति धारण कर श्रेष्ठ योगयुक्त जीवन बनाए… धारणा-मूर्त, ईश्वरी दिनचर्या का प्रूफ दे… सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The joy of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 30-09-2019

The joy of Shrimat! | Sakar Murli Churnings 30-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

याद से पाप-कट हो पावन-सतोप्रधान बनते, श्रीमत पर चलने वालो को यह राय बहुत अच्छी लगेंगी (जो आज्ञाकारी-फरमानवरदार है, बाबा को फॉलो करते)… उनका दीप जागृत हो (21 जन्मों के लिए ज्ञान-घृत भर जाता, सुधर जाते, क्रोध भूत से परे), और ऊँच पद पाते सुखधाम में, यह कल्प-कल्पान्तर की बाजी़ है … बाबा पर कुर्बान हो, सब की सेवा करते रहते

चिन्तन

जबकि हमें सर्वश्रेष्ठ बाबा की श्रीमत मिल गई है, तो सदा माया-व्यर्थ को डोंट केयर कर… सदा बाबा की दी हुई श्रेष्ठ दिनचर्या और मनचर्या (ज्ञान-योग युक्त जीवन) को फॉलो कर, समस्याओं को बाबा पर अर्पण कर, सहज शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर, सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति! 


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Illuminating Baba’s name! | (74th) Avyakt Murli Revision 01-11-70

Illuminating Baba’s name! | (74th) Avyakt Murli Revision 01-11-70

1. बाबा कितनी दूर से हमारे लिए आते, फिर भी कहते बच्चों का स्नेह ज्यादा है… जबकि दुनिया में सबकुछ पुराना है (सम्बन्ध-सम्पत्ति-पदार्थ), तो अभी सिर्फ अपने-बाप के गुप्त रूप को प्रत्यक्ष करना है… इसके लिए अन्तर शब्द याद रखना:

  • अन्तर (compare) करना बाबा से
  • अन्तर रहना (अन्तर्मुखी)

2. फरिश्ते अर्थात सदा धरती के आकर्षण से ऊपर, जबकि बाबा के साथ जाना है, समान बनना है… यह है भी सहज, जबकि सर्व समर्पण हो गए

सार

जबकि बाबा हमारे लिए दूर से आये, तो सदा सर्व समर्पण के भाव द्बारा अन्तर्मुखी बन फरिश्ता स्वरुप का अभ्यास करते बाबा को साथ रखे… सदा बाबा से compare करते, बाप-समान बन उनको प्रत्यक्ष करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The most fortunate birth! | Avyakt Murli Churnings 29-09-2019

The most fortunate birth! | Avyakt Murli Churnings 29-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. भोलेनाथ भोला-भण्डारी बाबा हम स्नेही-सहयोगी-सहजयोगी… बालक सो सर्व ख़ज़ानों के मालिक (अभी सो भविष्य 21 जन्मों के लिए) को देख हर्षित-बढ़ाईयां देते… हम भी सदा सम्पन्न, मिलन-मौज में, हर श्वास में खुशी का साज अनुभव करते रहते

2. बाबा के अवतरित होते ही, ब्रह्मा-बाप सो हम ब्रह्माणों का जन्म हो जाता… इसलिए समान-combined बनना हमारे लिए सहज है (बाप-दादा ओर ब्रह्मा-कुमार, नाम भी combined है)

3. स्वयं भगवान-भाग्यविधाता के साथ हमारा भाग्य है (वेला सर्वश्रेष्ठ है, स्वयं भगवान की अवतरण-वेला… और राशि भी मिलती, ब्रह्मा-ब्राह्मण!)

4. सदा अपने को अवतार (विश्व परिवर्तन-कल्याण के निमित्त), दिव्य-जीवनधारी अनुभव करना है… हम डबल-हीरो है (हीरो-पार्टधारी, और हीरे-तुल्य जीवन वाले, जिनकी ओर सब देख रहे)

5. बाबा हमें दो विशेष सौगात देते… हम बाबा के नूरे रत्न, सदा बाबा के नैनों के स्नेह में समाए हुए बिन्दु है… और सदा बाबा के हाथ (आशीर्वाद का) और साथ (सहयोग) है

दादियों से

बाबा के स्नेह की भुजाओं में समाए रहने से, मायाजीत रहते… बाबा सदा:

  • बच्चों को अपने विश्व-घर की रौनक के रूप में देखते
  • हमारी गुण-विशेषताओं की माला सदा जपते रहते (बाबा भी नौधा-भक्त है, और फल हमें देते!)
  • याद का respond देते
  • हमारी विशेषताओं की खुशबू लेते

हम आदि रत्नों की बहुत वैल्यू है… हम सबके लिए विघ्न-विनाशक है

सम्मेलन वालों से

हम बाबा के घर में आए हुए बच्चें-अधिकारी, भाग्यवान-महान है (मेहमान नहीं)… अभी सिर्फ दृढ़ता से बाबा की याद द्बारा साथ रहना है, तो हर कार्य सहज-सफल रहेगा… अनुभव प्राप्त करते-बांटते रहेंगे, तो और बढ़ता रहेगा

सार (चिन्तन)

जबकि हमारा जन्म ही सर्वश्रेष्ठ, बाबा के साथ है… तो सदा स्नेही-सहयोगी-सहजयोगी (बाबा से combined) सर्व खजा़ने-खुशी-मौज से सम्पन्न बन… अपने को हीरा-अवतार समझ, सब के विघ्न को समाप्त करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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Spiritual Significance of Diwali | (73rd) Avyakt Murli Revision 29-10-70

Spiritual Significance of Diwali | (73rd) Avyakt Murli Revision 29-10-70

1. दीपमाला अर्थात दिपों की माला… दीप वह अच्छे लगते, जो अटल-अखण्ड होते, अखुट घृत के कारण

2. सफ़ाई-कमाई के आंतरिक लक्ष्य में सन्तुष्ट होने लिए, दिव्यगुणों का आह्वान करना है

3. फिर नए वस्त्र अर्थात नए संस्कार धारण करने है (हर बात में बाबा, और करके हो छोड़ेंगे)… पुराने-पन का चौपड़ा समाप्त

4. फिर ताजपोशी अर्थात अपनी नई-दुनिया के नज़ारे-स्वरूप स्पष्ट दिखाई देंगे (दिव्य-नेत्र से)… अभी-अभी यह बनें… तब ही बाबा के स्नेही, श्रेष्ठ, सम्पूर्णता के समीप कहेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा ज्ञान-घृत से भरपूर बन, अपनी आत्मिक ज्योत को उज्ज्वल-जागृत रख… दिव्यगुणों के नए संस्कार का आह्वान कर, नई दुनिया के नजारे देखते-दिखाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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The most divine decoration! | Sakar Murli Churnings 28-09-2019

The most divine decoration! | Sakar Murli Churnings 28-09-2019

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. इस बेहद की रात-माया से हमें छुड़ाकर… संगम पर ब्रह्मा-तन द्बारा स्वयं जादूगर-साजन-माशूक बाबा ने हमें बहुत सहज याद की यात्रा (मन्मनाभव, जो विचारों से होता, इसलिए चलते-फिरते काम-काज करते भी कर सकते) सिखाया है… जिससे हम साफ-सुन्दर बन लक्ष्मी-नारायण समान श्रृंगारे जाते (दिव्यगुण-स्वभाव भी आ जाते, paradise-अमरपुरी के मालिक बनते)

2. हम परचिन्तन, और बातों में श्रृंगार बुहारते, टाइम वेस्ट नहीं करते)… साथ में ज्ञान का चिन्तन भी करते रहना है… कैसे हम आत्माएं पार्टधारी भाई-भाई है, अब वापिस जाना है, फिर नई दुनिया में आएंगे… अभी हमारी कितनी कमाई हो रही, हम पद्मापद्म भाग्यशाली है 

चिन्तन

जबकि हमारा जन्म-जन्मांतर का सर्वश्रेष्ठ श्रृंगार हो रहा… तो सदा पास्ट-व्यर्थ से परे रह, बाबा के दिव्य ज्ञान-राजयोग का अभ्यास कर… सर्वश्रेष्ठ शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर स्थिति का अनुभव कर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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