Being the Master of our Creations! | Avyakt Murli Churnings 22-03-2020
1. हम मास्टर-रचता को:
- अपनी पहली रचना, देह के मालिक बनना है (आकर्षित-वशीभूत नहीं), तब ही विश्व के मालिक बनेंगे… देह के सम्बंध में न्यारा-प्यारा, और संस्कार में निर्मान-निर्माण
- सबके स्नेह-सम्पर्क में आशीर्वाद-शुभ भावना कमाना… सबको अपनापन-दाता मेहसूस हो (शान्ति-प्रेम सुख-आनंद उमंग-उत्साह हिम्मत-सहयोग के)
2. (मधुबन-निवासीयों से)… जबकि हम कमाने-खाने की मेहनत (वा सामना-समाना-बगुलों) से परे है, आराम है (बाबा से ही पढ़ना, और यज्ञ-सेवा)… तो बाप-समान स्टेज बनाना, सदा सन्तुष्ट रहना-करना (औरों को भी मेहसूस हो), न disturb होना-करना (औरों को न देख स्वयं को देखना)
पार्टियों / प्रश्न-उत्तर
- संगठन की शक्ति किला है (जिसके लिए सदा regard देना-लेना)
- सुनने-करने की समानता से सम्पंन-सम्पूर्ण बनने के example देने में पहले हम
- गुणमुर्त बन, ज्ञान-गुण-शक्तियों के महादानी बन, हर सम्पर्क में देना (उनको नहीं देखना)
- अमानत – – > अनासक्त – – > रूहानियत
- हम भय-चिंता से मुक्त बेफिक्र-शुभ चिन्तक-सुख में है
- अकाले-मृत्यु की सीजन में अकाल-मूर्त बन सबको शुभ-चिन्तक बन सुख-शान्ति देना
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