The beauty of point stage! | (25th) Avyakt Murli Revision 24-07-69
1. बाबा हमें बहुत छोटी बात कहते, अपने को छोटी आत्मा समझो और छोटे बाप को याद करो… यह सहज होना चाहिए, जबकि बाबा सम्मुख है… और जबकि आत्मा ही शरीर को चलाती, तो उसी के नशे में रहना है, हम बिन्दु बाप की सन्तान है, स्नेह-सम्पन्न… बाबा के नाम-रूप को भूल जाते हो, तो स्वयं के भी भूल जाते होंगे… जबकि औरों को आत्मा समझा देह-सम्बन्ध भूला सकते, तो स्वयं को तो अनुभव करा ही सकते
2. मैं बिन्दु आत्मा, बिन्दु बाप के सामने हूँ… इसी अवस्था से अव्यक्त स्थिति (व्यक्त- से परे) बनती, , इसमें लम्बा समय रह भिन्न-भिन्न रसों का अनुभव कर सकते, फिर बाबा ही हमें घर ले जाएंगे… कर्म में आते भी न्यारा-प्यारा रहने का अभ्यास करना है
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को बिन्दु आत्मा समझ बिन्दु बाप को सामने देखते रहे, बाकी सबकुछ भूल… तो बिन्दु में सर्व गुण-शक्तियों के सिन्धु का अनुभव करते, अव्यक्त स्थिति में स्थित रह… सबकी न्यारा-प्यारा बन सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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