Becoming a true moth! | (30th) Avyakt Murli Churnings 03-10-69

Becoming a true moth! | (30th) Avyakt Murli Churnings 03-10-69

1. शमा खुद हमारे परवाने-पन की पर्सेंटेज चेक करने आए हैं (4 बातें… स्नेही, समीप, सर्व सम्बन्धों का साथ, साहस)… अगर सम्पूर्ण परवाने नहीं, तो फेरी-चक्र लगाने वाले ही कहेंगे (अनेक संकल्पों-विघ्नों-कर्मों के चक्र में)… सम्पूर्ण समर्पण का ठप्पा यहां लगाने से ही वहां ऊंच पद मिलेगा… पाण्डव अर्थात ऊँची अव्यक्त स्थिति में गलना (सम्पूर्ण होना)

2. समर्पण अर्थात तन-मन-धन-सम्बंध सब अर्पण… मुख्य है मन का समर्पण अर्थात श्रीमत के विपरित एक संकल्प भी नहीं (व्यर्थ-विकल्प नहीं, सिर्फ बाबा के गुण-कर्तव्य- सम्बन्ध), तो तन-धन-सम्बंध सहज हो जाएँगा… क्या सोचना-बोलना-करना-देखना-सुनना, सब श्रीमत पर… जरा भी मनमत शूद्र-मत देह-अभिमान मिक्स नहीं पुराने-संस्कार वश… तो अव्यक्त कर्मातीत अवस्था एकरस रहेंगी (और कोई रस नहीं, बोझ भी नहीं)

3. परिवर्तन से घबराना नहीं, गहराई में जाने से घबराहट समाप्त हो जाती… वीन करने के लक्ष्य से नम्बर वन बनेंगे

4. बिन्दी (तिलक) लगाया है, बिन्दु की स्मृति दिलाने… कोई भी व्यर्थ संकल्प हो, तो उसे बिन्दी लगाने से बिन्दु बन जाएँगे… बाबा ने अभी निरोगी का और वहां राज्य-भाग्य का वरदान दे दिया है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सम्पूर्ण समर्पण का पाठ पक्का कर, हर पल श्रीमत अनुसार अपना हर कर्म करते… इसकी गहराई द्बारा व्यर्थ-घबराहट पर विन कर नम्बर-वन बनते-बनाने, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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