अपने स्वमान-धारी स्वराज्य-अधिकारी स्वरूप की स्मृति के अनुभवी-मूर्त बन अपनी किरणो-चेहरे द्वारा सेवा करना | Baba Milan Murli Churnings 19-12-2020
1. यह संसार है छोटा लेकिन अति प्यारा है क्योंकि एक-एक श्रेष्ठ, कोंटों में कोई, बाप के वर्से के अधिकारी आत्मायें हैं, राजा बच्चा है। सभी स्वराज्य अधिकारी हैं अर्थात् मन-बुद्धि, संस्कार, कर्मेन्द्रियों के राजा हैं। मन के भी मालिक हैं, कहते ही हो मेरा मन, तो मेरे के आप मालिक हो।
2. कितने स्वमानों की लिस्ट आपके सामने आती। अनादि स्वरूप में बाप के साथ-साथ चमकती हुई आत्मा। सतयुग आदि में कितना श्रेष्ठ सुख स्वरूप, सर्व प्राप्ति स्वरूप है। पूज्य स्वरूप, कितने सभी भावना से कायदे प्रमाण पूजा करते हैं। संगम पर स्वयं भगवान आप बच्चों में पवित्रता की विशेषता भरता, जो पवित्रता आपके सर्व अविनाशी सुखों की खान है।
3. पवित्रता सर्व प्राप्तियों का आधार है, पवित्रता से आप सभी मास्टर सर्वशक्तिमान बन गये, तो सर्वशक्तियां प्राप्त हैं? स्मृति की सीट पर स्थित हो जाओ तो सर्व शक्तियां आपके पास समय पर बंधी हुई हैं आने के लिए क्योंकि सर्वशक्तिमान बाप ने आपको मास्टर सर्वशक्तिमान बनाया है। तो इतने पावरफुल स्वमानधारी बन चल रहे हो ना?
4. अपनी दिनचर्या सेट करो, बीच-बीच में यह अपने स्वमान के स्मृति स्वरूप में स्थित रहो। यह चलते फिरते भी कर सकते क्योंकि मन को सीट पर बिठाना है। अपने पुराने संस्कारों के लिए ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। एक स्वयं के लिए और दूसरा ज्वालामुखी योग द्वारा औरों को भी लाइट-माइट रूप होने कारण, उन्हों को भी अपनी किरणों द्वारा सहयोग दे सकते, समय अनुसार अभी आत्माओं को आपके सहयोग की आवश्यकता है।
5. आप सिर्फ योग लगाने वाले नहीं हो, योगी जीवन वाले हो। तो जीवन सदा रहती है, कभी-कभी नहीं। प्यार में तो बहुत करके पास हैं, तो प्यार माना क्या? प्यार वाला जो कहे वह करना ही है। लक्ष्य रखो कि हमें बाप समान बनना ही है! एक-एक बच्चा ऐसा खुशनुमा, खुशनसीब दिखाई दे, अभी आपका चेहरा बहुत सेवा करेगा, आपका चेहरा आत्माओं को चियरफुल बना दे।
6. अमृतवेले बैठते सभी अपने रूचि से हैं लेकिन सबसे बड़ी अथॉरिटी है अनुभव की। स्मृति स्वरूप अनुभव हो, अनुभव में खो जाये इसको अभी और आगे बढ़ाना होगा, क्योंकि अनुभव कभी भी भूलता नहीं, अपने पुरूषार्थ में भी बहुत मदद करता। अनुभव स्वरूप की स्थिति सदा समाई हुई रहती है, उसकी शक्ल, चलन सेवा करती है।
7. बापदादा यादप्यार के साथ स्मृति दिला रहे कि अब संगम का समय कितना श्रेष्ठ सुहावना हैं, सर्व खज़ाने बाप द्वारा प्राप्त होते, एक-एक सेकण्ड महान है इसलिए संगम के समय का मूल्य सदा बुद्धि में रखो। अप्राप्त नहीं कोई वस्तु हम ब्राह्मणों के दिल में। पाना था वो पा लिया। अब उसको कार्य में लगाते हुए तीव्र पुरूषार्थी बन समय को समीप लाओ। अच्छा।
सार (चिन्तन)
इस अति-सुहावने संगम-समय के श्रेष्ठ योगी जीवन में… अमृतवेले स्मृति-स्वरुप के अनुभव में खो जाने के साथ, बीच-बीच में भी भिन्न-भिन्न स्वमान की स्मृति द्वारा शक्तिशाली स्वराज्य अधिकारी स्थिति का अनुभव कर… अपने लाइट-माइट स्वरूप की किरणों और खुशनसीब चेहरे द्वारा सबको स्वर्णिम बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!