Becoming a flower & gardener! | Sakar Murli Churnings 26-06-2019
रावण (देह अभिमान, विकार, दुःख) कांटों का जंगल बनाता, बागवान बाबा फूलों का बगीचा बनाते, हमें अभी फूल बना रहे हैं… कोई की दृष्टि-वृत्ति थिक नहीं (बताते भी नहीं) और कोई पक्के-पवित्र है (सोने की चिड़िया), तो चेकिंग-पुरूषार्थ और सर्वश्रेष्ठ पधाई-योग द्बारा अपनी खामियों को निकालने हैं, औरों को भी भूं-भूं कर आप समान बनाना है… निर्बंधन माली बन, बहुत उमंग-उत्साह से सबको सच्ची कथा सुनाकर फूल जरूर बनाना है, तब ही पद ऊंचा-श्रेष्ठ बनेंगा
सार
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम फूल-माली दोनों है, तो सदा ज्ञान-योग-धारणा-सेवा द्बारा खुशबूदार फूल बनते रहे… तो हमारे श्रेष्ठ वाइब्रेशन स्वतः ही औरों को भी फूल बनाते रहेंगे… और हम साथ में फूलों का बगीचा सतयुग बनाने के निमित्त बन जाएंगे… ओम् शान्ति!
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