सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता | The Virtues of Contentment, Unity & Humility | Avyakt Murli Churnings 23-12-2018
अज बाबा ने मुरली सन्तुष्टता, एकता और निर्मानता पर मुख्य चलाई है!
सभी गुणों का राजा, सन्तुष्टता!
सन्तुष्टता से अनेक प्राप्तियां हैं:
- सन्तुष्टता, रूहानियत (अर्थात soul-consciousness, शान्ति प्रेम और आनंद की निरन्तर अनुभूति) की सहज विधि है
- जहां सन्तुष्टता है, वहां सभी विशेषताएं, खाझाने और प्राप्तियां स्वतः आती है
- सन्तुष्टता से प्रसन्नता स्वतः आती है
- निर्संकल्प रहते, स्थिति एकरस रहती, विजयी रहते
- स्वमान में सहज स्थिति हो सकते, बेफिक्र बादशाह बनते, और सभी हद के मेरेपन के चक्रों से मुक्त हो स्वदर्शन चक्रधारी बन जाते हैं!
- बाबा के दिलतख्तनशीन, श्रेष्ठ स्मृति के तिलकधारी, और विश्व सेवा के ताजधारी सहज बन जाते!
- महादानी, वरदानी, विश्व कल्याणकारी बन सकते हैं
- ब्राह्मण जीवन का जियदान, उन्नति का सहज साधन है
- ज्ञान के सब्जेक्ट का प्रत्यक्ष प्रमाण (practical proof) है!
सन्तुष्टता का certificate लेना है… स्वयं से, बाप से, और परिवार से… इसके लिए अभी भी थोड़ा समय है!
सफलता का सहज साधन, एक दो को आगे बढ़ाना!
एक दो को आगे तब बढ़ा पाएंगे, जब:
- आपस में स्नेह होगा
- एकता का गुण होगा
- विशेषताओं का चश्मा पहना होगा, अर्थात सबकी विशेषताएं देखना… कमी होते हुए भी वर्णन नहीं करना, बल्कि शुभ भावनाओं का दान देते रहना… जैसे बाबा करते!
निर्मानता की महानता!
निर्मानता का आधार निमित्त भाव है (अर्थात यह स्मृति की करन-करावन्हार बाबा है)… और निर्मानता से बहुत प्राप्तियां हैं:
- जो निर्मान है, वही नव-निर्माण का कार्य कर सकते हैं
- महान बन सकते, निरहंकारी बन जाते हैं, हल्के रहते
- रोब से मुक्त हो, रूहानियत में स्थित कराता
- शुभ-भावना वा शुभ-कामना सहज ले और दे सकते, सच्चे सेवाधारी और सभ्यता की निशानी है, सब अनुभव करे को यह हमारा है!
- सुखदाई बनाता, सबके दिल की दुआएं प्राप्त कराता है, सेवा की सफलता का सहज साधन है, सदाकाल का विजयी बनाता है
- निर्मानता ही सच्चा स्वमान है, जिससे औरों का भी सम्मान मिलता है, सब दिल से झुकते हैं!
सार
तो चलिए आज सारा दिन… सन्तुष्टमणि रहकर, ब्रह्मा बाप समान निर्मान बन सबको आगे बढ़ाते रहे… जिससे हम खुद बाबा के दिलतख्तनशीन बन सर्व प्राप्तियों के झूले में झूलते रहते!… ओम् शान्ति!
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