Blessing ourself! | Sakar Murli Churnings 02-01-2020

Blessing ourself! | Sakar Murli Churnings 02-01-2020

मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है

सार

1. स्वयं ऊँच ते ऊँच, रूहानी-निराकार सर्व का सद्गति-दाता, सुखदाई शिवबाबा…. प्रजापिता-ब्रह्मा द्वारा… हम मीठे-सिकिलधे ब्राह्मण-बच्चो-आत्माओं को… रूहानी-ज्ञान देकर उस एक को याद करना सिखाते, जिससे विकर्म-विनाश हो दिव्य-गुणवान सुखदाई बनते, बाबा के सच्चे-वारिस बन विजय माला में आ जाते… ऊँच-सतोप्रधान देवता लक्ष्मी-नारायण विश्व के मलिक रूप में (ईश्वरीय राज्य-वर्से में)

2. तो स्वयं पर आपेही कृपा कर, पढाई द्वारा आत्मा का पाठ पक्का कर, पक्का-मातेला बच्चा बनना… भुतों (विकारों की प्रवेशता) से बचे रहना

चिन्तन

जबकि कर्मों के ज्ञान अनुसार हमें ही स्वयं पर कृपा करनी है… तो सदा हर कदम श्रीमत (जो बाबा की सबसे बड़ी कृपा है) पर चल ज्ञान-योग-धारणा-सेवा सम्पन्न ईश्वरीय-दिनचर्या द्वारा… अपनी आन्तरिक अवस्था को शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर होता अनुभव करते-कराते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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