Being an invaluable jewel! | Avyakt Murli Churnings 03-11-2019

Being an invaluable jewel! | Avyakt Murli Churnings 03-11-2019

1. हम रत्नागर-बाप के अलौकिक-अमूल्य रत्न है (सारे विश्व के खज़ानों से भी ज्यादा मूल्यवान)… क्योंकि हम है डायरेक्ट ईश्वरीय सन्तान (जिस ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ नाम-महिमा-धर्म-कर्म है), उसने कहा है तुम मेरे, मैं तेरा… तो भक्ति में भी हम रत्नों की विघ्न-विनाशक रूप में वैल्यू होती

  • अभी प्यार के सागर की दृष्टि पड़ने से… सारा कल्प प्यार के पात्र बन गए, भक्त भी कितना प्यार से देवताओं को देखते 
  • अभी बाप द्वारा पवित्रता जन्मसिद्ध-अधिकार है… तो सतयुग में भी सम्पूर्ण-पवित्र पालना मिलती, और भक्ति में भी सम्पूर्ण पवित्रता-स्वच्छता से पूजते
  • अभी भगवान् मात-पिता रूप में अविनाशी स्नेह से सम्भालते… तो सारे कल्प सब रोयल्टी-स्नेह-रिगार्ड से रखते

तो सदा अपने श्रेष्ठ मूल्य को स्मृति में रखना है, और किसने हमें अमूल्य बनाया… इस विधि से सहज सिद्धि को पाते (पूज्य बनते, पाप नहीं चढ़ते)

2. पवित्रता हमारा जन्मसिद्ध-अधिकार है, एसी अधिकारी आत्माओं को पवित्रता सहज है… यदि माया संकल्प-स्वप्न में परिक्षा भी ले, तो नॉलेजफुल बन अंश का सोच-विस्तार कर वंश नहीं बनाते, तुरन्त भगा देते मास्टर-सर्वशक्तिमान बन… रत्न है तो मिट्टी से नहीं खेलना-घबराना

पार्टियों से

1. सदा अपने को बाबा के नैनों में समाई हुई हल्की-बिन्दी समझने से… सदा डबल-लाइट उड़ती-कला में रह, आगे बढ़ते रहते… बड़ों के इशारों को regard देने से भाग्य श्रेष्ठ बनता रहता

2. हमारे मस्तक पर भाग्य का सितारा अखण्ड चमकता रहता (क्योंकि हम ज्ञान-सूर्य की याद से शक्तियां लेते रहते)… याद-सेवा के balance से सहज सफलता मिलती (शक्तिशाली याद से शक्तिशाली आत्माओं का आह्वान होता)… लौकिक कार्य भी डायरेक्शन पर करते, याद-सेवा की लगन है, तो बाबा का हाथ-साथ है ही

3. घर बैठे भगवान मिल गया, इसी श्रेष्ठ भाग्य की स्मृति द्वारा हर्षित सुख-शान्ति सम्पन्न बनना है… संगम के हर दिन नया उमंग-उत्साह हो

4. हम बाबा को स्नेह से याद तो करते, अभी लगन को अग्नि-रूप बनाना है… तो सब बन्धन भस्म हो, स्वतंत्र बन सिद्धि को पाएंगे

सार (चिन्तन) 

जबकि इश्वर का बनने से हम सदाकाल के सर्वश्रेष्ठ प्यार-पवित्रता-स्नेह के पात्र बन गए हैं… तो सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य को स्मृति में रख हर्षित-सुख-शान्ति सम्पन्न बन, बाबा की याद में समाए हुए डबल लाइट बन, याद को अग्नि-रूप बनाते माया के अंश को भी समाप्त कर… हर दिन याद-सेवा में नये उमंग-उत्साह का अनुभव करते, सब का कल्याण करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Churnings

Thanks for reading this article on ‘Being an invaluable jewel! | Avyakt Murli Churnings 03-11-2019’ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *