Becoming pure! – Sakar Murli Churnings 08-12-2018

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Sakar Murli Churnings 08-12-2018

ज्ञान की पॉइंट्स

  • कलियुग पतित, भ्रष्टाचारी दुनिया है…इस समय कोई भी पावन नहीं
  • इसलिए पतित-पावन बाप को संगम पर आना होता है
  • उसके ज्ञान से सद्गति हो जाती है… अर्थात पावन श्रेष्ठाचारी दुनिया, सतयुग बन जाती है!

योग की पॉइंट्स

  • हमारे योग में बहुत ताकत है… इससे पावन, पाप से मुक्त बनते और अंत मति सो गति हो जाती… इसलिए ऐसा अभ्यास करना है, जो अंत समय एक बाप ही याद आए… तो हमारा भविष्य और वर्तमान दोनों बहुत सुन्दर बन जाता हैं!

सेवा की पॉइन्ट्‍स

  • अंधों की लाठी बनना है
  • सामझाने वाले बड़े अच्छे चाहिए… निरहंकारी रहकर silence में सेवा करनी है… युक्तियुक्त आदरपूर्वक समझाना है
  • वाचा सेवा के साथ, मन्सा भी शुभ भावनाओं और दुआओं से भरपूर रखनी है
  • मण्डप लेकर प्रदर्शनी लगानी है, चित्र रखने हैं, पर्चे बांटने है, जान-पहचान हो तो बहुत अच्छा

अन्य पॉइन्ट्‍स

  • स्थूल पानी सूक्ष्म आत्मा को पावन नहीं बना सकता… इसलिए पतित-पावन वाप को बुलाते हैं… उससे यथार्थ योग लगाने से ही आत्मा पावन बन सकती है
  • कहते हैं परमात्मा की गतमत न्यारी है… अर्थात उसकी श्रीमत से हम सद्गति पा लेते हैं!
  • एक बहुत सुन्दर आध्यात्मिक अर्थ…. श्रीनाथजी और जगन्नाथ-पुरी एक का ही यादगार है, लेकिन श्रीनाथ द्वारे 56 प्रकार के भोग बनते और जगन्नाथ में सूखे चावल का भोग लगता… अर्थात जब हम पावन गोरे सतोप्रधान होते हैं, तो धन साधन वैभव कमाना सब सहज हो जाता है… लेकिन पतित होने से आवश्यकताओं के लिए धन कमाना भी मुश्किल हो जाता है!

सार

तो चलिए आज सारा दिन… पवित्रता के सागर से योग लगाकर अतिन्द्रीय सुख और आनंद का अनुभव करते रहें… और सबको ऎसे आनंद से भरपूर होने का रास्ता बताते रहे!

ओम् शान्ति!

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