Becoming the Master of Nature! | प्रकृति-पति बनो | Avyakt Murli Churnings 09-06-2019

Becoming the Master of Nature! | प्रकृति-पति बनो | Avyakt Murli Churnings 09-06-2019

हमारा सर्वश्रेष्ठ पार्ट

1. हम कमाल-पुष्प समान आत्माएं हलचल में अचल, भय के वातावरण में निर्भय-शक्तिशाली, चिंता में निश्चिंत-बेफिक्र, दुःख में सुख के गीत गाने वाले है… इसलिए शुभ चिंतक बन औरों को भी सुख-शान्ति दिलाते विश्व परिवर्तक बनना है

2. अभी समय है सम्पन्न बन, घर जाने का… इसलिए अभी ही सबके हिसाब-किताब चुक्तू होते, वह भी जन्म-मृत्यु में सबसे ज्यादा, चीटियों जैसे… जो हिसाब-किताब आत्मा को स्वयं चुक्तू करने है (शरीर-दिमाग-भूतों द्बारा) बह धर्मराज भी हो सकते, लेकिन सम्बन्ध-संपर्क वा प्रकृति से चुक्तू होने वाले तो यहां ही होंगे

3. हमें स्वयं को चेक कर हिसाब-किताब चुक्तू कर हल्का हो जाना है… निशानी है हमें अपने स्वभाव-संस्कार संग-वातावरण परवश नहीं कर पाएंगे, हम जितना सोचे उतना कर सकेंगे, उल्टे कर्म नहीँ होंगे… बाबा की छत्रछाया में, दर्दनाक सीन भी खेल अनुभव होते

टीचर अर्थात 

त्याग-तपस्या तो सेवा में समाई हुई ही है, जिससे बिना मेहनत एक सेकण्ड में भरपूर, खान के अधिकारी बनते, जो जन्म जन्म खाते रहेंगे … हम सेवाधारी-शिक्षक को बाप-समान होने का भाग्य मिला है, इसलिए सबको वरदान दे समर्थ बनाते आगे बढ़ाते-उड़ाते रहना है 

हम है प्रकृति-पति आत्माएं! 

1. प्रकृति की हलचल में हमें अचल, ऊंची फ़रिश्ता स्थिति में रहना है, इसके लिए कर्मेंद्रीय-जीत बनना है… जब एसे पूर्वज-पन की स्थिति में स्थित रहते, तब ही 5 विकार-प्रकृति हमारे ऑर्डर पर चलेंगे

2. हमारी पवित्र मन्सा प्रकृति-मनुष्यों को भी परिवर्तन कर सकती, इसलिए संकल्प-बोल-कर्म में मर्यादा का कंगन बांधे रखना है… पेपर समय हाय-हाय के बनाए वाह-वाह करना है, इसलिए देखते हुए न देख, एक सेकण्ड में निराकारी-आकारी-साकारी का अभ्यास करना है… वाह रे मैं, वाह मेरा पार्ट

3. अभी ही अन्त में हम प्रकृति-पति को प्रकृति ऑफर-आफरि कर, जहां हम होंगे वहां कुछ नुकसान नहीँ करेंगी, दासी-दाता बन जाएंगी… इसलिए सब हमारे स्थान के पास आएँगे, हम सब के सहारे बन जाएँगे, प्रत्यक्षता हो जाएंगी

सार

तो चलिए आज सारा दिन.. योग-मर्यादा द्बारा ऎसी ऊँची फ़रिश्ता स्थिति बनाके रखे, कि ऎसे नाजुक समय में भी हम अचल रह सबको सुख-शान्ति दे प्रकृति को भी परिवर्तन कर सके… तो छोटी बातें में तो हम सदा सेफ रह, सदा शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर सर्व प्राप्ति सम्पन्न बन, सबको भी सम्पन्न बनाते, सतयुग बनाते चलेेंग… ओम् शान्ति!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *