Creating a royal fortune! | Sakar Murli Churnings 13-01-2020
मुरली सदा क्लास में पूरी सुननी चाहिए… अतः इस लेख का सिर्फ यह उद्देश्य है, कि मुरली सहज याद रहे, ताकि सारा दिन उसका अभ्यास-धारण करना सहज हो जाए… लेकिन मुरली पहले क्लास में ही सुननी है
सार
1. इस संगम-पाठशाला-शिव जयंती में… ईश्वर-परमात्मा शिवबाबा-टीचर… हम ब्राह्मण-बच्चे आत्मा-एक्टर्स को… चक्र-राजयोग का ज्ञान देते, जिसका सिमरण कर हम बाबा की याद-मन्मनाभव में रह (भल माया भुलाए, हमारा विनाशी दुनिया में कोई ममत्व नहीं), पवित्र-हर्षित-खुश बनते… श्रीमत पर खुदाई-खिदमतगार बन सबका कल्याण करते (चित्र-बैज-प्रदर्शनी-सेन्टर-शमशान, ढेर युक्तियां है)… जिससे नई-पवित्र दुनिया स्वर्ग-सतयुग-परिस्तान-सुखधाम के मालिक बनते (देवता, लक्ष्मी-नारायण रूप में)… फिर झाड़-सीधी-चक्र हम जानते
2. तो चुस्त-स्टूडेंट बनना है (औरों को याद कर लड़ते नहीं रहना, हम तो देह-दुम को भी भूल कर्मातीत बनने वाले है)… बाकी थोड़े समय में सबकुछ सफल कर अपनी श्रेष्ठ-तकदीर अवश्य बनानी है
चिन्तन
जबकि हमें दिव्य-तकदीर बनाने का स्वर्णिम-अवसर मिला है… तो सदा श्रीमत के आधार पर श्रेष्ठ-जीवन बनाते, हर बात में बाबा से बातें कर सच्चे रह, उनकी प्यार-भरी यादों से स्वयं को समप्न्न-सतोप्रधान बनाते… सदा शक्तिशाली शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर रहने-करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!
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