The balance of love & power! | (64th) Avyakt Murli Revision 02-07-70

The balance of love & power! | (64th) Avyakt Murli Revision 02-07-70

1. शक्तियों की विशेषता है, प्रेम-मूर्त के साथ शक्ति-रूप (तो एक सेकण्ड-संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाएंगा, सदा कल्याणकारी, एक जगह बैठे अनेकों की सेवा कर सकते)… कब के बदले अब, यह है बहादुर के बोल… imperishable आत्मा-स्थिति के लिए माया में फंसना impossible है

2. सबसे ज्यादा लाइट देने लिए बनना है लाइट-हाउस (वा सर्चलाइट), जिसके लिए पहले खुद को सर्च करना है… विल-पॉवर और वाइड-पॉवर (अर्थात बेहद की दृष्टि-वृत्ति) धारण करनी है… चक्रवर्ती बन सब जगह की सेवा करनी है, सबसे सम्बन्ध-सहयोग तब ही विश्व महाराजन् बनते, बाबा को प्रत्यक्ष-प्रख्यात कर सकेंगे

3. बेहद के वैरागी बनने लिए स्वयं को मधुबन-निवासी समझना है (इसमे मधुसूदन बाबा, परिवार, त्याग-तपस्या-सेवा सब आ जाता)

4. अभी बन्धनों (वा मोटे-पतले रस्सियाँ) से परे, स्वतन्त्र-स्पष्ट बनने का परिवर्तन करना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपनें को शक्ति समझ, मधुसूदन-बाबा की याद द्बारा स्नेह-शक्ति से सम्पन्न, स्वतंत्र-स्पष्ट बन बेहद दृष्टि-वृत्ति द्बारा सबकी सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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