Becoming an Angel | फरिश्ता स्वरूप की परिभाषा | Avyakt Murli Churnings 15-12-2018
आज बाबा हमारे 3 रूप देख रहे हैं… ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता… यही हम संगमयुगी ब्राह्मणों का लक्ष्य और लक्षण हैं
फरिश्ता-पन की परिभाषा और लक्षण
हमारा एम ऑब्जेक्ट है लक्ष्मी-नारायण बनना, लेकिन देवता बनने से पहले फरिश्ता बनना है… यही तीव्र पुरुषार्थ करना है, धुन लगानी है, संगमयुग के अन्तिम स्टेज को emerge करना है कि मैं डबल लाइट फरिश्ता हूँ!
फरिश्ता अर्थात स्वराज्य अधिकारी, कर्मेन्द्रियों का राजा, बाबा का राजा बच्चा… लाइट के स्वरूप-धारी
फरिश्ता अर्थात इन सभी बातों में लाइट (अथवा न्यारा):
- संकल्प, स्वभाव, संस्कार
- देह, सम्बन्ध, सम्पर्क (अर्थात औरों के स्वभाव संस्कार), संसार
तो ब्रह्मा बाप, मम्मा और दादीयों समान सबके प्यारे, प्रिय बन जाएंगे… सब कहेंगे यह मेरे हैं!
हमे मस्तक पर आत्मा की लाइट अनुभव होगी, बोलते हुए अशरीरी हो जाएंगे, विस्तार सार में समा जाएगा, हमारी दृष्टि से रूहानियत की लाइट सबको मिलेंगी!
हम सहज कर्मातीत बन जाएंगे!
अब क्या सेवा करनी है?
सेवा में उमंग-उत्साह अच्छा है, प्लेन्स अच्छे बनाते हैं, सभी परिवार के प्यार की system से प्रभावित होते हैं, मानते हैं ब्रह्मकुमारियों का ज्ञान अच्छा है
अब सेवा में addition चाहिए फरिश्ता बनने के धुन की… इससे अशरीरी बनना बहुत सहज हो जाएगा
अशरीरी बनने के अभ्यास से मेहनत कम, सफलता ज्यादा मिलेगी… अशरीरी-पन के वातावरण से सबको अनुभव करा सकते हैं… प्राप्तियों, शक्तियों, शान्ति, आत्मिक प्रेम, खुशी, सुख, आनंद का
इससे सब कहेंगे मेरा बाबा, मैं बाबा का और बाबा मेरा… अर्थात बाप की प्रत्यक्षता हो जाएंगी!
सबसे बड़ा विघ्न है अभिमान
सेवा में वा फरिश्ता बनने में सबसे बड़ा विघ्न है देह भान (63 जन्मों का संस्कार) और देह अभिमान… अर्थात अपने गुण, कला, विशेषता (भाषण करना, कोर्स कराना, हैंडलिंग, आदि) का अभिमान
अभिमान को चेक करने की सहज विधी है:
- अपमान बहुत जल्दी महसूस होगा
- रोब (क्रोध का अंश) आ जाएगा
(अभिमान को समाप्त करने लिए निमित्त भाव, और बाबा के दिए हुए सभी उपकारों को कभी नहीं भूलना है)
सार
तो चलिए आज सारा दिन… चलते फिरते अपने डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप में स्थिति रहे… इससे हर बात में लाइट और सर्व के प्यारे रहेंगे… और अशरीरी-पान के वातावरण द्वारा सर्व को परमात्म प्राप्तियों का अनुभव कराते रहेn… इससे सहज परमात्मा प्रत्यक्षता होगी, और यह संसार पुनः स्वर्ग बन जाएगा… ओम् शान्ति!