Becoming successful in service! | (39th) Avyakt Murli Revision 20-12-69

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1. जैसे शुरू में हिम्मतवान बन बाबा के समीप रहे, स्नेह-मदद ली (जिस अव्यक्त-पालना के कारण एक-समान अलौकिक आकर्षण-मूर्त व्यक्ति दिखाई दिए)… ऎसे अभी 5 बातें (एकता-स्वच्छता-महीनता-मधुरता-महानता) धारण कर विशेष बनना है, जिस सम्पूर्ण संस्कार द्बारा बाबा प्रत्यक्ष होंगे

2. प्लान्स बनाने के साथ प्लेन याद चाहिए (सिर्फ एक बाबा), तब सफलता मिलती… अब फेल नहीं होते, लेकिन छोटी बातें फील करते, इस अन्तर को मिटाने से सब हमपर मिटेगे… हम ही समझदार हिम्मतवान थे, जो सागर में नहाये

3. एवररेडी अर्थात कोई भी direction मिले, सेकण्ड में तैयार… अभी तो हमारे पास स्नेह-शक्ति दोनों है… सेवा-लोगों के साथ रहते भी नीर्बन्धन… अभी तो बहुत पेपर आने है, जिनको पास करना है महीन-बुद्धि बन

4. महीन-बुद्धि अर्थात हर परिस्थित का सामना कर मोल्ड करे… इसके लिए चाहिए हल्का, नर्म (सेवा-भाव, स्नेह-भाव, रहमदिल, निर्माण) और गर्म (शक्तिशाली, मालिक-पन}… दोनों की समानता से महानता आएंगी… तब कहेंंगे अव्यक्त स्थिति, रस्सियाँ छूटी हुई

5. सबसे बड़ा बन्धन है शरीर का, अन्त मती जिसके परे जाने से ही पास विद आनर होंगे… जिसके लिए देह-चोले को लूज़ (लगाव-मुक्त, न्यारा) रखना है बहुतकाल से, जिससे सेकण्ड में छोड़ सके, एवर-रेडी, सोचा और हुआ)… ऎसे आत्माओं की मृत्यु भी सेवा करती, सन शोज फादर, यह अनोखा मेडल है

6. सेवा में आते भी न्यारे-अलौकिक-अव्यक्त रहने से सबकी बीच हीरे-समान चमकेंगे… औरों को भी अलौकिक बनाएंगे, तब ही सब कुर्बान हो वारिस बनेंगे

7. अन्त में रिजल्ट announce होंगी, 3 बातों से… कितना विजयी रहे, कितने वारिस बनाए, अन्त में कैसे गए… अभी भी मेकउप का समय है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… महीन-बुद्धि हिम्मतवान बन देह से न्यारे बन एक बाबा की याद में रह… अलौकिक निर्बंधन हीरे समान चमकते-चमकाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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