Becoming victorious over Maya! | (78th) Avyakt Murli Revision 05-12-70

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Becoming victorious over Maya! | (78th) Avyakt Murli Revision 05-12-70

1. आवाज से परे जाने (और ले जाने) के अभ्यास से… सब के दिलों पर विजय प्राप्त करते, विजयी रत्न बनते, बाप-समान

2. हाँ-जी की प्रतीज्ञा की है, तो जरूर पास विद आनर होना चाहिए, अर्थात संकल्प में भी फेल नहीं… इसलिए माया का सामना करने की भी शक्ति चाहिए (अष्ट-शक्तियां, ज्ञान-मुर्त, गुण-मुर्त), सूक्ष्म परखना है… सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न तृप्त कामना-मुक्त बनना है… पुरानी वृत्तियों से निवृत्त, सम्पूर्ण क्लियर, डोंट-केएर की शक्ति धारण करनी है

3. हिम्मतवान-शक्तिवान बनना है… साथियों से भी सर्टिफिकेट लेना… मैं विजय माला का मणका हूँ, इसी नशे में रहना है, तो हार नहीं होगी… सम्पूर्ण बलि चढ़ने वाले महाबलि के सामने, माया का बल नहीं चलता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा आवाज़ से परे रहने के अभ्यास द्बारा, हिम्मतवान-शक्तिवान बन सदा श्रेष्ठ विजय-पन की स्मृति के नशे में रह… मायाजीत सर्व-प्राप्ति-सम्पन्न बन, सब के दिलों को जीतते… आप-समान बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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