The easiest way of becoming complete! | (32nd) Avyakt Murli Churnings 20-10-69

The easiest way of becoming complete! | (32nd) Avyakt Murli Churnings 20-10-69

1. हम सितारों को सम्पूर्णता का ठप्पा लगाना है (इसी का निश्चय-उमंग चाहिए), जो कमी है उसे स्वाहा करना है… इसकी सहज विधि है:

  • याद रखना है… मैं बिन्दु ओर बाबा बिन्दुु, बिन्दु के साथ सिन्धु…
  • आगे है एक की याद-सेवा एकमत-एकरस
  • और विस्तार की आवश्यकता नहीं, सिर्फ़ सेवा के लिए ठीक हैं

इस सहज को मुश्किल बनाने वाली मुख्य बात है विस्मृति का अंधकार, जिसको स्मृति के सूर्य से समाप्त करना है… इसलिए निराकार सो साकार की अलौकिक ड्रिल करते रहना है, तो माया से बचे, शक्तिशाली रह, अपने लक्ष्य पर पहुंच जाएंगे

2. मधुबन यज्ञ-कुण्ड के मिलन में सम्पूर्णता का वरदान-सौगात मिलता… दूसरी बात कि परख सीखना है, कितना-क्या जोड़ना है ओर क्या तोड़ना है (तो स्थिति दगमग नहीं होंगी) … फिर जाना है सेवा पर (निमित्त-न्यारा-प्यारा बन), सब को आप समान बनाने, गो सुन कम सुन

3. बाप की तरह हमें भी तस्वीरों से तदबीर (उनके पुरुषार्थ का मुख्य गुण) देखना है… नहीं तो गुणा हो जाता

4. हम स्नेही बच्चों को बाबा निराकार-न्यारा का डबल टीका लगाते… इस सुहाग को सदा कायम रखने से नम्बर-वन ऊंच पद बनता

सार

तो चलिए आज सारा दिन… सदा अपने को निराकार-बिन्दु-आत्मा समझ बिन्दु बाबा की याद में रह, अपने श्रेष्ठ स्वमानों के स्मृति-स्वरूप बन… अपने परखने की शक्ति को श्रेष्ठ कर, सबकी श्रेष्ठ सेवा करते, सतयुग बनाते चले… ओम् शान्ति!


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