Being God’s right hand! | Avyakt Murli Churnings 29-03-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
हम बाबा की भुजाएं है… भुजाओं का कार्य है:
- कर्म करना… जो जीवन-चेहरे-दृष्टि में प्रत्यक्ष अनुभव होता (और बाबा को प्रत्यक्ष करता)… राइट हैन्ड अर्थात् शुभ-श्रेष्ठ कर्म करने वाले
- सहयोग देना… तो हर समय तन-मन धन से बाबा के सहयोगी (देह-सम्बंधी की प्रवृत्ति के विस्तार से परे)
- शक्ति का प्रतीक… तो सदा शक्तिशाली दृष्टि-वृत्ति संकल्प:
- संकल्प… श्रेष्ठ सृष्टि रचे
- वृत्ति… वायुमण्डल बनाएं
- दृष्टि… अशरीरी-आत्मा का अनुभव कराएं
- स्नेह की निशानी… बाबा-समान:
- संकल्प… व्यर्थ से परे समर्थ
- बोल… सुखदाई-मधुर-महावाक्य, अव्यक्त-आत्मिक भाव
- संस्कार… उदार-चित्त, कल्याणकारी, नि:स्वार्थ
पार्टियों से
- बाबा रोज़ हमें स्वदर्शन चक्रधारी-शक्तिशाली कहते, जिससे माया पर विजयी रहते
- सदा पावन बनना-बनाना, यही असम्भव को सम्भव करना है
- बहादुर ही मायाजीत है, कमजोरी माया का आह्वान करती… हम तो विश्व कल्याणकारी-बेहद-सच्चे सेवााधारी है… बाप समन समर्थ-सम्पंन (फूल होने से हलचल नहीं होती)
- सम्पूर्णता अर्थात निंदा-स्तुति में भी समानता–balance, जिससे bliss होती (दुःख में भी सुख, निंदा में भी दृष्टि-वृत्ति न हिले)
- देही-अभिमानी अर्थात् इशारे को समाकर उन्नति करना
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