Becoming a star of success | सफलता का सितारा बनने की सहज विधि | Avyakt Murli Churnings 21-04-2019
1. इस मधुबन-मण्डल में हम ज्ञान-सितारों को दोनों ज्ञान सूर्य-चन्द्रमा अर्थात शक्ति-स्नेह के वरदान मिले हैं, जिससे सहज लवली वा लाइट-हाउस, सफलता-स्वरूप सफलता के सितारे बन गए हैं… सबका लक्ष श्रेष्ठ रहता, सिर्फ स्वार्थ के कारण सफलता नहीं मिलती (और कलह-क्लेश, सब विकार आते), इसलिए स्वार्थ के बदले सेवा-भाव लाना है
2. वर्तमान स्मृति और भविष्य राजतिलक के साथ हमें मिला है, फरिश्ता स्वरूप का सम्पन्न-समान तिलक… सर्व विशेषताओं की मणियों से सजा ताज, और डबल लाइट तख्त… बाबा भी स्नेह-शक्ति-वरदान की मालाएँ हमें पहनाते, हम भी याद-प्यार-स्नेह की मालाएँ वा उमंग-उत्साह के पुष्प उनको चढ़ाते, इसी का यादगार भक्ति में चला आया है
3. हम शक्तिशाली आत्माओं ने स्व-अध्ययन और सेवा द्वारा वर्तमान और भविष्य जन्म-जन्मान्तर का श्रेष्ठ भाग्य बना लिया है… सदा साथ रहने के वरदानी होते, सब को ऎसा वरदानी बनाना है, कैसे मोहब्बत द्वारा मेहनत से मुक्त रहना… यही सेवा विशेष लॉटरी है, जिनका सेवा से जन्म-पालना मिली वा आगे बढ़ रहे हैं, उन्हेंं इसका रिटर्न-सहयोग अवश्य मिलता है
4. ऊंच ते ऊंच बाबा के साथ पार्ट बजाने वाले (और ऊंच युग के रहवासी होते), मैं विशेष पार्टधारी हूँ इसी स्मृति में रहना है… तो स्वतः हर बॉल-कर्म विशेष होगा, औरों को भी ऎसे विशेष बनने की आकर्षण होगी… सिर्फ़ जो विशेषताएं मिली है उन्हें कार्य में लगाना है
5. मन के वश होने के बजाए, एकाग्रता की शक्ति द्वारा मालिक बनना है… तो स्वतः फरिश्ता स्वरूप की अनुभुती, एक बाबा दूसरा ना कोई, निर्विघ्न स्थिति और सर्व के प्रति स्नेह-कल्याण-सम्मान की वृत्ति रहेंगी… आगे चल ऎसा सहज फरिश्ता स्वरूप में स्थित रहेंगे सबकुछ करते, कि खुद भी देह भान से न्यारे उड़ते औरों को भी उड़ाते रहेंगे
वरदान-स्लोगन!
सेन्ट अर्थात व्यर्थ से इनोसेंट, इसलिए सदा सत्यता-यथार्थता-दिव्यता से सम्पन्न रहते… ऎसे ब्रह्मा बाप को फॉलो करने से फ़र्स्ट डिविजन में आ जाएँगे
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सदा ज्ञान सूर्य-चन्द्रमा के साथ एकाग्रता-चित्त रह वरदानों से भरपूर बन, हर पल विशेष कर्म करते सब को विशेष बनाते रहें… फरिश्ता बन, फरिश्ता बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!