Being the lamp of God’s aspirations! | बाबा की आशाओं का दीपक | (34th) Avyakt Murli Revision 09-11-69

Being the lamp of God’s aspirations! | बाबा की आशाओं का दीपक | (34th) Avyakt Murli Revision 09-11-69

1. माँ-बाप समान अपने भविष्य नाम-रूप-देश-काल-सम्बन्ध को जानने लिए योगयुक्त बनना है… थोड़े समय में अपने चलन-तदबीर अनुसार सब हमारी भविष्य तकदीर देख पाएंगे

2. दीपमाला अर्थात अनेकों के लग्न की अग्नि एक के साथ लगी हुई… चार प्रकार के दीपक है:

  • स्थूल मिट्टी का दीपक, प्रकाश देने वाला
  • आत्म-दीपक
  • कुल-दीपक (ऎसा कोई कर्म न हो, जिससे कुल का नाम बदनाम हो)
  • बाबा की आशाओं का दीपक (बाबा की आश है हम नम्बर-वन विजयी बने-बनाए… ऎसे जगे हुए दीपकों की बड़ी माला पहननी है, जैसे दिव्यगुणों की माला

3. मधुबन अर्थात:

  • मधु (मधुरता, जिससे महान बनते, सब हर्षित होते)
  • बन (वन अर्थात वैराग्य)

मधुरता और वैराग्य, अर्थात स्नेह और शक्ति… जिससे सबको प्रेरणा मिलेंगी, मधुसूडन बाबा प्रत्यक्ष होगा

4. कुमारी अर्थात संकल्प-बोल-कर्म सबसे कमाल करने वाली, ऎसी पवित्रता की धारणा तेज हो… सबकी स्नेही बनने की मेहनत करनी है, स्नेह-शक्ति ही सम्पूर्ण-समीप कर्मातीत बनाती… कोशिश शब्द समाप्त कर कशिश-रूप बनना है, जबकि बाबा साथ है (उसे साक्षी नहीं होने देना है)

5. बाप-समान सबको सन्तुष्ट करने से, सब का दिल जितना है… ऑल-राउंडर एवर-रेडी अर्थात संकल्प का बिस्तरा सदा तैयार, कोई भी परिस्थिति हो… अभी घर जाना देह-दुनिया-सम्बन्ध छोड़… पवित्र बनने के लिए बाबा शक्ति देते तो वह लेकर सम्पूर्ण पवित्र जरूर बनना है

6. गुणग्राही, रहमदिल, स्थिर रहना है

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा आत्म-दीपक जगा रख (बाबा से जुड़े रह), पवित्रता-स्नेह-शक्ति सम्पन्न बन… बाबा की आशाओं का दीपक, कुल-दीपक बन, सबको सन्तुष्ट करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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