Being God’s true companion! | Avyakt Murli Churnings 05-01-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. हम आदि से बाबा के सदा स्नेही-सहयोगी-साथी है, हर संकल्प-बोल-कदम साथ निभा-फोलो कर बाप-समान (मास्टर-सर्वशक्तिमान) बनने वाले… इसलिए सदा मन-बुद्धि-दिल में गीत बजता रहे “मैं दिलाराम-बाबा का, बाबा-वर्सा मेरा”, फिर जैसी स्मृति वैसी स्थिति-कर्म बनते
2. बाबा बढ़ाई देते हमारे सेवा के उमंग-उत्साह को, सहज आगे बढ़ रहे, प्रत्यक्षता-विजय का झण्डा लहरायेंगे (जिसके नीचे सब गीत गाएंगे “गति-सद्गति दाता बाबा आ गया”, और सुख-शान्ति के वर्से के पुष्पों की वर्षा)… सिर्फ अब सेवा में होना है निर्विघ्न, न विघ्न-रूप बनना न विघ्न में घबराना-हिलना… ब्राह्मण बनना माना ही माया को चैलेंज दे, मायाजीत-विजयी विजयी-रत्न बन, माला में आना
3. पास-विद-आनर बनने लिए, पवित्रता के साथ सम्बन्ध-सम्पर्क-सेवा में सन्तुष्ट रहना-करना… स्व-स्थिति वा याद (अव्यभिचारी-याद) में अचल…. इसके लिए तीन बातों से परे रहना:
- लगाव… जिस पर बाबा ने पिछली मुरली में सुनाया
- तनाव (वा खिंचातान)… जिसका कारण मैं-पन है, जो सेवा में तीव्र नहीं जाने देता… इसके बदले सबको आगे बढ़ाना
- कमज़ोर स्वभाव-नेचर… जो उड़ती कला में नहीं रहने देता… वास्तव में स्वभाव अर्थात स्व-आत्मा का श्रेष्ठ-आत्मिक भाव, बाप-समान रहमदिल-मधुर-निर्माण-आगे बढ़ाने वाले, स्वमान से अभिमान समाप्त.. (इसलिए देश-धर्म-संग का बहाना नहीं, हम सब एक-एक के है, सिर्फ सेवा लिए भिन्न स्थान पर है)
इनका त्याग-भाग्य अनुभव कर सबको बांटना (ब्रह्मा-बाप समान, ऐसी विशेषता स्वयं में लानी है, त्याग के भाग्य का भी त्याग)… जो सहज मिले, वह श्रेष्ठ भाग्य (उसमे सब की आशीर्वाद होती)
4. सदा बैलेन्स (याद-सेवा, गंभीरता-रमणीकता) द्वारा बाबा की ब्लैसिंग प्राप्त कर ब्लिसफुल-लाइफ अनुभव करना:
- हर संकल्प-बोल-कर्म में रीयल्टी (मिक्स नहीं)… जिससे सदा खुशी में नाचते रहते (सच तो बिठो नच)
- रॉयल्टी… छोटी बातों में झुकना नहीं, सदा प्राप्ति-स्वरुप
- यूनिटी.. कोई डिसयुनिटी भी करे, हमारी यूनिटी की शक्ति से वह भी अचल बनें
बाबा हमें योगी-योग्य-भाग्यवान रूप में देखते… बाबा रोज़ अमृतवेला हमारी गुण-विशेषता-सेवा को अविनाशी का वरदान-पालना-शक्ति देते
सार
सदा बाबा के सच्ची साथी बन फॉलो करते, अपने श्रेष्ठ आत्मिक-भाव वा बाबा की अव्यभिचारी याद द्वारा रीयल्टी-रॉयल्टी-यूनिटी सम्पन्न बन… लगाव-तनाव-स्वभाव से परे निर्विघ्न-सेवा कर सन्तुष्ट रहते-करते, सबको सुख-शान्ति का वर्सा दिलाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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