अपनी आदि-अनादि पवित्रता की महानता से सर्व प्राप्तियां अनुभव करने-कराने लिए फुलस्टाप योगी सम्पूर्ण पवित्र बनो | Baba Milan Murli Churnings 30-01-2021
1. आज बापदादा चारों ओर के महान बच्चों को देख रहे। क्या महानता की? जो दुनिया असम्भव कहती है उसको सहज सम्भव कर दिखाया वह है पवित्रता का व्रत। परिवर्तन का दृढ़ संकल्प का व्रत लिया है। व्रत करना अर्थात् वृत्ति द्वारा परिवर्तन करना। क्या वृत्ति परिवर्तन की? संकल्प किया हम सब भाई-भाई हैं। पवित्रता की वृत्ति अर्थात् हर एक आत्मा प्रति शुभ भावना शुभ कामना। दृष्टि हर एक आत्मा को आत्मिक स्वरूप में देखना स्वयं को भी सहज सदा आत्मिक स्थिति में अनुभव करना। ब्राह्मण जीवन का महत्व मन वचन कर्म की पवित्रता है।
2. ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है पवित्रता और पवित्रता द्वारा ही परमात्म प्यार और सर्व परमात्म प्राप्तियां हो रही। सदा पवित्रता के बल से पवित्र आत्मा को 3 विशेष वरदान मिलते:
- एक स्वयं स्वयं को वरदान देता जो सहज बाप का प्यारा बन जाता।
- वरदाता बाप का नियरेस्ट और डियरेस्ट बच्चा बन जाता इसलिए बाप की दुआयें स्वत: प्राप्त होती हैं और सदा प्राप्त होती हैं।
- तीसरा – जो भी ब्राह्मण परिवार के विशेष निमित्त बने हुए हैं उन्हों द्वारा भी दुआयें मिलती रहती।
तीनों की दुआओं से सदा उड़ता और उड़ाता रहता। सदा रूहानी नशा दिल में फलक रहती है? पवित्रता का फल ही अतीन्द्रिय सुख है। सभीअपने को मास्टर सर्वशक्तिवान कहते हो। मास्टर हैं इसका अर्थ ही है मास्टर तो बाप से भी ऊंचा होता पवित्र आत्मा का मन-वचन-कर्म सम्बन्ध-सम्पर्क स्वप्न स्वत: शक्तिशाली होता है। अमृतवेले विशेष हर एक अपने को चेक करना – कितनी परसेन्टेज़ में पवित्रता का व्रत निभा रहे हैं?
3. समय की पुकार, भक्तों की पुकार, आत्माओं की पुकार सुन रहे हो और अचानक का पाठ तो सबको पक्का हैै। विश्व परिवर्तक अर्थात् आत्माओं को प्रकृति को सबको परिवर्तन करना। पर उपकारी वा विश्व उपकारी बनने के लिए तीन शब्द को खत्म करना – पराचिंतन, परदर्शन, परमत। अभी आवश्यकता है हर एक दु:खी आत्मा को मन्सा सकाश द्वारा सुख शान्ति की अंचली देना। संस्कार ऐसे बनाओ जो दूर से ही आपको देख पवित्रता के वायब्रेशन लें
4. बच्चों से प्यार तो है ना और बच्चों के साथ जाना है अकेला नहीं जाना है। बाप यही चाहते हैं कि मेरा एक बच्चा भी रह नहीं जाए। अमृतवेले से लेके रात तक जो भी हर कर्म की श्रीमत मिली है वह चेक करना। मजबूत है ना! साथ चलना है ना! समान बनेंगे तब तो हाथ में हाथ देकर चलेंगे ना। करना ही है बनना ही है यह दृढ़ संकल्प करना।
5. एक सेकण्ड में परिवर्तन कर फुलस्टाप लगाना इसकी कमी है। लगाना फुलस्टाप है लेकिन लग जाता है क्वामा दूसरों की बातें याद करते यह क्यों होता यह क्या होता इसमें आश्चर्य की मात्रा लग जाती। और क्वेश्चन की क्यू लग जाती। तो इसको चेक करना। अगर फुलस्टाप लगाने की आदत नहीं होगी तो अन्त मते सो गति श्रेष्ठ नहीं होगी। एक सप्ताह फुलस्टाप सेकण्ड में लगाने का बार-बार अभ्यास करो। अभी फास्ट तीव्र पुरूषार्थ करो। अभी ढीला-ढाला पुरूषार्थ सफलता नहीं दिला सकेगा।
6. प्युरिटी को पर्सनैलिटी, रीयल्टी, रॉयल्टी कहा जाता है। तो अपनी रॉयल्टी को याद करो:
- अनादि रूप में भी आप आत्मायें बाप के साथ अपने देश में विशेष सितारा चमकते हो।
- फिर सतयुग में जब आते हैं तो देवता रूप की रॉयल्टी याद करो। सभी के सिर पर रॉयल्टी की लाइट का ताज है।
- द्वापर में आपके चित्रों की पूजा और आपके चित्रों की विशेषता कितनी रॉयल है। चित्र को देख कर ही सब खुश हो जाते हैं। चित्रों द्वारा भी कितनी दुआयें लेते हैं।
- यह सब रॉयल्टी पवित्रता की है। पवित्रता ब्राह्मण जीवन का जन्म सिद्ध अधिकार है। बच्चा पहले आता है तो बाप का वरदान कौन सा मिलता? पवित्र भव योगी भव। तो दोनों बात को एक पवित्रता और दूसरा फुलस्टाप योगी।
Very very useful… Thankyou Baba