Becoming an embodiment of power! | (83rd) Avyakt Murli Revision 21-01-71 (2nd)

Becoming an embodiment of power! | (83rd) Avyakt Murli Revision 21-01-71 (2nd)

1. बाबा देख रहे हम कहां तक शक्ति-स्वरूप बने है, मास्टर सर्वशक्तिमान अर्थात सब शक्तियों से सम्पन्न… बाबा हमें वतन का निमन्त्रण देते, उसके लिए सिर्फ व्यर्थ से परे समर्थ रहना है

2. ब्राह्मण-पन के कर्तव्य पूर्ण करने के बाद ही सम्पूर्ण बनेंगे, सिर्फ अटेन्शन रखने से टेंशन से परे रहेंगे… सब को अतिन्द्रीय सुख-शान्ति-शक्तियों से भरपूर करना है, इसके लिए खुद के स्टॉक से सन्तुष्ट रहना हैै… अनुभवीी मूर्तत बनना है

3. अन्त में तो एक बूंद से भी संतुष्ट हो जाएंगे, इसलिए उस अनुसार अपनी स्मृति-वृत्ति-दृष्टि-वाणी-स्वभाव-घर बनाना है… सम्पर्क से सम्बन्ध में लाना, हम विश्व के आधार-उद्धार मूर्त है

4. साकार के साथ संकल्प-संस्कार verify कर आगे बढ़ना है, समय-शक्ति वेस्ट नहीं करनी है… सबbado की सन्तुष्टता का सर्टिफिकेट लेना है, फिर वह धर्मराज में काम आएँगा

5. जितना बाबा से शक्ति लेंगे, उतना डगमग नहीं होंगे, विघ्न-माया से परे रहेंगे… स्वयं सन्तुष्ट होंगे उतना सब को करेंगे, औरों की कमजोरी को अपनी समझने से (और पुरुषार्थ करने से) उन्नति होगी

6. निराकार-स्नेही होने से निराकारी-स्थिति सहज… साकार-स्नेही से चरित्रवान बनते… व्यक्तिगत ज्ञान-योोग केपुरूषार्थ में मालिक, सेवा-सम्बन्ध-संगठन में बालक

7. उमंग-उत्साह के लिए:

  • सभी सम्बन्ध वालो को संतुष्ट करने का लक्ष्य रखना… अन्तर्मुखी बन दिल की ईच्छा जान, उसको पूर्ण करने से राजी़ करना है, तो विजयी बनेंगे
  • सब से गुण उठाना है

8. सब बातों से सार उठाना और सार ही बोलने से, सरल-चित्त सरल-पुरूषार्थी बन सहज बनाएंगे… all-rounder में कभी कोई कमी नहीं , सब के आगे sample एग्जाम्पुल

9. सेन्स-essence से सफलता मिलती, लंबी विजय माला बनती (शुरू से मन्सा-वाचा-कर्मणा विघ्न से परे), फिर ताज-तख्त भी एसा मिलेगा… स्नेह-बल से सेवा करते, निमित्त बनने से और एक्स्ट्रा-बल मिलता… इंद्रिय-आकर्षण हर्ष में रहने नहीं देते, इसलिए बुद्धि एक ठिकाने पर लगाकर अतीन्द्रिय-सुख में रहना है… हम अलंकारी-आकारी है, यह श्रृंगार कायम रखना है, मधुबन में छाप लगानी है, बाबा के साथ रहने से विघ्न-विनाशक बनते

10. जीतना माया से प्रूफ, उतना सब के लिए प्रूफ (सबूत)… गणेश अर्थात मास्टर-नोलेजफूल बन विघ्न-विनाशक रहना… अपनी सूरत से बाबा दिखें, कर्म से ज्ञान-शान्ति-प्रेम-आनंद दिखें, स्टूडेंट शोज टीचरसर्विस-ईश्वरीय नशे में एकरस engage रहते, तो माया डिस्टर्ब नहीं करती

11. बांधेली होना भी भाग्य है, याद में पावरफुल रह सकते, जिस चेंज द्बारा सहज बन्धन-मुक्त रह सकते… जब वह अपने कर्तव्य में मजबूत है हमें भी रहना है, हम तो कितने भाग्यशाली है, खुशी नैनों में छलकनी चाहिए, हम खुशी के ख़ज़ाने के मालिक के बालक है… औरों को भी ईश्वरी ज्ञान में अपनापन लगेगा

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा बाबा को सामने रख शक्ति-स्वरुप शान्ति-प्रेम-अतीन्द्रिय सुख-आनंद-सरलता से सम्पन्न बन… अपने फीचर्स द्बारा सब की ऑल-राउन्ड सेवा करते, विघ्न-विनाशक बनते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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