Decorating ourselves with Baba’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 05-07-2019

Decorating ourselves with Baba’s remembrance! | Sakar Murli Churnings 05-07-2019

1. हमने बाबा को बुलाया ही था पावन-सुखी बनाने, अब बाबा आया है नई दूनिया-सुखधाम बनाने, पुरानी दुनिया को थोड़ा समय है

2. तो डबल सिरताज बनने लिए, श्रीमत पर:

  • पवित्र बन
  • अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करना है (योग से अपने श्रृंगार करना है, जिससे पुराने पाप भी भस्म होतेे… बाकी दुनिया का तो कुछ भी रहना नहीं है)
  • सेवा में लग-बिजी रहना है (जबकि हमें सत्य ज्ञान मिला हैै… और देेह-अभिमानी बन योग में रहकर समझाना है)..

3. जबकि बाबा हमें अमरलोक-स्वर्ग में ले जाते, तो बहुत खुशी में रहना है… इसी रुहानी कमाई में लगना है, सबको भी खुशी से भरपूर करने के निमित्त बनना है

चिन्तन

तो चलिए आज सारा दिन… बाबा की प्यार-भरी यादों में रह, अपनी आंतरिक अवस्था को शक्तिशाली शान्ति-प्रेम-आनंद से भरपूर-सम्पन्न अनुभव करते रहे… यही सच्चा श्रृंगार है, जो चेहरे-चलन की दिव्यता-रॉयलती-अलौकिकता के रूप में प्रत्यक्ष होता… और हम सबको आप समान श्रृंगारते, सतयुग बनाते रहते… ओम् शान्ति!


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