Being a carefree emperor through fast efforts! | तीव्र पुरूषार्थ द्वारा बेफिक्र बादशाह | Baba Milan Murli Churnings 15-11-2019

Being a carefree emperor through fast efforts! | तीव्र पुरूषार्थ द्वारा बेफिक्र बादशाह | Baba Milan Murli Churnings 15-11-2019

1. उठते-कर्म करते भी बाबा ने हमारी फिक्र लेकर फखुर (ईश्वरीय नशा) दे, बेफ़िक्र बादशाह बना दिया है… यही जीवन प्यारी-प्रिय है, जिसकी निशानी मस्तक में लाइट-आत्मा दिखती… अगर फिक्र-बोझ आ भी जाए, तो:

  • बाबा को देकर, फिर से बेफ़िक्र हो जाना
  • हद के मेरे को तेरे में परिवर्तन करना… हम तो कहते ही हैं मेरा बाबा (सबकुछ तेरा)
  • स्मृति में लाना… हम तो है ही प्रकृति-जीत विकार-जीत, तो फिक्र किस बात की?
  • याद करना… भक्ति में भी हमारे चित्रों में दो ताज दिखाते (बेफ़िक्र-लाइट का ताज, विकारों पर विजयी का ताज)

2. बादशाह होने के साथ तख्त भी चाहिए… हमें तीन तख्त मिले है (भ्रकुटी, बाबा का दिलतख्त, भविष्य-राज्य तख्त)… सर्वश्रेष्ठ दिलतख्त में सदा बैठने लिए:

  • बाबा को अपने दिलतख्त पर बिठाना
  • अपनी सर्वश्रेष्ठ मास्टर सर्वशक्तिमान की स्थिति में स्थित रहना
  • देह-भान की मिट्टी से परे रहना

3. यह समय बहुत क़ीमती है (अचानक कुछ भी होना है, और अभी ही जन्म-जन्म की प्रालब्ध बना सकते)… इसलिए अपने समय-संकल्प पर अटेन्शन दे, व्यर्थ का त्याग करना है (तीव्र पुरूषार्थ अर्थात्‌ ही सेकण्ड में बिन्दी)… क्योंकि हमें तो सबको सुख-शान्ति दे, वर्से के अधिकारी बनाना है… हिम्मत द्वारा मदद अवश्य मिलती

4. जबकि बाबा और हमारा वायदा है साथ चलने का, तो इसकी तैयारी भी हो (बाबा हमें अकेला नहीं छोड़ना चाहते)… सेकण्ड में बिन्दी लगाए सम्पन्न-सम्पूर्ण बन सके… सेवा भी कर ली हो (सब को सन्देश दिया हुआ हो, कि बाप आए है वर्सा देने, फिर कोई उल्हाना न दे)

5. बाबा की आश है, हम समान और सम्पूर्ण बने (हम ही बाबा की आशाओं के सितारे हैं)… प्यार में तो सभी फुल-पास है

पार्टियों से

1. मधुबन सेवा का बल-फल मिला (जबकि हमने निर्विघ्न सेवा से सबको सन्तुष्ट किया है)… ईश्वरीय परिवार से मिलने-सेवा करने का भाग्य मिला, खुश रहें और सबको खुशी देकर ली

2. पुरुषार्थ-सेवा में उमंग का संस्कार अच्छा है… अब बाबा की आशाओं को पूर्ण कर, तीव्र पुरूषार्थी बनना-बनाना है

3. लास्ट आते भी लास्ट सो फास्ट जाने लिए… बाबा ने हमारे तीव्र पुरूषार्थ के लिए दृढ़ता की चाबी की सौगात दी है 

सार (चिन्तन)

सदा दृढ़ता की चाबी द्वारा मेरे को तेरे में परिवर्तन कर बेफ़िक्र बादशाह बन, बाबा को अपने दिलतख्त पर बिठाकर मास्टर सर्वशक्तिमान समान-सम्पूर्ण स्थिति का अनुभव करते … सदा तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सेकण्ड में बिन्दी लगाए, व्यर्थ से परे रह… सबको ईश्वरीय सन्देश दे सुख-शान्ति से सम्पन्न करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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