Being Master Knowledgeful! | (71st) Avyakt Murli Revision 22-10-70

Being Master Knowledgeful! | (71st) Avyakt Murli Revision 22-10-70

1. जब बाप-समान मास्टर नॉलेजफुल बनेंगे, तब फूल-फ्लोलेस कहेंगे, नहीं तो फेल

2. बाबा हमें देख रहे, लाइट-माईट-राईट (यथार्थ और अधिकारी)… अभी तक आवाज फैला है, अब आत्माओं का आह्वान कर बाबा के समीप लाना है… इसके लिए खुद आवाज से परे जाकर अपनी सम्पूर्णता का आह्वान करना है (आवागमन में नहीं जाना, आहुति देनी है)… नॉलेज के साथ नॉलेजफुल पर आकर्षित कराना

3. शक्ति-शूरवीर अर्थात कोई भी आसुरी व्यक्ति-वाइब्रेशन-वायुमण्डल-समस्या आकर्षित न करेकारण देने से कारागार में चले जाते, अब तो प्रत्यक्ष कार्य दिखाना है… अभी तो बाबा ने सुना, स्नेह-रहम-रियासत की, फिर तुरन्त एक का सौगुणा-दण्ड मिलेगा

4. अब मास्टर रचयिता के नशे द्बारा रचना के भिन्न-भिन्न आकर्षण से परे जाना है, तब कहेंगे फूल, बचपन-बेपरवाही-आलस्य-अलबेलापन से परे, शक्ति-रूप शस्त्रधारी-रुप सदा जागती ज्योत… भक्त-आसुरी दोनों सामने आएंगे, उन्हें परखना, अब रियासत के बदले रूहानियत का समय है

5. समय की पहली सिटी बज गई है, अब ईश्वरीय मर्यादाओं में पक्के रहना है… सम्पूर्णता को समीप लाना है, समस्याओं का सामना करना है, अंश भी समाप्त… नाजुक समय का सामना करने लिए नाजुक-पन छोड़ना है… फिर गुप्त प्रत्यक्ष हो जाएँगा, सूरत-सीरत में

6. आत्मा को सदा हर्षित रखने से माया आकर्षित नहीं करेंगी… आदि-रत्नों पर आदि-देव का विशेष स्नेह है, इस सर्वशक्तिमान के स्नेह को स्मृति में साथ रखने से बचे रहेंगे

सार

तो चलिए आज सारा दिन… मास्टर नॉलेजफुल मास्टर रचयिता बन, लाइट-माईट शक्ति-सम्पन्न बन, मर्यादाओं में पक्के रूहानीयत से सम्पूर्णता का आह्वान करते… समस्याओं से परे रह, सब की आगे बढ़ाते, बाबा को प्रत्यक्ष करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


Recent Avyakt Murli Revisions

Thanks for reading this article on ”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *