Being true children! | Sakar Murli Churnings 02-08-2019
सार
1. बाबा सत-चित्-आनंद स्वरूप बीजरूप सच्चा साहब है, जिसके बच्चें हम साहबजादे है… परमधाम में भी शान्ति में रहते, सतयुग में भी पवित्रता-सुख-शान्ति सम्पन्न सर्व वरदानों से भरपूर रहते, अब फिर वहां जाना है…
2. इसलिए जो पुराने हिसाब-किताब है, उसे निराकार बाप की प्यार-भरी यथार्थ याद से समाप्त करना है, फिर 5 तत्व-शरीर भी सतोप्रधान मिलते, हम लक्ष्मी-नारायण समान दिव्यगुण-सम्पन्न बन जाएँगे, फिर से…
3. सच्चाई-सफाई रख, पुरुषार्थ करना है, हम जैसा सुख कोई नहीं देखते
चिन्तन
तो चलिए आज सारा दिन… जबकि हम सच्चे साहब के बच्चे सर्वश्रेष्ठ साहबजादे है, तो सदा सच्चाई-सफाई का गुण धारण कर श्रेष्ठ ज्ञान-योग का पुरुषार्थ करते रहे, सबकुछ बाबा को बताते हुए… तो बहुत सहज-तुरंत सर्व खजानों से भरपूर, सर्व प्राप्ति सम्पन्न बनते-बनाते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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