Avoiding making ourself an April Fool! | मिया मिट्ठू | Sakar Murli Churnings 01-04-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
जबकि सुखदाई-बाबा हमे सम्पूर्ण सुखी-जीवनमुक्त पावन-देवता बनाने आए है (हम सिताओं को रावन-विकारों से छुड़ाने)… तो खुशी से पढ़, सदा अपने को बिन्दी-स्टाॅर आत्मा समझ सत्-चैतन्य पतित-पावन बिन्दी-परमात्मा को याद कर पावन-सतोप्रधान बन जाए (हमें 16 कला तक जाना हैं, इसलिए मिया-मिट्ठू नहीं बनना)… और सेवा कर ऊँच पद पाना है (हम इस पूरे हार-जीत के खेल को जानते)
चिन्तन
जबकि 16 कला सम्पूर्ण देवता बनना कितनी ऊँची-wonderful मंजिल है, तो अपने को ही मिया-मिट्ठू अप्रैल-फूल बनाने के बदले… सदा ‘तीव्र-पुरूषार्थी भव’ के वरदानी-स्वरुप बन, मन के संकल्पों को धैर्यवत-आत्म अभिमानी रख… “मैं पवित्रता के सागर की सन्तान हूँ” स्मृति द्वारा बाबा से पवित्रता की शक्ति लेते रह, स्वतः सभी कमजोरीयों से परे शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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