Becoming an embodiment of solutions through powerful pledge! | दृढ़ प्रतिज्ञा द्वारा निवारण-स्वरूप | Baba Milan Murli Churnings 18-01-2020

Becoming an embodiment of solutions through powerful pledge! | दृढ़ प्रतिज्ञा द्वारा निवारण-स्वरूप | Baba Milan Murli Churnings 18-01-2020

1. आज स्मृति-समर्थी दिवस की बढ़ाई देते… स्नेह-सागर बाबा हम स्नेही-लवली-लवलीन बच्चों को मेरे-लाडले-सिरताज बच्चे कहते (हम भी मेरा-मीठा बाबा कहते, स्नेह-विमान वा फरिश्ता-रूप में पहुँच गए)… हमारी स्नेह-मोती-माला बाबा के गले में, उनकी स्नेह-भुजाएं-माला हमारे गले मेंं, हम उनके स्नेह में समा गये… एक-एक स्मृति सेकण्ड में समर्थी-नशा चढ़ाती:

  • पहली स्मृति, हम कल्प-पहले वाली भाग्यवान-आत्माएं है (जिससे परमात्म-बाप का नशा चढ़ता)…
  • दिल से निकला मेरा बाबा (जिससे सभी प्राप्ति-खज़ाना-पालना अपनी हो गई)…
  • जिस मेरेपन से सहजयोगी समर्थ-आत्मा मायाजीत बन गए

2. यह वर्ष न्यारा-प्यारा मेहनत-समस्या मुक्त बनने का है (तब ही स्वयं-औरों को मुक्ति दिला सकेंगे)… इसलिए ऐसे-वैसे वा करना-पड़ता के बहाने (पुरानी भाषा-चलन-अलबेलेपन) से परे रहना, इसका निवारण-समाधान है दृढ़-प्रतिज्ञा (भल झुकना-सुनना-सहना-बदलना पड़े)… तब ही पर्दे खुल-प्रत्यक्षता होंगी (सब अच्छे बनेंगे… अब सब बहुत दुःखी हैं), मन्सा-वाचा के साथ स्नेह-सहयोग-चेहरे-चलन के कर्म द्वारा (हमारी अवस्था देख सब ठीक हो जायेंगे)… जबकि बाबा के साथ चलना-राज्य करना है, तो सेवा में भी साथ रहना (सहयोगी-समान बनना, हाथों में हाथ)

पार्टियों से

  • (गुजरात)… सेवाधारी-सेवा बहुत है (वाचा-सेवा में पास है)… अब पावरफुल-मन्सा द्वारा मन्सा-सेवा सकाश देना (वे माइक बनेंगे)
  • (फूलों के श्रृंगार वालें)… स्नेह के कारण श्रृंगार-सुगन्ध और अच्छी हो गई, बाबा भी पदमगुणा-स्नेह देते
  • (डबल-विदेशी)… हम मधुबन के श्रृंगार, सबको प्यारे है (कोटों में कोई)… अब चैतन्य-म्युजियम बनना है (मस्तक-नैन-मुस्कान से सेवा).. सूक्ष्म रियलाइजेशन द्वारा विन कर नम्बर-वन बनना
  • (मधुबन) दूर बैठे भी सब पास है, फिर भी सम्मुख-मधुबन में गोल्डन-चांस है… मुरली से प्यार अर्थात् मुरलीधर से प्यार निभाने वाले
  • (याद-प्यार) हम श्रीमत-बाप के कदम पर चलने वाले सहजयोगी-नॉलेजफुल-पावरफुल स्वमान-सम्मानधारी है… इन्तजार समाप्त कर, इन्तजाम करने वाले

सार (चिन्तन)

जबकि स्नेह-सागर बाबा हम पर इतना स्नेह लुटाते… तो हम भी मुरली से प्यार वा मेरे-मीठे बाबा की स्मृति द्वारा समर्थ-सहजयोगी बन, दृढ़-प्रतिज्ञा द्वारा निवारण-स्वरूप हो… बाप-समान चैतन्य-म्युजियम बन, चेहरे-चलन-पावरफुल मन्सा द्वारा सबकी सर्वश्रेष्ठ-सेवा करते, नम्बर-वन बनते-बनाते, सतयुग बनाते रहे… ओम् शान्ति!


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