डबल लाइट अर्थात् क्या? | double light

डबल लाइट अर्थात् क्या? | double light image

डबल लाइट अर्थात् क्या? | double light

Q. डबल लाइट ??‍♂️ अर्थात् क्या? ?

A. लाइट अर्थात् हल्का-पन ? भी और प्रकाश ✨ भी; और यह दोनों अर्थ आत्मा ⭐ और सूक्ष्म फरिश्ता ? शरीर दोनों पर लागू होते (तो लाइट के 4 अर्थ हो गये!)

तो डबल लाइट अर्थात् आत्मा ? हल्की ?️ भी और प्रकाश स्वरूप ? भी; और सूक्ष्म शरीर ? भी हल्का ? और प्रकाशमय ? (तो 4x लाइट ? हो गया!)

फिर डबल लाइट अर्थात् आत्मा ?️ और सूक्ष्म शरीर ? दोनों प्रकाशवान ?; और दोनों हल्के ☁️ भी (तो फिर 4x लाइट हो गया!)

डबल लाइट अर्थात् डबल (तेज ?!) प्रकाश ? भी कह सकते… ‘डबल लाइट’ शब्द ✍? को बाबा शक्तिशाली ⚡ हल्का-पन ? (2x हल्का) के रूप में भी कभी प्रयोग ? करते! ?

(चिन्तन ?)

  1. डबल लाइट अर्थात् स्वयं भी हल्के ?? रहे; औरों को भी हल्का ?? रखे! ✅
  2. डबल लाइट अर्थात् हम भी ?? लाइट, ☝? बाबा भी लाइट ( दोनों लाइट कम्बाइन्ड ?!) ?
  3. डबल लाइट अर्थात् वर्तमान ? में लाइट है, तो भविष्य में भी लाइट ही होंगे! ?✔️
  4. डबल लाइट अर्थात् मन ? पर भी कोई बोझ नहीं, बुद्धि भी पवित्र ?️, दिव्य ?! ?
  5. डबल लाइट अर्थात् वृत्ति ?️ भी लाइट, तो वाणी ?️ और व्यवहार ? भी स्वतः लाइट ( संकल्प ?️ लाइट, तो बोल-कर्म ✋? भी लाइट!)

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कविता / गीत (original)

Avyakt Murli Resources

कुछ समय से आपको *टॉपिक-वाइज़ चुनी हुई अव्यक्त मुरलियों ? की डेट्स ?* भेज रहे हैं… इन डेट्स को आप *विभिन्न रीति से प्रयोग* में ला सकते:

1. ? *बुक* में पढ़ सकते, मधुबन से *अव्यक्त वाणी* खरीदकर

2. ? *App अथवा वेबसाइट* में पढ़ सकते, *मधुबन मुरली* (App / Website) अथवा *बाबा पोर्टल* (App / Website) में

3. ? *सुन* सकते, *मधुबन मुरली* (App / Website) से अथवा *Avyakt Murli Audiobooks* यूट्यूब चैनल पर

4. ? उस मुरली पर वरिष्ठ भाईयों का चिन्तन ? सुन सकते… यूट्यूब पर *अमूल्य रत्न* वा *मुरली मंथन*

5. ? ओरिजनल वीडियो (बाबा मिलन) देख सकते… यूट्यूब पर AvyaktMurlis चैनल पर


Stories of BK Manmohini Didi | Brahma Kumaris

Stories of BK Manmohini Didi | Brahma Kumaris

Also read: दीदी मनमोहिनी की 125 विशेषताएं | 125 Specialities of Didi Manmohini

दीदी मनमोहिनी जी कहते थे, रोज़ सवेरे उठकर 5 (आध्यात्मिक!) खेले खाने चाहिए, तो सदा शक्तिशाली रहेंगे। ?

यह 5 केले हैं:

अकेले आये थे,
अकेला जाना हैं,
अकेले में (एकान्त में),
अकेले (आत्मा) हो,
अकेले (बाबा) को याद करना!

तो हम भी रोज़ यह 5 केले स्वीकार कर, सदा शक्तिशाली शान्ति, प्रेम और आनंद से भरपूर रहें! ?


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दादी गुलज़ार जी की मुख्य विशेषताएं

शारदा बहन (अहमदाबाद) ने एक बार दादी गुलजार जी से पूछा… जब भी आपके पास आते, तो शान्ति की जैसे करन्ट मेहसूस होती, आप ऐसा कौन-सा पुरूषार्थ करते?

दादी का जबरदस्त उत्तर… मैं देह-भान में कभी आती ही नहीं !

अर्थात्‌ सदा आत्म-अभिमानी (Soul Conscious) स्थिति… आज हम भी प्रण करे, दादी समान हम भी एसी सर्वोत्तम स्थिति अवश्य बनायेंगे ! ?


दादी ने एक बार कहा था मैं चलते-फिरते अशरीरी स्थिति में स्थित रहती हूँ !

हम सोचते थे चलते-फिरते तो देही-अभिमानी स्थिति रहती (अर्थात्‌ मैं आत्मा शरीर द्वारा कर्म कर रही)… परन्तु दादी ने तो अशरीरी स्थिति लिए कहा, तो उनका बैठे हुए ही कितना पावरफुल अभ्यास होगा, जो चलते-फिरते भी कायम रहा !

जब भी योग में बैठे, दादी की इस श्रेष्ठ योग की धारणा को अवश्य याद करे..


जब हम अप्रैल ’15 में बाबा मिलन लिए मधुबन में थे, दादी जी की तबियत नर्म होते भी दादी ने हिम्मत रखी थी, बाबा भी आये थे (पार्ला, मुंबई से)

दादी, आपकी अथक सेवाएं सदा हमारे लिए प्रेरणा-स्त्रोत है… आपके पास हम सारे ब्राह्मण परिवार की पद्मापद्म दुआएं सदा है… हम आपके कदमों पर चल, आपसा श्रेष्ठ बाबा के दिल-तख्तनशीन अवश्य बनेंगे!


बहुत वर्ष पहले जब दादी गुलज़ार जी हॉस्पिटल में थे और दादी जानकी उन्हें मिलने गए थे… उनके स्वस्थ्य के पूछने पर, दादी गुलज़ार ने सिर्फ दो शब्द का उत्तर दिया..

साथी (बाबा की) और साक्षी (देह-परिस्थितियों से)!

हम समझते दादी ने इन धारणाओं को अपने जीवन में कूट-कूट कर भरा था, जिस कारण दादी निरन्तर योगी और निरन्तर साक्षी रहे… अब भी दादी साक्षी हो सकाश दे रहे, जो हम भी साथी और साक्षी की धारणा को पक्का कर ले! ?


दादी जी को एक बार एक बहन ने कहा, फलानी ऐसी है..

दादी ने कहा… अरे, राजधानी बन रही, सबका अपना-अपना पार्ट है!

दादी ने कितनी सहजता से सबको स्वीकार किया, विशेषताएं देख आगे बढ़ाकर सर्वश्रेष्ठ महान बनाया… हम भी सदा ऊंची स्थिति में स्थित रह, और प्रभावों से परे, सबकी विशेषताएं देख सबको आगे बढ़ाते रहे! ?


जब 50s में सेवा शुरू हुई, बाबा ने गुलज़ार दादी को लखनऊ भेजा था… दादी को यह भी नहीं पता था लखनऊ कहां आता, फिर भी ट्रेन में चढ़ गये, और इतनी विशाल सेवा की!

कितना परमात्म महावाक्यों पर निश्चय, एक बल एक भरोसा !

हम भी मुरली के हर महावाक्य पर ऐसे निश्चयबुद्धि बने… स्वयं, ड्रामा, परिवार पर भी निश्चयबुद्धि विजयी ! ?


दादी गुलज़ार जी सिर्फ 8-9 वर्ष के थे जब बाबा से मिले, और मिलते ही तुरन्त ध्यान में चले गए, श्रीकृष्ण का साक्षात्कार हुआ!

अर्थात्‌ दादी के कल्प पहले वाले दिव्यता के संस्कार सेकण्ड में जागृत हो गये। तो सोचने की बात है, दादी का पूरा कल्प ही कितना सर्वश्रेष्ठ, महान, अन्तर्मुखी बीता होगा!

हम भी उनकी दिव्य प्रेरणा ले, सदा “मैं हीरो एक्टर हूँ’ इसी स्मृति से अपना हर कर्म सर्वश्रेष्ठ कला-समान बनाए… अर्थात्‌ सुख, शान्ति, प्रेम, आनंद वा सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बनते-बनाते रहे!.. तो यह सर्वश्रेष्ठ भाग्य हर कल्प रिपीट होता रहेंगा! ?


दादी गुलज़ार जी का मुख्य गुण… असीम शान्ति
दादी प्रकाशमणि का… बेहद प्यार
दादी जानकी (और ईशू दादी)… उमंग-उत्साह, खुशी, आनंद
मम्मा थी… शक्ति स्वरूपा
ब्रह्मा बाबा (और जगदीश भाई)… ज्ञान स्वरूप
दीदी मनमोहिनी थे नियम मर्यादा में पक्के… अर्थात्‌ सम्पूर्ण पवित्रता

तो हमारे पूर्वजों जैसे हम भी सतोगुणी आत्मा (ज्ञान, पवित्रता, शान्ति, प्रेम, सुख, आनंद, सर्व शक्तियों से सम्पन्न) बन जाएं… मन-वाणी-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क, स्मृति-वृत्ति दृष्टि में ! ?


Deep Silence, unwavering Love for God, & a personality radiating Divinity at every step..

Your illustrious teachings continue to be our guiding light: you’ll keep shining in our hearts & practical life always..

Loving homages to Most Respected Rajyogini Dadi Hridaya Mohini Ji… A true instrument of God, an embodiment of greatness! ??


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योग कमेंटरी | मैं कमल-आसनधारी पारसबुद्धि मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ | Sakar Murli Churnings 11-02-2021

मैं कमल आसनधारी आत्मा… माया के आकर्षण से न्यारा, बाबा के स्नेह में प्यारा… कर्मयोगी हूँ

सदा वाह-वाह के सूक्ष्म आवाज में खुश… मैं मास्टर सर्वशक्तिमान, मास्टर रचयिता हूँ… उलझनों से मुक्त रह, सबको मुक्त रहता

मैं पारस-बुद्धि पारसनाथ… स्वराज्य अधिकारी… सो स्वर्ग के स्वर्ण महलों का अधिकारी हूँ

मैं सच्ची सीता… सच्ची पार्वती… अमर बाबा से अमरकथा सुन अमरलोक जा रही

मैं आत्म-अभिमानी स्थिति में स्थित… सदा बाबा की याद में बुद्धियोग उपर रहता… निर्वाणधाम-घर में


More Meditation Commentaries:

Baba Milan Murli Churnings 05-12-2020

1. आज सर्वशक्तिमान बाप अपने मास्टर सर्वशक्तिमान बच्चों को सर्व-शक्तियों का ख़ज़ाना देने आये हैं:

  • यह ख़ज़ाने सहज मिले (सेकण्ड में पहचाना मेरा बाबा, बाबा के कहा मेरे बच्चे, तो मालिक बन गये!)
  • सदा और सर्व ख़ज़ाने साथ हो (मालिक बन ऑर्डर प्रमाण अनुभव में आए, नशा हो बाबा के ख़ज़ाने वह मेरे!)

2. सेवा का उमंग देख बाबा “वाह बच्चे वाह” गाते, अब “परिवर्तन हुआ की हुआ” इस चैलेंज को पूर्ण करने धारणाओं से सम्पन्न सफलता का स्वरूप बनना है, क्योंकि हम ही निमित्त-आधार है सुखमय संसार लाने के… तो चेक करना:

  • हम सम्पन्न-सम्पूर्ण कहा तक बने हैं (तब ही और बनेंगे)
  • सुनने वाले समीप सम्बन्ध में कितने आये हैं (सेवाओं से खुश तो सभी है, लेकिन वर्से के अधिकारी बाप द्वारा ही बनेंगे, जब बाप-समय-अपने स्वमान को पहचाने… सभी गाये “हमारा बाबा आ गया”, एसी रिजल्ट बाबा चाहते)

अब निर्विघ्न-एवररेडी बनना है (सारी राजधानी तैयार, भल ड्रामा-बाबा बटन दबाए!)… बाप-समान बन सदा बाबा के साथ जीवन अनुभव करना, साथी भी सम्पन्न

3. सेकण्ड में फुल स्टॉप लगा सके (व्यर्थ का नाम-निशान नहीं), तब ही सब परिवर्तन के उमंग में आयेंगे… सेवा को तीनों रूप (नॉलेजफुल-लवफुल-पावरफुल), तीनों रीति (मन्सा-वाचा-कर्मणा) से करना, वाणी के साथ मन्सा पावरफुल, सब परिवर्तन हो साथी बन जाये (परिवार की फिलिंग से), नॉलेज भी स्पष्ट… 108 सम्पन्न-सम्पूर्ण आत्माओं की माला अब तैयार हो!

4. इसके लिए तीव्र पुरुषार्थ-स्व परिवर्तन द्वारा बाप-समान बनना ही है (भल अचानक परिवर्तन हो)… दृढ़ता को साथी बनाकर (बहानेबाज़ी से मुक्त!), ब्रह्मा बाबा को सदा नैनों में समाकर फॉलो करना है (मन्सा-वाचा-कर्मणा-सम्बन्ध-सम्पर्क में, सब कहे “वाह परिवर्तन वाह!”, बात के बदले बाप दिखे)… सब निर्विघ्न नम्बरवन हो (भल माया आये, हमे विजय पानी है)

5.

  • (गुजरात) जैसे स्थान समीप, ऐसे पुरूषार्थ कर राज्य-अधिकार के समीप आना… जैसे बुलावे पर आ जाते, ऐसे फोलो फादर में भी समीप
  • (डबल-विदेशी) एक-एक सेंटर से पूछ मधुबन से रिफ्रेशमेंट कायम रहे (पेपर में भी)
  • (यादप्यार) जैसे बाबा को लास्ट बच्चे से भी प्यार-रहम, हमे भी सबको सहयोग-सदभावना-शुभ भावना देना है (जैसे बाप हमारा है, परिवार भी)… बाबा सबको दृष्टि-मुबारक दे रहे

जन्म-जन्म की प्राप्तियों को जमा करने स्वराज्य-अधिकारी बन समय-संकल्प को मन्सा सेवा द्वारा सफल करे | Baba Milan Murli Churnings 24-11-2020

जन्म-जन्म की प्राप्तियों को जमा करने स्वराज्य-अधिकारी बन समय-संकल्प को मन्सा सेवा द्वारा सफल करे | Baba Milan Murli Churnings 24-11-2020

1. आज ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर अपने कोटों में कोई में भी कोई बच्चों की भाग्य की रेखाएं देख रहे:

  • मस्तक पर चमकता दिव्य सितारा
  • नैनों में स्नेह
  • मुख में ज्ञान
  • दिल में, दिलाराम के लवलीन
  • हाथों में ज्ञान का ख़ज़ाना
  • पांव में, कदम में पदम

हमारे जैसा भाग्य और किसी का नहीं, जो चमकता रहता, अविनाशी है (स्वयं अविनाशी बाप द्वारा संगम पर मिलता, फिर जन्म-जन्म चलता)… संगम है ही कल्प के सर्वश्रेष्ठ प्राप्तियों का युग (जितना अनेक जन्मों लिए भाग्य बनाना चाहो, बना सकते), इसलिए चेक करना हम कहां तक प्राप्तियों से सम्पन्न बने हैं और उन अनुभवों में रहते

2. बाबा हमें स्वराज्य अधिकारी अर्थात्‌ कर्मेन्द्रियों-मन-बुद्धि-संस्कारों का राजा-अधिकारों-कंट्रोल में देखना चाहते, जबकि सर्वशक्तिमान द्वारा सर्व शक्तियों का ख़ज़ाना प्राप्त है (तो अपनी रूलिंग-कंट्रोलिंग पावर चेक करना)… बाबा साथ है तो कोई कर्मेन्द्रिय की ताकत नहीं जो कंट्रोल में न रहे, इसलिए शिवशक्ति (कम्बाइन्ड) स्वरुप की स्मृति द्वारा मायाजीत-प्रकृतिजीत बनना है

3. प्रकृति के पेपर तो आयेंगे (मनुष्य ने प्रकृति को तंग किया है), हमे तो प्रकृति को सतोप्रधान बनाना है… सृष्टि भय में है, और हमें स्वर्णिम संसार के आने की खुशी है, संगम-अमृतवेला बाद सतयुगी-सवेरा आया की आया!)… तो जो खुशी की किरणें बाबा से मिली, वह सब को दिलाने लिए विशेष टाइम सेट करना है (वरदान देने, दु़ःखी-अशान्त को, सब अपने ही है, तरस पड़ना चाहिए)

4. संगम के अमूल्य ख़ज़ाने है संकल्प-समय (जिनसे जन्म-जन्म की प्रालब्ध बनानी है), तो इनके मूल्य को जान व्यर्थ को फिनिश कर सफल कर सफलता-मूर्त बनना है (जैसे स्थूल धन जमा करते)… अब बाबा वरदान दे रहे टेंशन-फ्री, नो-टेंशन बनना (मनजीते-जगतजीत, हम मन के मालिक है, बाबा के वरदान का अनुभव करके देखना है, थोड़ा सा अटेंशन रख)… चेहरा गुलाब-पुष्प समान खिला हुआ दिखेगा

5. बाबा सबकी रिजल्ट की मुबारक देते.. अब वाणी के साथ मन्सा-चेहरे-चलन से सेवा करनी है (अभी का अभ्यास आगे काम आयेगा)… टेंशन की दुनिया में टेंशन-फ्री बनने के अनुभव-चेहरे-चलन द्वारा एक्जैम्पुल बन, सहारा बनना है… अब दृढ़ता द्वारा टेंशन-फ्री होकर ही दिखाना है, भल समस्याएं आये

6.

  • (ब्रह्मा बाबा को पसंद राजस्थान)… मधुबन भी यहां बनाया, वृद्धि अच्छी हैै (नयों को परिचय देने के प्रोग्राम्स अच्छे), अब सेवा-स्व के बैलेन्स द्वारा निर्विघ्न बन सभी को उड़ाना है
  • (डबल नशा-उमंग वाले डबल फॉरेनर्स)… सच्ची दिल से बोलते-समाधान करते (साफ दिल तो हजूर हाजिर!), सदा उड़ते-उड़ाते रहना
  • (याद-प्यार)… पुरुषार्थ में आगे बढते-बढ़ाने की मुबारक, अब तीव्र पुरुषार्थ द्वारा सेकण्ड में बिन्दु लगाने का अभ्यास आवश्यक (अचानक कुछ न कुछ होना ही है), बाबा की शुभ आश है साथ है-रहेंगे-चलेंगे

सार (चिन्तन)

सदा अपने पद्मापद्म-भाग्यशाली स्वरूप को स्मृति में रख, शिवशक्ति-कम्बाइन्ड स्वरूप द्वारा स्वराज्य अधिकारी बन… अपने संकल्प-समय को सफल करने टेंशन-फ्री बनने के एक्जैम्पुल द्वारा चेहरे-चलन-मन्सा से सबकी सेवा करते… संगम की अविनाशी प्राप्तियों द्वारा जन्म-जन्म का भाग्य जमा करते-कराते, सतयुगी सवेरा लाते चले… ओम् शान्ति!


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कविता | बनाया अपने दिलतख्त-नशीन

बनाया अपने दिलतख्त-नशीन, रखा हमे अपने बिल्कुल समीप
मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति

दिल की बातें करके दिलाराम से, दिल को मिला बेहद आराम
प्यार-सागर की प्रीत ने बनाया भरपूर, बांटते सबको ईश्वरीय प्यार
बन गए लवली और प्रभु-प्रेम में लवलीन
(मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति … बनाया अपने दिल तख्त-नशीन)

खुद आकर हमें ज्ञान रत्नों से श्रृंगारा, दिव्यगुणौं से है सजाया
बरसाकर अनंत शक्तियां और वरदान, बनाया पद्मापद्म भाग्यवान
पायी हमने सच्ची-अविनाशी खुशी
(मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति … बनाया अपने दिल तख्त-नशीन)

शिक्षाओं की उंगली पकड़, अपनी गोद के गलीचे में जीना सिखाया
अपनी निर्मल ममता से है निखारा, शीतल छाया में सवारा
प्रभु पालना में पलते हर घड़ी
(मिली हमे सर्वोत्तम प्राप्ति … बनाया अपने दिल तख्त-नशीन)

Answers from Sakar Murli 03-06-2020

*Om Shanti*

*Answers from Sakar Murli 03-06-2020*

1. तुम बच्चों को अब यह निश्चय रखना है, हम ईश्वरीय _____ हैं। _(3 उत्तर)_
° *सन्तान*, औलाद, सम्प्रदाय

2. हमें बाबा को *कैसे याद* करना है? _(5 शब्द)_
° चलते, फिरते, उठते, बैठते, *कुर्बान* हो

3. परमपिता परमात्मा ही आकर सबको _____ बना देते हैं। सतयुग में हर _____ में सुख ही सुख है। हम फिर से 5 हज़ार वर्ष पहले मुआफिफक दैवी _____ की स्थापना कर रहे हैं। फिर हम दैवी _____ बनेंगे। तुम बच्चों को सबको _____ देना है। _____ ही यहाँ आते हैं और समझते हैं बाबा हमको फिर से सुखधाम का मालिक बनाते हैं। हम ही 100 प्रतिशत पवित्र _____ मार्ग वाले थे।
° *सुखी-शान्त*, हालत, स्वराज्य, सम्प्रदाय, सुख, निश्चयबुद्धि, गृहस्थ

4. सतयुग में हैं पूज्य, यहाँ हैं पुजारी। *हम कैसे हैं?*
° तुम हो *शिवशक्तियां*। अभी तुम न पुजारी, न पूज्य हो।

5. अभी तुम्हारी आत्मा _____ करती हैं देखें कौन शिवबाबा को जास्ती याद करते हैं। शिवबाबा की याद में रहते-रहते ही शरीर छूट जाए तो अहो _____। बेड़ा ही _____।
° रेस, *सौभाग्य*, पार

6. हमारा *धन्धा* क्या है?
° अब बाप कहते हैं तुम बच्चों को मन्सा, वाचा, कर्मणा सबको *सुख देना* है। सबको *सुखधाम का रास्ता* बताना है। तुम्हारा धन्धा ही यह हुआ।

7. _____ बाप और समय का हर सेकण्ड _____ उठाने वाले निश्चयबुद्धि, निश्चिंत भव। जो भी दृश्य चल रहा है उसे _____ बनकर देखो, हिम्मत और हुल्लास में रह स्वयं भी _____ आत्मा बनो और विश्व को भी बनाओ। स्वयं के तूफानों में हिलो मत, _____ बनो। जो समय मिला है, साथ मिला है, अनेक प्रकार के खजाने मिल रहे हैं उनसे _____ और _____ बनो।
° *कल्याणकारी*, लाभ, त्रिकालदर्शी, समर्थ, अचल, सम्पत्तिवान, समर्थीवान

8. शिव शक्तियों का *ज्यादा मान* है, या लक्ष्मी-नारायण का? क्यों?
° तुम्हारा मान शिव शक्तियों के रूप में है। तुम्हारे आगे लक्ष्मी-नारायण का तो कुछ भी मान नहीं। शिव शक्तियों का ही नाम बाला है क्योंकि जैसे बाप ने सर्विस की है, सबको पवित्र बनाकर सदा सुखी बनाया है, ऐसे तुम भी *बाप के मददगार* बने हो, इसलिए तुम शक्तियाँ भारत माताओं की महिमा है।
° यह लक्ष्मी-नारायण तो राजा-रानी और प्रजा सब स्वर्गवासी हैं। वह बड़ी बात है क्या! नर्कवासियों को *स्वर्गवासी तुम बनाते* हो।

9. बाप के _____ का _____ लगाओ तो बुराईयां स्वत: समाप्त हो जायेंगी। _(स्लोगन)_
° *संग*, रंग

10. बाबा ऊँच ते ऊँच *श्रीमत* क्यों देते? _(3)_
° हमको श्रेष्ठ मत मिलती है, *सबको श्रेष्ठ बनाने* के लिए
° अभी *सबको सुख देने* के लिए ही बाबा श्रेष्ठ मत देते हैं।
° शिवबाबा की श्रीमत हमको क्या से क्या बनाती है! *स्वर्ग का मालिक*।

11. यहाँ तो हंगामें की कोई बात ही नहीं। तुम बड़ा _____ से बैठे हो। सब _____ होते हैं।
° *शान्ति*, खुश

12. *कृष्ण* की बाबा ने किन शब्दों में महिमा की? _(4)_
° कृष्ण को देखते ही उनको *चटक* पड़ेंगे। उनमें तो बहुत *चमत्कार* रहता है। कृष्ण के सिवाए और कोई बात बुद्धि में बैठती ही नहीं। वही सबसे *तेजोमय* है।

13. मीठे-मीठे _____ बच्चे जानते हैं बाप हमको सब युक्तियां, सब राज़ समझाते हैं। मुख्य बात यह है कि बाप को याद करो। _____ बाप तुम्हारे सामने बैठे हैं, कितना _____ है, कोई अहंकार नहीं। बापदादा दोनों ही बच्चों के _____ हैं। ऐसे बाप के पिछाड़ी तो _____ जाना चाहिए।
° फूल, पतित-पावन, निर्मान, सर्वेन्ट, *कुर्बान*

14. गायन है *द्रौपदी के पांव दबाये।* इसका भी अर्थ क्या है?
° स्थूल में पांव दबाने की बात नहीं है। बाबा के पास बुढ़ियां आदि बहुत आती हैं, जानते हैं भक्ति करते-करते थक गई हैं। आधाकल्प बहुत धक्के खाये हैं ना। (यह थकान बाबा मिटा देते।)

15. तुम बाप को अपने पास _____ देते हो ना। तुम हो शिव शक्ति, शिव के बच्चे। तुम बाप से _____ लेते हो। तुम जानते हो बाबा हमको _____ बना रहे हैं। यहाँ तो तुमको मोस्ट _____ बनना है।
° निमंत्रण, शक्ति, *पुरुषोत्तम*, बील्वेड

16. किनकी दिल होती है हम *गांव-गांव में जाकर सर्विस* करें?
सबको क्या *खुशखबरी* सुनानी है?
तुमसे पूछते हैं तुम्हारा *उद्देश्य* क्या है?
° जो *रहमदिल बच्चे* हैं उनकी दिल होती गांव-गांव में जाकर सर्विस करें।
° सबको यही खुशखबरी सुनानी है कि *विश्व में पवित्रता, सुख, शान्ति का दैवी स्वराज्य स्थापन हो रहा* है
° उद्देश्य है *मनुष्य से देवता बनना।*

17. याद से ही तुम _____ पावन बनते हो। पति
तुम बाप को याद करते हो तो इस याद के _____ से पाप कटते हैं। बाबा हम आपके पास चलें। आपको ही याद करते-करते जब हमारी आत्मा _____ हो जायेगी तो आप हमको _____ ले जायेंगे।
° विकर्माजीत, बल, *पवित्र*, साथ

18. मनुष्य मात्र एक-दो को दु:ख ही देते हैं। उन्हों क्या नहीं पता?
मनुष्य समझते हैं कि वेद-शास्त्र आदि सब भगवान से मिलने के रास्ते हैं और भगवान क्या कहते है?
° दुःख देते हैं, उनको यह नहीं पता कि *सुखधाम भी होता है।*
° भगवान कहते हैं-इन वेद-शास्त्रों से कोई भी मेरे साथ मिलता नहीं है। *मैं ही आता हूँ*, तब तो मेरी जयन्ती भी मनाते हैं, परन्तु कब और किसके शरीर में आता हूँ, यह कोई नहीं जानते। सिवाए तुम ब्राह्मणों के।